रेलवे स्टेशन के डस्टबिन से निकली, मेहनत के दम पर आसमान में लिखा अपना नाम, अब कलेक्टर संग बैठ लिखेगी ऑर्डर – success story visually challenged baby girl dumped railway station dustbin passed maharashtra public service commission mpsc exam

Last Updated:April 21, 2025, 08:08 IST
Abandoned Girl Success Story: किसकी किस्मत कब, कहां और कैसे खुल जाए इसके बारे में कोई नहीं जानता. सभी तरह की सुख-सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद कई लोगों को सफलता नहीं मिलती है, पर जिनके रास्ते में सिर्फ कांटे …और पढ़ें
माला पपालकर रेलवे स्टेशन के डस्टबिन में मिली थीं. अब उन्होंने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित परीक्षा पास कर कलेक्टर ऑफिस में नौकरी हासिल की है.
हाइलाइट्स
दृष्टिबाधित बच्ची को 25 साल पहले रेलवे स्टेशन पर डस्टबिन में फेंका गया थाउस बच्ची को माला पपालकर का नाम दिया गया और उन्हें शिक्षा दी गईमाला पपालकर ने अब MPSC की परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी हासिल की
अमरावती. भाग्य और किस्मत धन-दौलत की मोहताज नहीं हैं. ईश्वर ने किसके भाग्य में क्या लिखा है, इसके बारे कोई नहीं जानता. ठीक वैसे ही जैसे तकरीबन ढाई दशक पहले रेलवे स्टेशन पर पड़े एक डस्टबिन में एक नन्हीं जान बिलख-बिलख कर रो रही थी. पुलिस ने इस दृष्टिबाधित बच्ची को अपने कब्जे में लेकर उसके माता-पिता की बहुत तलाश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद उसे रिमांड होम में लाया गया, जहां से उसकी असली यात्रा की शुरुआत हुई. बच्ची को पहले पालनहार मिला और फिर वो द्रोणाचार्य भी मिले, जिन्होंने वक्त की तपिश में पकी बच्ची को तराशा और कठोर दुनिया से लड़ने के काबिल बनाया. डस्टबिन में यूं ही लावारिश छोड़ दी गई उसी बच्ची ने अब अपनी मेहनत के दम पर सफलता के आसमान में अपना नाम लिख दिया. उसने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) की ओर से आयोजित परीक्षा पास कर कलेक्टर ऑफिस में सरकारी नौकरी पाई है. उसने वक्त और किस्मत से लड़कर नया मुकाम हासिल किया. एक बहुत पुरानी कहावत है कि कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता एक सिक्का तबीयत से उछालो यारों, इस बच्ची ने इसे सच साबित कर दिखाया है.
दरअसल, महाराष्ट्र के जलगांव रेलवे स्टेशन पर 25 साल पहले एक दृष्टिबाधित बच्ची को कूड़ेदान में फेंक दिया गया था, जिसके बाद उसे सुधार गृह में पहुंचाया गया. बाद में उसे माला पपालकर का नाम दिया गया. माला ने MPSC की परीक्षा पास की है. अब वह नागपुर कलेक्टर कार्यालय में अपनी पहली पोस्टिंग लेने जा रही हैं. माला पापलकर ने पिछले साल मई में महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) की क्लर्क-कम-टाइपिस्ट परीक्षा (ग्रुप सी) पास करके सुर्खियां बटोरी थीं. तीन दिन पहले 26 साल की माला को एक नियुक्ति पत्र मिला, जिसमें उसे नागपुर कलेक्टरेट में रेवेन्यू असिस्टेंट के रूप में उसकी पोस्टिंग के बारे में बताया गया था. माला औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अगले 8-10 दिनों में काम पर आने वाली हैं. कुछ समस्याओं के कारण उनकी पोस्टिंग में कुछ महीने की देरी हुई थी.
कचरे के डिब्बे में फेंकी बच्ची को यहां मिला नामकुछ लोगों को माला की यात्रा लगभग काल्पनिक लग सकती है. माता-पिता के अज्ञात और लापता होने के कारण पुलिस नवजात माला को जलगांव के एक रिमांड होम में ले गई थी. फिर माला को वहां से 270 किलोमीटर दूर अमरावती के परतवाड़ा में बधिर और दृष्टिबाधित लोगों के लिए बेहतर सुविधाओं वाले पुनर्वास गृह में भेज दिया. यहीं पर मिरेकल गर्ल को माला पपालकर का नाम दिया गया. माला के गुरु और पद्म पुरस्कार विजेता 81 साल के शंकरबाबा पापलकर ने उसे अपना सरनेम दिया. उन्होंने उसकी प्रतिभा को निखारा, उसे ब्रेल लिपि में पढ़ाया और अपनी शिष्या को दृष्टिबाधित और अनाथ बच्चों की दुनिया में एक पथप्रदर्शक बनाया. फिर अमरावती के यूनिक एकेडमी के निदेशक प्रोफेसर अमोल पाटिल के रूप में एक और नेक इंसान मिला, जिन्होंने माला को एमपीएससी परीक्षाओं के लिए कोचिंग देने की जिम्मेदारी ली.
असाधारण प्रतिभाअसाधारण मेमोरी की धनी माला ने अपनी पीजी की पढ़ाई पूरी की. माला ने इससे पहले अगस्त 2022 और दिसंबर 2023 में तहसीलदार पद के लिए परीक्षा पास करने के दो असफल प्रयास किए थे. बाद में उसने एमपीएससी क्लर्क (टाइपराइटिंग) परीक्षा दी और एक लेखक की मदद से इसे पास कर लिया. इस सफलता ने परतवाड़ा में निराश्रित लोगों के केंद्र में खुशी ला दी, जो 25 सालों से उसका घर था. शनिवार को उत्साहित पाटिल और यूनिक एकेडमी के अन्य शिक्षकों ने माला को सम्मानित किया. पाटिल ने कहा, ‘उसकी सफलता बेहद संतोषजनक है.’ उन्होंने माला की सफलता को प्रतियोगी परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा बताया. पाटिल के संस्थान के 67 छात्र रेवेन्यू असिस्टेंट के पद पर चयनित हुए हैं.
Location :
Amravati,Maharashtra
First Published :
April 21, 2025, 07:47 IST
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रेलवे स्टेशन के डस्टबिन से निकली, मेहनत के दम पर आसमान में लिखा अपना नाम