न धरती ना आसमान, इंसानों को मिला रहने का नया ठिकाना, होगा 6 बेडरूम, 1 किचन और टॉयलेट वाला घर

Last Updated:April 10, 2025, 12:48 IST
New Human Habitat: इंसानों की इच्छा का कोई अंत नहीं. इंसानों ने साइंस में इतनी तरक्की कर ली है कि वह अंतरिक्ष में घर बसाने की बात कर रहे हैं, मगर हम कभी इस बात पर विचार नहीं किए थे कि पानी भी इंसानों का घर हो स…और पढ़ें
इंसानों को मिला रहने का नया
ठिकाना.
New Human Habitat: इंसानों को अंतरिक्ष में बसाने की बात तो चल ही रही है. मंगल हो या चांद या फिर कोई एलियन प्लानेट जहां पर इंसानों के बसाने योग्य वतावरण हो, पर बसाने की कोशिश की जा रही है. मगर पहली बार ऐसा होगा कि इंसानों को पानी के नीचे बसाया जाएगा. जी हां इसकी कोशिश शुरू हो गई है. अभी हाल में कुछ इंजीनियरों की टीम ने 100 दिन तक समंदर के अंदर रह कर आई है. अब तो पूरी दुनिया में इस पर बहस छिड़ गई है कि क्या इंसानों को पानी के अंदर बसाया जा सकता है?
दरअसल, ब्रिटेन की एक स्टार्टअप कंपनी DEEP ने इस जिम्मा उठाया है. उसका मानना है कि यह संभव है. कंपनी न सिर्फ समुद्र में बस्तियां बनाने की कोशिश कर रही है, बल्कि अगले 25 सालों में पानी के नीचे बच्चे के जन्म का सपना भी देख रही है. कंपनी का कहना है कि एक बायोमेडिकल इंजीनियर ने 100 दिन तक समुद्र में गुजारी है, अगर यह मुमकिन है, तो क्या लोग समुद्र में बनाए गए खास घरों में नहीं रह सकते हैं?
समुद्र में बस्तियों का प्लानDEEP कुछ साल पहले से “Subsea Habitats” (पानी के नीचे रहने की जगह) बनाने पर काम कर रही है. कंपनी इस साल के अंत तक पहला पानी वाला घर “वैनगार्ड” तैयार करने वाली है. यह 3D-प्रिंटेड धातु का ढांचा होगा, जो समुद्र के दबाव को झेलने में सक्षम होगा. वैनगार्ड 300 स्क्वायर फीट का होगा. 325 फीट की गहराई तक तीन गोताखोरों को ठहरा सकेगा. यह समुद्र के “सनलाइट जोन” में होगा. इसका छोटी मिशन के लिए इस्तेमाल होगा. इसके सफलता के बाद कंपनी ‘सेंटिनल्स’ नाम के बड़े घर बनाएगी. 656 फीट की गहराई पर “ट्वाइलाइट जोन” के पास होंगे. इनमें छह बेडरूम, किचन, साइंस लैब और शौचालय होंगे, ये जमीन पर बने आम घर के तरह होंगे.
पानी में पहला बच्चाDEEP ने अगले 25 सालों का प्लान बनाया है. 2035 तक दुनिया भर में 10 बड़ी बस्तियां और फिर 2050 तक पानी में पहला बच्चा पैदा करने का लक्ष्य है. पानी के नीचे रहने का विचार नया नहीं है. 1950 और 1960 के दशक में सीलैब और कॉनशेल्फ नाम के प्रोजेक्ट्स शुरू हुए थे. सीलैब में सबसे लंबा मिशन 28 दिन का था, लेकिन यह योजना आगे नहीं बढ़ी.
चुनौतियां क्या हैं?किसी दूसरे ग्रह या अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की तरह पानी के नीचे रहना आसान नहीं है. धूप की कमी खली, सतह पर लौटने की सबसे बड़ी समस्या, खून में बुलबुले बनने से डीकंप्रेशन सिकनेस, पानी में सघन हवा सांस लेने से circulatory सिस्टम पर असर भी सड़ सकता है.
First Published :
April 10, 2025, 12:48 IST
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न धरती ना आसमान, इंसानों को मिला नया ठिकाना, 6 बेडरूम, 1-1 किचन-टॉयलेट वाला घर