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एक बार फिर सामने-सामने होंगे चाचा-भतीजा, दांव पर नीतीश-तेजस्वी की साख, रुपौली के रण में कौन मारेगा बाजी?

पटना. लोकसभा चुनाव खत्म हो चुका है. केंद्र में एनडीए की सरकार भी बन चुकी है. लेकिन, रुपौली विधानसभा उपचुनाव ने एक बार फिर से बिहार की सियासत गर्मा दी है .रुपौली विधानसभा चुनाव में जहां अलग-अलग उम्मदीवारों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वहीं, रुपौली विधानसभा चुनाव एक बार फिर से चाचा और भतीजा आमने-सामने होंगे. दरअसल पूर्णिया के रुपौली विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए सीएम नीतीश कुमार पूर्णिया जाने वाले हैं. वहीं तेजस्वी यादव भी पार्टी उम्मीदवार बीमा भारती के प्रचार के लिए पूर्णिया जाएंगे.

रुपौली विधानसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवार आमने सामने हैं. वहीं इस बार फिर से सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की साख भी दांव पर है, जिसे बचाने के लिए दोनों गठबंधन के कई नेता और कार्यकर्ता दिन रात चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं. दरअसल बीमा भारती के इस्तीफे के बाद खाली हुई रूपौली विधानसभा सीट पर 10 जुलाई को उपचुनाव होने वाला है. दरअसल हाल ही में पूर्णिया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए बीमा भारती ने इस सीट पर इस्तीफा दिया था. हालांकि लोकसभा चुनाव में बीमा भारती हर गईं थीं.

रुपौली उपचुनाव के लिए महागठबंधन की ओर से आरजेडी उम्मीदवार बीमा भारती तो एनडीए की ओर  जेडीयू उम्मीदवार कलाधर मंडल चुनावी मैदान में हैं. वहीं इस बार चुनावी रण में निर्दलीय शंकर सिंह ने भी दोनों गठबंधन के उम्मीदवारों की नींद उड़ा रखी है. रुपौली उपचुनाव पर काफी कुछ हालात पूर्णिया लोकसभा जैसे दिख रहे हैं. इस बार भी मुकाबला त्रिकोणीय होता दिखाई दे रहा है. लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव ने चुनाव जीता था.

लोकसभा चुनाव के बाद हो रहे उप चुनाव में अपने उम्मीदवार की जीत के लिए चुनाव प्रचार में दोनों गठबंधन के कई बड़े नेता मोर्चा तो संभाल ही रखा है. लेकिन, अब प्रचार की कमान नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने भी संभाल ली है और दोनों चुनाव प्रचार करने रूपौली पहुंचने वाले हैं. दरअसल इन दोनों बड़े नेताओं को मालूम है कि यह सिर्फ एक उप चुनाव भर नहीं है बल्कि यह आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़ा संकेत भी देगा कि बिहार में एनडीए की स्थिति मज़बूत रहेगी या महा गठबंधन कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर ली है.

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे कहते हैं कि रूपौली उप चुनाव परिणाम बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके परिणाम से ये तस्वीर साफ होगी कि बिहार में नीतीश-मोदी का जलवा कायम है या फिर तेजस्वी यादव ने जो टक्कर लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए को दी थी, कुछ वैसे ही हालात इस बार भी रहने वाले हैं. अरुण पांडे कहते हैं कि नीतीश कुमार के सामने चुनौती है कि पूर्णिया लोकसभा चुनाव में जो हार मिली उसकी भरपाई रूपौली उप चुनाव जीत कर करें और यह भी मैसेज दें कि अति पिछड़ा वोटर उनके साथ मजबूती से खड़ा है. वहीं तेजस्वी यादव ने भी MY समीकरण से अलग जाकर अति पिछड़ा कार्ड खेला है अगर उनके उम्मीदवार की जीत होती है तब इस जीत को पूरे बिहार में अति पिछड़ा वोटर को बड़ा मैसेज देने में सफल होंगे कि आरजेडी अब MY की पार्टी भर नहीं है.

वहीं बिहार के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ सुनील सिंह कहते हैं कि उप चुनाव परिणाम पप्पू यादव की राजनैतिक हैसियत को भी नापेगा क्योंकि पप्पू यादव पूर्णिया से सांसद है और फिलहाल उन्होंने अभी तक खुलकर किसी को समर्थन नहीं दिया है. अगर तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी की उम्मीदवार जीत जाती हैं तब तेजस्वी ये मैसेज देने में सफल हो जाएंगे कि लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव भावनात्मक वजह से जीते थे लेकिन जनता आज भी आरजेडी के साथ ही है. वहीं नीतीश कुमार के लिए भी उप चुनाव परिणाम इस मायने में महत्वपूर्ण हो सकता है कि अति पिछड़ा वोटर उनके साथ पूरी मजबूती से खड़ा है और लोकसभा चुनाव में उनके उम्मीदवार की हार तात्कालिक परिस्थिति थी ना की उनके खिलाफ कोई  माहौल .

Tags: Bihar News, Nitish kumar, Purnia news, Tejashwi Yadav

FIRST PUBLISHED : July 6, 2024, 14:06 IST

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