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अब भारत की जगह चीन में करेंसी क्यों छपवाता है नेपाल, कैसे चाइना दुनियाभर में करेंसी प्रिंटिंग में नंबर वन

कुछ सालों पहले नेपाल के नोट भारत में छपा करते थे. लंबे समय नेपाल यहीं पर अपनी करेंसी छपवाता रहा है लेकिन 2015 से उसने ये काम चीन में कराना शुरू कर दिया. केवल नेपाल ही क्यों भारत के जितने पड़ोसी हैं, वो सभी अपनी करेंसी चीन में ही छपवाने लगे हैं.

नेपाल की करेंसी पहले भारत में छपती थी. ये काम करीब 2015 तक चलता रहा. फिर नेपाल ने चीनी कंपनी को नोट छापने का ठेका देने का निर्णय लिया, जिसका मुख्य कारण ग्लोबल टेंडर प्रक्रिया में सबसे कम बोली और आधुनिक तकनीक थी. हालांकि इसका बड़ा कारण राजनीतिक भी है. नेपाल ने अपने नोटों में देश का वो संशोधित नक्शा भी शामिल किया है, जिसमें भारत के विवादित क्षेत्र शामिल हैं. इस वजह से भी उसने चीनी कंपनी को चुना.

क्यों भारत में नोट छपवाना बंद किया 

नेपाल ने विवादित नक्शे के साथ जारी नए नोट में लिपुलेख, लिम्पियाधुरा, कालापानी को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है. भारत राजनीतिक विवाद को देखते हुए ऐसे नोटों को छापने पर सहमत नहीं था, इसीलिए नेपाल को विकल्प खोजना पड़ा. चीन की कंपनी ने सस्ता और सुरक्षित छपाई का प्रस्ताव दिया और आधुनिक सुरक्षा फीचर्स देने का आश्वासन दिया, जिससे नेपाल ने चीन को चुन लिया.​

नेपाल की करेंसी भारतीय सुरक्षा प्रेस, नासिक में 1945 से लेकर 1955 तक छपी. बाद के दशकों में नेपाल ने नोट छपाई के लिए अन्य विकल्प भी तलाशने शुरू किए. लेकिन उसकी कुछ करेंसी भारत में छपती रही. ये सिलसिला 2015 तक चला. इसके बाद अब पूरी तरह खत्म हो चुका है.

ज्यादातर एशियाई देश चीन में छपवाते हैं नोट

वैसे चीन अब एशियाई देशों की करेंसी छपाने में बड़ा केंद्र बन चुका है. नेपाल के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, थाईलैंड और कुछ हद तक अफगानिस्तान भी अपनी करेंसी चीन में छपवाते हैं.

नेपाल की करेंसी अब चीन की सरकारी कंपनी चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन (China Banknote Printing and Minting Corporation) में छपती है. नेपाल राष्ट्र बैंक ने हाल ही में 1,000 रुपये के 43 करोड़ नोटों की डिजाइन और छपाई का ठेका इसी कंपनी को दिया है. परियोजना की कुल लागत करीब 1.6985 करोड़ डॉलर बताई गई है. नेपाल में नोट छापने की सीमित क्षमता ही है, इसी वजह से अब वह अपने ज्यादातर नोट बाहर ही छपवाता है.

कैसी है चीन की नोट छपाई

चीन में करेंसी छपवानी सुरक्षा और गुणवत्ता के लिहाज से काफी उन्नत और बेहतर मानी जाती है. चीन की प्रमुख नोट छपाई कंपनी, चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन आधुनिक सुरक्षा तकनीक जैसे वाटरमार्क, होलोग्राफिक फीचर्स, सिक्योरिटी थ्रेड, कलर शिफ्टिंग इंक आदि का इस्तेमाल करती है. चीन ने अपनी सुरक्षा तकनीक में हाल ही में “कलरडांस” नामक होलोग्राफिक फीचर भी विकसित किया है, जिससे नोटों की जालसाजी रोकने में मदद मिलती है और लागत भी नियंत्रित रहती है.

चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन को “चीन का मिंट” कहा जाता है. इसकी स्थापना 1948 में हुई थी. इस कंपनी के पास कई प्रिंटिंग प्रेस और मिंट शामिल हैं. ये चीन के कई शहरों में हैं. इस कंपनी में लगभग 30,000 से 40,000 कर्मचारी काम करते हैं, जिसमें डिजाइनर, इंजीनियर, टेक्निशियन, गुणवत्ता नियंत्रण विशेषज्ञ और सुरक्षा कर्मी शामिल हैं.

दुनिया में करेंसी नोट छापने वाली बड़ी सरकारी कंपनियां 

1. चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन (CBPMC) – ये चीन की कंपनी है. ये दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी प्रिंटिंग कंपनी भी है. ये कई विकासशील देशों को अपनी सेवाएं देती है.

2. नेशनल प्रिंटिंग ब्यूरो (NPB) – ये जापान की कंपनी है. जापानी येन के नोट छापती है. इसकी तकनीक और सुरक्षा विशेषताएं बहुत उच्च स्तर की हैं.

3. गोजनेसेन्ट्र (Goznak) – ये रूस की कंपनी है. ये न केवल रूसी रूबल, बल्कि कई अन्य देशों विशेषकर पूर्व सोवियत देशों के लिए भी नोट छापती है. यह सुरक्षा दस्तावेजों के उत्पादन में भी माहिर है.

4. बैंक ऑफ इंग्लैंड प्रिंटिंग वर्क्स (अब चीन के डे ला रू के स्वामित्व में) – ये अब प्राइवेट कंपनी है. जिसका प्रिंटिंग सेटअप यूनाइटेड किंगडम में है. ये कंपनी 2013 में फ्रांसीसी कंपनी डे ला रू द्वारा खरीदी गई, फिर इसे चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ने खरीद लिया.

5. यूएस ब्यूरो ऑफ एंग्रेविंग एंड प्रिंटिंग – ये संयुक्त राज्य अमेरिका की कंपनी है. ये अमेरिकी डॉलर के नोट छापती है. दुनिया की सबसे बड़ी मुद्रा प्रिंटिंग सुविधाओं में एक है, लेकिन यह केवल अमेरिकी मुद्रा के लिए ही नोट छापती है, दूसरे देशों के लिए नहीं.

6. इंडिया सिक्योरिटी प्रेस – ये सरकारी भारतीय कंपनी है, जो भारतीय रुपया छापती है। ये सभी भारत सरकार के स्वामित्व में हैं और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए काम करती हैं.

बड़ी प्राइवेट कंपनियां

1. डे ला रू – ये दुनिया की बैंक छापने वाली सबसे बड़ी प्राइवेट बैंकनोट प्रिंटर है. ये करीब 140 देशों की मुद्रा छापती है. साथ ही पासपोर्ट और डाक टिकट भी छापती है इसके करेंसी प्रिटिंग कारोबार को चीन ने खरीद लिया है.

2. गीसेके & डेव्रिएंट – ये जर्मनी की प्राइवेट कंपनी है, जो सुरक्षा प्रिंटिंग और बैंकनोट उत्पादन में विश्व में बड़ी कंपनी मानी जाती है. ये यूरो सहित कई देशों के नोट छापती है. अपनी उन्नत सुरक्षा तकनीकों के लिए जानी जाती है.

3. ओबेरथुर – एक प्रमुख फ्रेंच कंपनी है जो 50 देशों के लिए बैंकनोट प्रिंट करती है. ये उच्च गुणवत्ता और नवीन सुरक्षा विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करती है.

4. काना – ये स्वीडन की कंपनी है लेकिन इसका स्वामित्व अब अमेरिकी कंपनी क्रेन के पास है. यह न केवल नोट छापती है, बल्कि बैंकनोट के लिए विशेष सुरक्षा कागज और स्याही भी बनाने में माहिर है. इसने अमेरिकी डॉलर के लिए कागज बनाया है. कई अन्य देशों को अपनी सेवाएं देती है.

5. फोर्टरैस – ये ऑस्ट्रेलिया की प्राइवेट कंपनी है, जो पॉलिमर प्लास्टिक नोट प्रिंटिंग में माहिर है. कई देश जो पॉलिमर करेंसी की ओर बढ़ रहे हैं, उनके लिए यह एक महत्वपूर्ण नोट छापने वाली कंपनी है.

कैसे चीन इस कारोबार में नंबर वन बन गया

दरअसल चीन की सरकारी कंपनी चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन (CBPMC) ने डे ला रू की प्रिंटिंग कंपनी को खरीदा, इसके बाद इसने दुनिया में करेंसी प्रिंटिंग में नंबर वन की जगह हासिल कर ली. डे ला रू एक ब्रिटिश कंपनी थी. दुनिया की सबसे बड़ी कामर्शियल बैंकनोट प्रिंटर थी. ये करीब 140 देशों की करेंसी छापती थी, जिसमें ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग जैसी प्रमुख मुद्राएं भी शामिल थीं.

CBPMC ने सीधे तौर पर डे ला रू की पूरी कंपनी नहीं खरीदी बल्कि, 2013 में डे ला रू ने अपने बैंकनोट प्रिंटिंग व्यवसाय को बेचने का फैसला किया. इस व्यवसाय को खरीदने के लिए CBPMC की एक सहायक कंपनी चाइना ग्रॉप विंगर्ट प्रिंटिंग कंपनी लिमिटेड आगे आई. 2015 में, चाइना ग्रॉप ने आधिकारिक तौर पर डे ला रू के बैंकनोट प्रिंटिंग व्यवसाय को लगभग £20 मिलियन (करीब 200 करोड़ रुपये) में खरीद लिया. इस डील में डे ला रू की यूके स्थित प्रिंटिंग प्रेस, तकनीक, डिजाइन और उसके ग्राहक शामिल थे.

इसके बाद CBPMC के पास डे ला रू के जरिए यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया के विकसित और विकासशील देशों का कारोबार भी आ गया. इसने एक ही झटके में CBPMC के बाजार हिस्सेदारी को दोगुने से भी ज्यादा कर दिया. डे ला रू एक वैश्विक ब्रांड है, जिस पर दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों को भरोसा है.

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