Neuroendocrine cancer happened twice, but did not lose courage | दो बार हुआ न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर, पर नहीं हारी हिम्मत
जयपुरPublished: Jul 08, 2023 11:43:02 pm
जयपुर। छत्तीसगढ़ के भिलाई में रहने वाली नीतू गहलोत को तीन साल में दो बार दुर्लभ न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर हुआ, उन्होंने कैंसर पर विजय भी पाई।
दो बार हुआ न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर, पर नहीं हारी हिम्मत
जयपुर। छत्तीसगढ़ के भिलाई में रहने वाली नीतू गहलोत को तीन साल में दो बार दुर्लभ न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर हुआ, जिसके इलाज के लिए उन्होंने 1200 किमी दूर जयपुर के एक डॉक्टर पर भरोसा किया और कैंसर पर विजय भी पाई।
नीतू को यह दुर्लभ कैंसर पहले पैनक्रियाज और तीन साल बाद लिवर में हुआ। लेकिन दोनों बार जटिल सर्जरी कर जीआई सर्जन डॉ. संदीप जैन ने मरीज को बचा लिया। डॉक्टर का दावा है कि दुनिया में इस तरह के गिने-चुने केस हुए हैं, जिसमें मरीज को पैनक्रियाज और लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों में न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर हुआ।
दूसरी बार लिवर में हुआ कैंसर तो छोड़ दी थी जीने की आस
नीतू गहलोत (49) को अप्रेल 2016 में पैनक्रियाज में न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर डायग्नोज हुआ था। स्थानीय डॉक्टर के रैफर किए जाने पर जब वे यहां आईं तो विपल्स नाम की बड़ी सर्जरी की, जिसमें उनके पैनक्रियाज का आधा हिस्सा हटा दिया गया। वे ठीक होकर वापस घर चली गईं। लेकिन तीन साल बाद ही 2019 में उन्हें दोबारा यही कैंसर लिवर के बीच में हो गया। इस बार नीतू अपने जीने की आस पूरी तरह छोड़ चुकी थीं। इस दौरान उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वे काफी अवसाद में चली गईं। 2023 तक उनका कैंसर ट्यूमर काफी बढ़ गया था और लगातार पेट दर्द, उल्टियां, सांस लेने में तकलीफ, छह माह में 10 किलो वजन कम होने जैसे लक्षण भी काफी बढ़ गए थे। ऐसे में उनके पति उन्हें दोबारा यहां जयपुर लाए। उनकी काउंसिलिंग के बाद सर्जरी के लिए तैयार किया गया।