स्ट्रोक के बाद अब नहीं जाएगी लोगों की जान, चमत्कारी दवा से खुल जाएगा ब्लड क्लॉट, ट्रायल में बेहद प्रभावकारी
New Stroke Drugs: स्ट्रोक दो तरह से हो सकता है. पहला हार्ट के बंद होने से दिमाग में ऑक्सीजन नहीं पहुंचता है और दूसरा किसी इंज्युरी की वजह से खून की नलियां ब्लॉक हो जाती है या फट जाती है जिसके कारण इंटरनल ब्लीडिंग होती है और ऑक्सीजन की सप्लाई ब्रेन तक नहीं होती. इन दोनों स्थितियों में ब्रेन में ऑक्सीजन नहीं पहुंचती जिसके कारण ब्रेन सेल्स कुछ मिनटों में डेड होने लगते हैं. इस स्ट्रोक के कारण हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है. पर अब ऐसी दवा है कि स्ट्रोक होने पर इसे खाने के बाद शीघ्रता से ब्लड क्लॉट को खत्म कर देती है और ऑक्सीजन की सप्लाई पहले की तरह होने लगती है.
जल्द मिलेगी मंजूरीडेली मेल की रिपोर्ट में इस दवा का नाम टिनेक्टोप्लेज (Tenecteplase) है. इसे क्लॉट बस्टिंग थेरेपी कहते हैं. दवा का ट्रायल बहुत सफल रहा है. टिनेक्टोप्लेज स्ट्रोक के कारण क्लॉट हुए ब्लड को तोड़ देती है और इसके बाद फिर से खून में थक्का न जम जाए इसे भी रोकती है. इस तरह खून जल्द ही फिर से दिमाग में पहुंचने लगता है जिसके कारण ऑक्सीजन की सप्लाई होने लगती है. रिपोर्ट के मुताबिक इस दवा को जल्द ही ब्रिटेन में मरीजों को दी जाएगी. इसके लिए जल्द ही एनएचएस की मंजूरी मिलने की संभावना है. शोधकर्ताओं ने बताया कि यह दवा वर्तमान में उपलब्ध स्ट्रोक की दवा एल्टीप्लेज की तरह ही प्रभावकारी है. लेकिन टिनेक्टोप्लेज उससे ज्यादा सस्ती है. इससे हर साल करोड़ों रुपये की बचत होगी.
ब्लड क्लॉट को तोड़ देती है दवाटिनेक्टोप्लेज से इश्चेमिक स्ट्रोक का इलाज किया जाएगा. जैसे ही स्ट्रोक के लक्षण दिखेंगे वैसे ही इस दवा को मरीज में दे दी जाएगी. दरअसल, यह दवा प्लासमिन एंजाइम के प्रोडक्शन को बढ़ा देता है. यह एंजाइम ब्लड क्लॉट को तोड़ देता है. इससे ब्लड फ्लो दोबारा शुरू हो जाता है और ब्रेन की ऑक्सीजन की सप्लाई होने लगती है. हालांकि अध्ययन में पाया गया है कि ब्लड क्लॉट को तोड़ने में पहले से जो दवा है उससे कहीं बेहतर टिनेक्टोप्लेज काम करती है. यह दवा एल्टीप्लेज का ही मॉडिफाइड रूप है. लेकिन यह एक खास प्रोटीन को लक्ष्य कर प्लासमिन एंजाइम के प्रोडक्शन को बढ़ा देता है. इस दवा का इस्तेमाल हार्ट अटैक की स्थिति में भी किया जाता है. अगर हार्ट अटैक के लक्षण दिखने के 6 घंटे के अंदर यह दवा दी जाए तो मरीज की जान बच सकती है. स्ट्रोक के कारण हर साल दुनिया भर में हजारों लोगों की जान चली जाती है. इनमें 85 प्रतिशत के कारण इश्चेमिक स्ट्रोक आता है.
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FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 16:28 IST