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Nobel Peace Prize: कौन हैं कोरिना मचाडो, जिन्हें कहा जाता है वेनेजुएला की ‘आयरन लेडी’… मिला नोबेल शांति पुरस्कार

Last Updated:October 11, 2025, 13:15 IST

Maria Corina Machado: मारिया कोरिना मचाडो वेनेजुएला की मुख्य विपक्षी नेता हैं. उन्हें देश में तानाशाह सरकार के खिलाफ लोकतांत्रिक संघर्ष और तानाशाही के खिलाफ बहादुरी के लिए 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मिलेगा.

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कौन हैं मचाडो, जिन्हें कहा जाता है ‘आयरन लेडी’... मिला नोबेल शांति पुरस्कारमारिया कोरिना मचाडो ने वेनेज़ुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने में बिना थके काम किया है.

Nobel Peace Prize: वेनेजुएला की मुख्य विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को शुक्रवार को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गयी. कोरिना मचाडो लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने में अपने योगदान के लिए वेनेजुएला में ‘आयरन लेडी’ के नाम से मशहूर हैं. उन्हें टाइम पत्रिका की ‘2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों’ की सूची में शामिल किया गया था. लेकिन कोरिना मचाडो फिलहाल किसी अज्ञात स्थान पर छिपी हुई हैं. पिछले साल वेनेजुएला में हुए चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने व्यापक रूप से धांधली की थी. जिसका मारिया कोरिना मचाडो ने जमकर विरोध किया था. उसके बाद से ही उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है. शांति पुरस्कार, वार्षिक नोबेल पुरस्कारों में से एकमात्र पुरस्कार है जो ओस्लो, नॉर्वे में प्रदान किया जाता है.

नोबेल समिति ने कहा कि वह मारिया कोरिना मचाडो को यह पुरस्कार इसलिए दे रही है क्योंकि उन्होंने वेनेज़ुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने में बिना थके काम किया है. साथ ही तानाशाही के खिलाफ लोकतंत्र के लिए न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण बदलाव लाने के लिए संघर्ष किया है. समिति ने मचाडो की तारीफ करते हुए उन्हें “शांति की बहादुर और समर्पित चैंपियन” बताया, जो “बढ़ते अंधेरे (तानाशाही) के समय भी लोकतंत्र की रोशनी को जलाए रखती हैं.”

उत्पीड़न और धमकियों का सामनावेनेज़ुएला की सबसे प्रमुख लोकतंत्र समर्थकों में से एक मचाडो को राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार के तहत उत्पीड़न और बार-बार धमकियों का सामना करना पड़ा है. पिछले एक साल से उन्हें छिपकर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है. लेकिन उन्होंने देश के अंदर विपक्षी दलों के प्रयासों का समन्वय जारी रखा है. नोबेल समिति ने अपने बयान में कहा, “जब अधिनायकवादी सत्ता हथिया लेते हैं, तो आजादी के उन साहसी रक्षकों को पहचानना बेहद जरूरी है जो उठ खड़े होते हैं और प्रतिरोध करते हैं. लोकतंत्र उन लोगों पर निर्भर करता है जो चुप नहीं रहते, जो गंभीर जोखिम के बावजूद आगे बढ़ने का साहस करते हैं और जो हमें याद दिलाते हैं कि आजादी को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए, बल्कि हमेशा उसकी रक्षा करनी चाहिए – शब्दों से, साहस से और दृढ़ संकल्प से.”

चुनाव में भाग लेने से रोका गया56 वर्षीय पूर्व सांसद और मादुरो की लंबे समय से आलोचक रहीं मचाडो को विपक्ष की प्राइमरी जीतने के बावजूद वेनेज़ुएला के 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने से रोक दिया गया था. उनको अयोग्य घोषित किए जाने की पश्चिमी सरकारों और मानवाधिकार समूहों ने निंदा की थी. नोबेल समिति ने कहा कि खतरों के बावजूद वेनेजुएला में बने रहने के मचाडो के फैसले ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है. समिति ने एक बयान में कहा, “मारिया कोरिना मचाडो ने दिखाया है कि लोकतंत्र के उपकरण शांति के उपकरण भी हैं. वह एक अलग भविष्य की आशा का प्रतीक हैं, जहां नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाती है और उनकी आवाज सुनी जाती है.”

नागरिक समूह सुमाते की स्थापना की वेनेजुएला का एक समय समृद्ध लोकतंत्र मादुरो के नेतृत्व में सत्तावादी शासन में बदल गया, जिनकी सरकार ने विरोधियों को जेल में डाल दिया है, प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया है. देश आर्थिक पतन की ओर बढ़ रहा है, जिसके कारण लगभग 8 मिलियन लोग देश छोड़कर भागने को मजबूर हो गए हैं. मचाडो ने चुनावों पर नजर रखने और लोकतांत्रिक भागीदारी की वकालत करने के लिए दो दशक से भी अधिक समय पहले नागरिक समूह सुमाते की स्थापना की थी. पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने से रोके जाने के बाद उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार एडमंडो गोंजालेज उरुतिया का समर्थन किया, जिन्होंने स्वतंत्र मतगणना के अनुसार मादुरो को हराया था. सरकार ने परिणाम को मान्यता देने से इनकार कर दिया.

उनकी सुरक्षा को लेकर उठे सवालवर्तमान में छिपी हुई एक हस्ती को सम्मानित करने के निर्णय से उनकी सुरक्षा को लेकर तत्काल प्रश्न उठ खड़े हुए हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या यह पुरस्कार उनके सामने आने वाले जोखिमों को बढ़ा सकता है, नोबेल समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने इस दुविधा को स्वीकार किया. उन्होंने कहा, “आप अब समिति के काम की कुछ सबसे कठिन दुविधाओं पर बात कर रहे हैं. खासकर तब जब पुरस्कार पाने वाला अपनी जान को गंभीर खतरे के कारण छिपा हुआ हो. हम इस बात पर भी विचार कर रहे हैं कि यह पुरस्कार उवके उद्देश्य का समर्थन करेगा, न कि उन्हें सीमित करेगा.” जब उनसे पूछा गया कि क्या मचाडो दिसंबर में होने वाले पुरस्कार समारोह के लिए नॉर्वे की यात्रा कर पाएंगी, तो रीस-एंडरसन ने कहा, “यह कहना अभी जल्दबाजी होगी.” उन्होंने कहा, “हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि पुरस्कार विजेता ओस्लो में हमारे साथ होंगे. लेकिन यह एक गंभीर सुरक्षा स्थिति है, जिसे संभालना जरूरी है.”

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New Delhi,Delhi

First Published :

October 10, 2025, 21:06 IST

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