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युवराज सिंह का चैंपियंस ट्रॉफी 2000 में शानदार डेब्यू

Last Updated:February 14, 2025, 14:15 IST

चैंपियंस ट्रॉफी की चर्चा हर तरफ हो रही है हर जगह ये बात हो रही है कि टीम 2013 जैसी जीत हासिल करेगी या 2000 जैसे एक शेर खिलाड़ी लेकर लौटेगी जो बाद में भारत को दो वर्ल्ड कप जिताने में कामयाब रहा. साल 2000 नैरोबी …और पढ़ें25 पहले इस टूर्नामेंट में किससे भिड़ गया था भारतीय क्रिकेट का शेर ?

ऑस्ट्रेलिया के फील्डर्स को लगा कि वो बंदूक से निकली गोली को पकड़ रहे है

हाइलाइट्स

2000 चैंपियंस ट्रॉफी में युवराज सिंह ने शानदार डेब्यू किया.युवराज ने 80 गेंदों में 84 रन बनाए और बेहतरीन फील्डिंग की.2007 और 2011 वर्ल्ड कप जीत में युवराज का अहम योगदान रहा.

नई दिल्ली. हर चैंपियंस ट्रॉफी में भारत का सफर कैसा भी रहा हो पर साल 2000 में खेला गया ये टूर्नामेंट भारतीय फैंस कभी नहीं भूलेंगे. 19 साल का एक लड़का जो अंडर-19 टीम से सीधे भारतीय टीम में बुलाया गया उसके तेवर की पहली झलक फैंस को मिलने वाली थी . भारतीय टीम वैसे तो सितारों से सजी थी पर एक खिलाड़ी ऐसा था सितारा बनने की तरफ अपने पहले कदम बढ़ाने वाला था.

19 साल की उम्र से कुछ महीने दूर, युवराज इस साल की शुरुआत में अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा थे. अब वह बड़े लड़कों के साथ अपना कौशल दिखाने के लिए पूरी तरह तैयार थे. पहले ही मैच में युवराज को आग का दरिया पार करना था क्योंकि सामने तब सामना ग्लेन मैकग्राथ, जेसन गिलेस्पी और शेन वॉर्न जैसे खिलाड़ियों का करना था ।कई लोग इसे एक चैलेंज मान रहे , पर युवराज के लिए यह एक अवसर बन गया.

शेर पर सवार होकर आया शिकारी 

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में अच्छी शुरुआत के बाद तीन विकेट गिर चुके थे ते तब एक खिलाड़ी ने मैदान पर कदम रखा . कालर उनके आत्मविश्वास की तरह आसमान की तरफ था और वो इस बात से बेफिक्र थे कि सामने इतनी बड़ी टीम है . बाएं हाथ के ये बल्लेबाज तय करके आया था कि वो ईंट का जवाब पत्थर से देगा. युवराज का आते ही स्वागत बाउंसर से हुआ पर उन्होने डरने  इनकार कर दिया और लगातार रन बनाए और फिर अपनी इच्छानुसार रन बनाने की गति भी बढ़ाई. चाहे बाउंड्री हो या विकेटों के बीच तेजी से रन बनाना, वह अपने खेल में टॉप  पर थे. युवराज जब तक क्रीज पर रहे  दुनिया का सबसे अच्छा गेंदबाजी आक्रमण साधारण लग रहा था. उन्होंने बीच के ओवरों में भारत को संभाला और बाद के चरणों में रन लुटाए। उनके शॉट बेहतरीन थे और उनमें स्टाइलिश बैट्समैन बनने  की झलक थी.  वह अपनी उम्र से कहीं ज़्यादा परिपक्वता दिखा रहे थे और आक्रमकता भी.  ऑस्ट्रेलिया उन्हें किसी भी तरह से परेशान नहीं कर सका. वास्तव में, वे शतक के लिए तैयार दिख रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ युवराज ने 80 गेंदों में 12 चौकों की मदद से 84 रन बनाए. उनकी पारी की बदौलत भारत ने 265/9 का स्कोर बनाया. लेकिन अभी उनका प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ था. फील्डिंग के दौरान युवराज ने इयान हॉर्वी का शानदार कैच पकड़ा और एक बल्लेबाज को रनआउट भी किया. ये शायद उस मूवी का ट्रेलर था जिसकी पूरी मूवी अगले 10 साल भारतीय फैंस देखने वाले था.

युवराज का राज 

2000 में डेब्यू के बाद अगले  एक दशक में युवराज ने  कुछ शानदार पारियाँ खेलीं और एक ओवर में छह छक्के भी लगाए. उनकी गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण ने भी मैच जीतने में मदद की. एक समय में उन्हें वनडे और टी20 में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ फ़िनिशर माना जाता था. 2007 और 2011 वर्ल्ड कप जिताने में युवराज के रोल को कौन भूल सकता है . ये अलग बात है कि युवराज टेस्ट में वही प्रदर्शन कभी दोहरा  नहीं पाए.2011 वर्ल्ड कप जीतने के बाद  युवराज को कैंसर के इलाज के कारण ब्रेक लिया और 2012 में वापसी की.  लेकिन दुख की बात है कि वह उस खिलाड़ी की परछाई मात्र रह गए जो वह पहले थे. अच्छी पारियों के बीच बड़े अंतराल के कारण, उन्होंने चयनकर्ताओं का समर्थन खो दिया और 2017 के बाद कभी नहीं खेले. पर आज भी जब भी की बड़े टूर्नामेंट में शानदार डेब्यू का जिक्र होता है तो बरबस जेहन में चैंपियंस ट्रॉफी और युवराज सिंह जेहन में आते है.


Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

February 14, 2025, 14:11 IST

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25 पहले इस टूर्नामेंट में किससे भिड़ गया था भारतीय क्रिकेट का शेर ?

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