On Holi the city walls are decorated with Mandana this art is years old – News18 हिंदी

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. पाश्चात्य संस्कृति और आधुनिकीकरण के दौर में अब होली के त्योहार पर बरसों पुरानी संस्कृति जीवित हो रही है. यही वजह है कि राजस्थानी संस्कृति में रचे-बसे सरहदी जिले में ग्रामीण लोककला की शान रही मांडणा कला अब धीरे-धीरे शहर की दीवारों पर भी नजर आ रही है.
कहते हैं कि मांडनों को श्री और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. माना जाता है कि जिसके घर में उसके सुंदर अंकन होता रहता है, वहां लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती है. बाड़मेर में मांडना विशेष तौर पर होली, दीपावली, नवदुर्गा उत्सव, महाशिवरात्रि पर्व पर बनाया जाता है. रंगोली या मांडना हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति की समृद्धि के प्रतीक हैं, इसलिए ‘चौंसठ कलाओं’ में मांडना को भी स्थान प्राप्त है. इससे घर परिवार में मंगल रहता है. उत्सव-पर्व के साथ-साथ मांगलिक अवसरों पर रंगोली से घर-आंगन को खूबसूरती के साथ सजाया जाता है.
होली से पहले दीवारों पर उकेरी गई मांडना कला
रंगोली के पहले मांडना प्रचलित था जो आज भी है. होली से पहले सरहदी बाड़मेर शहर में दीवारों पर मांडना कला को उकेरा गया है. दीवारों पर लिपाई-पुताई के बाद मांडने बनाए जाते हैं. दीवार पर केल, संजा, तुलसी, बरलो आदि सुंदर बेल बूटे बनाए जाते हैं. बाड़मेर शहर के नेहरू नगर ओवरब्रिज, कलेक्ट्रेट परिसर, कलेक्टर आवास सहित आसपास की दीवारों पर मांडना कला उकेरी गई है. बाड़मेर नगरपरिषद आयुक्त विजय प्रताप सिंह के मुताबिक बाड़मेर की सार्वजनिक दीवारों पर राजस्थान की कला, संस्कृति, खान-पान, लोकरंग, लोक संगीत और यहां की अनूठी रवायदों को बेहद आकर्षक रंगों से उकेरा गया है.
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FIRST PUBLISHED : March 25, 2024, 09:02 IST