Sar Tan Se Juda Case : आरोपियों के बरी होने के बाद सवालों के घेरे में पुलिस, अब सरकार के पास क्या है विकल्प?

अशोक सिंह भाटी.
अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती दरगाह पर ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगाने के आरोप में मौलवी गौहर चिश्ती समेत छह आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. अजमेर दरगाह थाना पुलिस कोर्ट में जरूरी सबूत पेश ही नहीं कर पाई. जांच में कई गंभीर खामियां सामने आईं. 2 साल तक कोर्ट में ट्रायल चला. 22 गवाह और 32 दस्तावेज पेश किए गए. दरगाह थाने में जून 2023 मुकदमा दर्ज किया गया था.
सरकारी वकील गुलाम नजमी फारूकी का कहना है कि कोर्ट ने पूरा जजमेंट आउट नहीं किया है, सिर्फ अनाउंस किया है. सभी छह आरोपियों को सभी धाराओं में बरी कर दिया गया है. पूरा जजमेंट देखने के बाद हाईकोर्ट में अपील करेंगे. पुलिस ने कोर्ट में जो सबूत पेश किए गए, उन्हें पर्याप्त नहीं माना गया. इसी आधार पर कोर्ट ने छह आरोपियों को बरी कर दिया. सवाल उठता है कि राजस्थान सरकार के पास इस केस में क्या कानूनी विकल्प हैं. इस संबंध में न्यूज 18 ने अजमेर के सीनियर वकील जयप्रकाश शर्मा से बात की.
वरिष्ठ वकील के अनुभव का लाभ लेकर प्रक्ररण में संजीदगी कायम की जाएशर्मा के अनुसार ‘तत्कालीन सरकार अगर चाहती है कि इस तरह के गंभीर अपराधों में प्रभावी पैरवी की जाए तो किसी वरिष्ठ वकील के अनुभव का लाभ लेकर प्रक्ररण में संजीदगी कायम की जाए. पहले भी ऐसे बहुत से उदाहरण रहे हैं कि राज्य सरकार अपनी तरफ से किसी वरिष्ठ वकील को विशिष्ट लोक अभियोजक के तौर पर एक प्रकरण में पैरवी करने के लिए बुलाती रही है. एडीपी स्तर के जो लोक अभियोजक होते हैं। उन्हें भी पैरवी के लिए हिदायत दी जाती रही है. जैसे हाल ही में ब्लैकमेल कांड का एक केस चल रहा है. उसमें संबंधित न्यायालय के लोक अभियोजक पैरवी नहीं करता. उसमें एडीपी स्तर का अधिकारी आकर केस की पैरवी करता है. उनको अभियोजन की तरफ से पैरवी करने का अच्छा अनुभव था। अगर उन्हें प्रकरण में शामिल किया जाता तो फैसला कुछ और होता.’
हाईकोर्ट में अपील किए जाने पर कुछ उम्मीद जरूर हैउन्होंने आगे कहा, ‘कोर्ट में जो साक्ष्य पेश हुए हैं, वे कानून की दृष्टि में चलने योग्य योग्य नहीं है. हाईकोर्ट में अपील किए जाने पर कुछ उम्मीद जरूर है. अपर लोक अभियोजक अपनी रिपोर्ट बनाकर अभियोजन विभाग को देंगे. जिला मजिस्ट्रेट उसमें विचार करेंगे. कानून विभाग से राय लेंगे. इसके बाद आवेदन गृह विभाग में भेजेंगे. फिर अपील हाईकोर्ट में फाइल होगी.’
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FIRST PUBLISHED : July 20, 2024, 06:38 IST