Rajasthan
खतरनाक बीमारी से जूझ रही बीकानेर की मासूम, जान बचाने चाहिए 16 करोड़ रुपये


गंभीर बीमारी से पीड़ित है मासूम.
राजस्थान (Rajasthan) के बीकानेर (Bikaner) के चूनगरान मोहल्ले में सात माह की एक बच्ची स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal muscular atrophy) नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मिली है.
बीकानेर. राजस्थान (Rajasthan) के बीकानेर (Bikaner) के चूनगरान मोहल्ले में सात माह की एक बच्ची स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal muscular atrophy) नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मिली है. इस बच्ची के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की सख्त जरूरत है. अगर जल्द ही नूर फातिमा को यह इंजेक्शन नहीं लगाया गया तो नूर की जान को खतरा भी हो सकता है. नूर फातिमा के पिता जीशान अहमद रंग-पेंट करके परिवार का पेट पालता है. नूर फातिमा के चाचा इनायत अली ने कहा की जन्म के तीन महीने बाद जब बेटी नूर फातिमा पैर नहीं उठा पा रही थी तो उन्होंने डॉक्टरों से संपर्क किया. बेटी को जयपुर में जेके लोन अस्पताल ले गए, जहां जांच के बाद फातिमा को एसएमएस टाइप-1 से पीड़ित बताया गया. तब से वह बेटी के इलाज के लिए परेशान हैं. पिता जीशान और मां नर्गिस का कहना है कि वह इतना पैसा नहीं कमा सकते कि नूर फातिमा के लिए 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन खरीद सकें. कोरोना के कारण काम काज भी बंद पड़ा है. उन्होंने बेटी की जान बचने के लिए प्रधानमंत्री सहित भामाशाहो से मदद की गुहार लगाई है. मां नर्गिस ने कहा की इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की पहले भी मदद हुई है तो उनकी बेटी की मदद हो जाए तो उसकी जान बच जाए. चिकित्स्कों की राय स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी टाइप-1 एक दुर्लभ बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की मांसपेशियां कमजोर होती हैं. स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है. बच्चा पूरी तरह से निष्क्रिय सा हो जाता है. भारत में इसका कोई इलाज अभी तक नहीं है. विदेशों में इलाज इतना महंगा है कि हर कोई अफोर्ड नहीं कर पाता. इसलिए डेढ़-दो साल में इस बीमारी के पीड़ित बच्चों की मौत हो जाती है.