‘दशरथ मांझी’ से कम नहीं भीलवाड़ा का ये शख्स, पत्नी की मौत के बाद ठान लिया एक ऐसा काम, जो बन गया मिशाल
भीलवाड़ा:- एक छोटे से गांव में किसी भी व्यक्ति की इलाज के अभाव में मौत ना हो, इस नजरिए को देखते हुए भीलवाड़ा के रहने वाले शांतिलाल जैन ने एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है. भीलवाड़ा के रहने वाले शांतिलाल जैन अपनी पत्नी की स्मृति में अपने गांव में करोड़ों रुपये की लागत से अस्पताल बनवा रहे हैं.
भीलवाड़ा जिले के बरड़ोद निवासी शांतिलाल जैन ने अपनी पत्नी की स्मृति में 2.50 करोड़ रुपए की लागत से पंचरत्न हॉस्पिटल का निर्माण शुरू कराया है. यह अस्पताल 5 बीघा भूमि पर बन रहा है, जो पूरी तरह अति आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से पूर्ण रहते हुए आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा. भीलवाड़ा के व्यापारी शांतिलाल जैन ने कोरोना काल में अपनी पत्नी रतनदेवी जैन को खो दिया था. इस दुखद घटना ने उन्हें गांव में बेहतर चिकित्सा सुविधा की कमी को दूर करने की प्रेरणा दी है.
अस्पताल को एंबुलेंस देने का भी निर्णयशांतिलाल जैन ने न केवल अस्पताल के लिए भूमि और राशि का प्रबंध किया है, बल्कि अपनी पांच बेटियों के साथ मिलकर एक एंबुलेंस भी अस्पताल को देने की घोषणा की है. उनका कहना है कि अस्पताल में ऐसे उपकरण लगाए जाएंगे, जिससे मरीजों को गांव के पास ही बेहतर इलाज मिल सके. इसके अलावा, 24 घंटे सेवा उपलब्ध करवाने के लिए डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी खुद के खर्च पर नियुक्त किए जाएंगे.
कोरोना के दौरान पत्नी की मौतशांतिलाल जैन ने लोकल 18 से खास बात करते हुए बताया कि कोरोना के समय में मेरी पत्नी को कोरोना हो गया था. इलाज के लिए हम उसे अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिलने से उसकी मृत्यु हो गई. जिसके बाद से मैंने ठान लिया कि गांव में किसी व्यक्ति की इलाज के अभाव में मौत नहीं होनी चाहिए. इसको देखते हुए मैंने अस्पताल बनवाने का सोचा है. बरड़ोद में पहले केवल एक सब-सेंटर था. जब उन्होंने इसे पीएचसी में अपग्रेड करने का प्रस्ताव सरकार को दिया, तो इसे मंजूरी नहीं मिली. लेकिन खुद के खर्च पर अस्पताल का निर्माण कराने के प्रस्ताव के बाद इसे मंजूरी दी गई.
अब अस्पताल में पार्किंग, रेस्ट एरिया और पार्क जैसी सुविधाएं भी बनाई जा रही हैं. अस्पताल का निर्माण तेजी से हो रहा है और जल्द ही इसका उद्घाटन किया जाएगा. इस अस्पताल को नाम पंचरतन हॉस्पिटल का दिया गया है. पंचरतन हॉस्पिटल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आसपास के गांवों के लोगों को इलाज के लिए शहरों का रुख न करना पड़े.
इस तरह मन में अस्पताल बनवाने का आया ख्याल दरअसल शांतिलाल जैन की पत्नी रतन देवी के कोरोना काल के दौरान मौत हो गई थी. उस समय उनके परिवार को कोरोना हुआ था, लेकिन समय रहते इलाज नहीं मिलने और उदयपुर इलाज के लिए जाते समय पत्नी की मौत होने का गम उन्हें कुछ इस कदर बैठ गया कि उन्होंने ठान लिया कि अब गांव के किसी व्यक्ति की इलाज के अभाव में मृत्यु नहीं होने देंगे. जिसकी वजह से उन्होंने अपने गांव बरदोड़ में ही करीब 5 बीघा जमीन पर एक बड़ा अस्पताल बनाने का जिम्मा उठाया है.
इतना ही नहीं, इस नेक कार्य में उनकी पांच बेटियां भी पीछे नहीं हैं और वह भी सामूहिक रूप से एक एंबुलेंस अस्पताल को दे रही हैं. शांतिलाल जैन का अपने पत्नी के प्रति ऐसा प्यार काबिल ए तारीफ है, जो उनके चले जाने के बाद भी जिंदा है और आने वाले दिनों में एक अस्पताल बनाने के बाद यह एक मिसाल बन जाएगा.
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प्रशासन भी कर रहा तारीफ स्थानीय उपखंड अधिकारी नेहा छीपा ने कहा कि मुंबई के व्यापारी और इसी गांव के मूल निवासी शांतिलाल जैन गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को आधुनिक और विकसित कर रहे हैं. इसके तहत वह पांच बीघा जमीन पर अपनी पत्नी की स्मृति में अस्पताल बनवा रहे हैं. इसमें अत्याधुनिक सुविधा और 24 घंटे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध रहेगी. एक तरह से यह आसपास के 15 से 16 गांव के लिए फायदेमंद साबित होगा. इससे ग्रामीणों को तुरंत इलाज मुहैया हो पाएगा.
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FIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 08:40 IST