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न अमरीश पुरी, न ही अमजद खान… ये है सबसे क्रूर विलेन, काना बनकर दिखाई नीचता

Last Updated:March 24, 2025, 13:30 IST

हीरालाल ठाकुर बॉलीवुड के पहले विलेन थे, जिन्होंने 1928 में फिल्मों में कदम रखा और 53 साल तक नेगेटिव रोल्स में छाए रहे. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दिया.न अमरीश, न अमजद... ये है हिंदी सिनेमा का सबसे क्रूर विलेन, कभी काना तो कभी ड

बॉलीवुड का पहला विलेन, फोटो साभार IMdb

हाइलाइट्स

हीरालाल ठाकुर बॉलीवुड के पहले विलेन थे.उन्होंने 1928 में फिल्मों में कदम रखा.हीरालाल ने स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दिया.

अगर फिल्मों के खलनायक की बात हो तो आपके जहन में कौन-कौन से एक्टर्स के नाम आते हैं. यकीनन अमरीश पुरी, प्राण, अमजद खान, मदन पुरी से लेकर डैनी डेंग्जोंगपा और फिर संजय दत्त, प्रकाश राज व नवाजुद्दीन सिद्दीकी के नाम आए होंगे. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि बॉलीवुड का पहला विलेन कौन था? कौन था वो सुपरस्टार हीरो जो पहली बार फिल्मों में नेगेटिव रोल के जरिए छा गया. तो चलिए इस हीरो से आपको रूबरू करवाते हैं.

ये कोई और नहीं बल्कि हीरालाल ठाकुर थे जिन्हें हीरालाल के नाम से जानते हैं.जिन्होंने फिल्मों में 53 साल से भी ज्यादा गुजार दिए. कभी वह स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर भी देश के काम आए तो फिर हिंदी सिनेमा में भी खूब योगदान दिया. तो चलिए बताते हैं कि आखिर वह कैसे पहले विलेन कहलाते हैं.

कौन थे हीरालाल ठाकुर

heera lal
फोटो साभार IMdb

Hiralal का जन्म 1912 में पड़ोसी देश लाहौर में हुआ. वह बचपन से ही एक्टिंग के शौकीन थे. कहते तो ये भी हैं कि वह हीरो के तौर पर नहीं विलेन के तौर पर ही शुरू से काम करना चाहते थे. उन्हें रामलीला में भी रावण का रोल सबसे दिलचस्प लगता था. फिर जैसा सोचा वैसा ही हुआ. उनकी किस्मत भी उन्हें खलनायक के रोल्स में खींच लाईं और खूब शोहरत हासिल की.

हीरालाल ठाकुर की फिल्मेंहीरालाल ने एक्टिंग शुरू की नाटक के जरिए. वह पहले रामलीला किया करते थे. फिर उन्होंने साल 1928 में फिल्मों में एंट्री मारी. मतलब ये लगा लीजिए हिंदुस्तान में 1913 में पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र आई थी और चंद साल बाद ही हीरालाल भी फिल्मों में सक्रीय हो गए. उन्होंने शंकरदेव आर्या की फिल्म ‘डॉटर्स ऑफ टुडे’ से डेब्यू किया.

बॉलीवुड के पहले विलेनआपको ये जानकर हैरानी होगी कि हीरालाल की पहली फिल्म ही पाकिस्तान की पहली फिल्म बनी थी जिसके साथ लॉलीवुड की शुरुआत हुई. हीरालाल इसके बाद अब्दुर राशिद करदार की सफदर जंग में नजर आए जहां उन्होंने पठान का रोल प्ले किया. ये वो दौर था जब साइलेंट फिल्में आया करती थीं. फिर साल 1928 से 1948 तक करीब 20 फिल्मों में वह नेगेटिव रोल में दिखे. कभी एक आंख वाले गंजे आदमी के रूप में तो कभी बाबा के रूप में. हर बार उन्होंने बतौर नेगेटिव विलेन गहरी छाप छोड़ी. इस तरह वह पहले विलेन भी बन चुके थे.

इनसे बड़ा विलेन कोई नहींफिर हीरालाल कोलकाता चले आए और न्यू थिएटर्स से जुड़ गए. आगे चलकर मुंबई में उनकी पहली फिल्म बादल (1951) थी जिसमें वह सरदार के रूप में दिखे थे.फिल्म में उनके अपोजिट मधुबाला थी. जहां वह लालच में आकर सबका नाश कर देता है. फिर आगे चलकर उन्होंने डाकू से लेकर हत्यारे की भूमिका निभाकर साबित कर दिया कि उनसे बेहतर कोई ‘विलेन’ नहीं हो सकता.

बेटे की मौत और उजड़ गया परिवारहीरालाल की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने साल 1945 में दारापरानी संग शादी की. उनके 5 बेटे और एक बेटी हुई. उनके पर सबसे बुरी तब बीती जब 35 साल के जवान बेटे इंद्र, बहू और पोते का एयर इंडिय फ्लाइट 1982 के ब्लास्ट में मौत हो गई. ये बेटे वही थे जिन्हें आपने नदिया के पार फिल्म में चंदन के छोटे भाई ओमकार के रूप में देखा था.

देश का भी दिया साथहीरालाल ठाकुर ने देश की आजादी में भी भाग लिया था. 14 साल की उम्र में वह इंडियन नेशनल कांग्रेस के एक्टिविस्ट बन गए. फिर उन्होंने भगत सिंह से लेकर लाजपत राय के साथ देश का साथ दिया. साल 1981 में हीरालाल का निधन हो गया.


Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

March 24, 2025, 13:20 IST

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