न दिलीप कुमार, न शाहरुख खान, बॉलीवुड का वो ‘देवदास’ जो शराब पीकर गाता था गाना, निभाता था मां सीता का रोल

Last Updated:April 10, 2025, 18:56 IST
एक्टर कभी रेलवे में टाइमकीपर था. सेल्समैन की नौकरी भी की, लेकिन टैलेंट उन्हें बॉलीवुड खींच लाया. वे उन दुर्लभ सितारों में से एक थे, जो एक्टिंग के अलावा सिंगिंग में भी माहिर थे. वे दिलीप कुमार और शाहरुख खान से प…और पढ़ें
एक्टर ने फिल्मों में 180 से ज्यादा गाने भी गाए थे.
हाइलाइट्स
एक्टर ने 1935 की ‘देवदास’ में लीड रोल निभाया था.एक्टर रामलीला में माता सीता का किरदार निभाते थे.एक्टर ने 180 से ज्यादा गीतों को अपनी आवाज दी.
नई दिल्ली: ‘पार्वती क्या तुम मुझे भूल जाओगी…’ यह फिल्म ‘देवदास’ का डायलॉग है, जिसमें लवर की प्रेमिका से न मिल पाने की तड़प बयां होती है. हालांकि न इसे दिलीप कुमार ने बोला था और न ही शाहरुख खान ने, क्योंकि यह 1935 में आई ‘देवदास’ का डायलॉग है. इसमें हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर ने लीड रोल निभाया था. हम 11 अप्रैल 1904 में जन्मे केएल सहगल की बात कर रहे हैं, जिन्होंने अपने टैलेंट से भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमिट छाप छोड़ी है. वे ऐसे एक्टर थे, जो रामलीला में माता सीता का रोल निभाया करते हैं. आइए, कुंदन लाल सहगल के जीवन के पन्नों को पलटते हैं.
कुंदन लाल सहगल के पिता अमरचंद सहगल जम्मू और कश्मीर के राजा की अदालत में तहसीलदार थे और मां केसरबाई सहगल गृहिणी थीं. वह धार्मिक महिला थीं और अक्सर सहगल को लेकर मंदिर जाया करती थीं, जहां वह भजन-कीर्तन में शामिल होते थे. बचपन में सहगल को रामलीला में परफॉर्म करने का भी मौका मिलता था. वे रामलीला में माता सीता के किरदार को निभाते थे.
कुंदन लाल सहगल ने दोस्त की सलाह पर एक्टिंग को करियर बनाया. (फोटो साभार: IANS)
कभी बने टाइमकीपर तो कभी सेल्समैनस्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद कुंदन ने रेलवे टाइमकीपर के रूप में काम किया. बाद में उन्होंने एक कंपनी से सेल्समैन के रूप में भी जुड़े. काम के दौरान उन्हें भारत के कई जगहों पर घूमने का मौका मिला, बस फिर क्या था, उनकी किस्मत ने दोस्ती करवाई मेहरचंद जैन से जो लाहौर के अनारकली बाजार के रहने वाले थे. सिंगर के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाले कुंदन लाल सहगल को दोस्त मेहरचंद ने अपने टैलेंट को निखारने के लिए अभिनय की सलाह दी.
शराब पीने के बाद गाते थे गानाकेएल सहगल ने अपने करियर में 180 से ज्यादा गीतों को अपनी आवाज दी. उनके गीत लोग आज भी सुनना पसंद करते हैं. उन्होंने हिंदी, बंगाली के साथ उर्दू समेत अन्य कई भाषाओं में गीत गाए. हालांकि, ‘जब दिल ही टूट गया हम जीकर क्या करेंगे…’ जैसे गाने को आवाज देने वाले कुंदन के बारे में एक किस्सा मशहूर है कि वह गानों को आवाज तभी देते थे, जब उनका गला शराब से तर होता था. हालांकि, 1946 में आई फिल्म ‘शाहजहां’ का गाना ‘जब दिल ही टूट गया’ उन्होंने बिना शराब को छूए रिकॉर्ड किया था. यह गाना खूब हिट हुआ और आज भी लोग इस गाने को गुनगुनाते हैं. केएल सहगल ने इस गाने को लेकर कहा था कि मेरे अंतिम सफर में ‘जब दिल ही टूट गया’ गाना बजना चाहिए और ऐसा ही हुआ भी था.
First Published :
April 10, 2025, 18:56 IST
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न दिलीप कुमार, न शाहरुख खान, बॉलीवुड का वो ‘देवदास’ जो शराब पीकर गाता था गाने