किसी जमाने में इस 135 साल पुराने ग्राउंड पर खेला जाता था राजा महाराजाओं का शाही खेल, अब नहीं ले रहा कोई सुध

Agency: Rajasthan
Last Updated:February 17, 2025, 16:30 IST
Sirohi News : सिरोही के महाराव केसरी सिंह के मार्गदर्शन में इस ग्राउंड का काम पूरा हुआ था. इतनी ऊंचाई पर इतना विशाल ग्राउंड तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं था. 1891 ट्रेवर ऑवल शुरू हुआ था. 1894 में यह मैदान प…और पढ़ेंX
माउंट आबू का एतिहासिक पोलो ग्राउण्ड
हाइलाइट्स
माउंट आबू का पोलो ग्राउंड अब उपेक्षित है.18 करोड़ की लागत से ग्राउंड सुधार की योजना है.ग्राउंड में गंदगी और टूट-फूट से खिलाड़ी परेशान हैं.
सिरोही : राजस्थान में सबसे ऊंचाई पर बसे शहर माउंट आबू में किसी जमाने में इस ग्राउंड पर शाही खेल पोलो खेला जाता था. इस खेल की वजह से ही इस ग्राउंड को पहचान मिली थी, लेकिन कई वर्षों से यहां पोलो खेल, तो दूर देखरेख के अभाव में खिलाडियों को प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड भी नहीं मिल पा रहा है. हम बात कर रहे हैं 135 साल पुराने माउंट आबू के पोलो ग्राउंड की.
ग्राउंड पर लगे शिलालेख के मुताबिक तत्कालीन महाराजा सवाई माधोसिंह, ए.जी.जी कर्नल जीएच ट्रेवर द्वारा 1889 में पोलो मैदान का निर्माण करवाया गया था. सिरोही के महाराव केसरी सिंह के मार्गदर्शन में इस ग्राउंड का काम पूरा हुआ था. इतनी ऊंचाई पर इतना विशाल ग्राउंड तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं था. 1891 ट्रेवर ऑवल शुरू हुआ था.
1894 में यह मैदान पूरी तरह से तैयार हुआ और इसके बाद से माउंट आबू में पोलो खेलना शुरू हुआ. राजाओं का पसंदीदा ये खेल 1920 से लेकर 1939 तक यहां खेला जाने लगा. सैकंड वर्ल्डवॉर के बाद पोलो की जगह पर अन्य खेलों को बढ़ावा मिला. यहां अंतिम बार 2006 से 2008 तक तीन वर्ष तक पुन: पोलो खेल खेला गया. इससे पहले विभिन्न खेलों के प्रशिक्षण को लेकर ये ग्राउंड पसंद किया जाता था.
वर्ष-1950 में यहां राष्ट्रीय पुलिस प्रशिक्षण केंद्र स्थापित हुआ. जिससे इस ग्राउंड पर एक बार चमक आ गई. करीब 22 साल के बाद एनपीए स्थानांतरित होने के बाद मैदान स्थानीय प्रशासन और खिलाडियों को सौंप दिया गया. पिछले दिनों माउंट आबू के खिलाडियों और स्थानीय रहवासियों ने उपखण्ड अधिकारी से मुलाकात कर इस ग्राउंड को विकसित करने की मांग उठाई थी.
मेजर ध्यानचंद समेत कई खिलाडियों ने की प्रेक्टिसइस ग्राउंड पर देश के प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद, मिल्खा सिंह, माखन सिंह, शमशेर सिंह सूरी, प्रयाग सिंह समेत दर्जनों खिलाडियों ने नए खिलाडियों को प्रशिक्षण दिया है. इसमें से कई खिलाड़ी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर चुके हैं.
ये हैं ग्राउंड की वर्तमान स्थिति नगरपालिका प्रशासन द्वारा इस ग्राउंड की देखभाल की जाती है. ग्राउंड में नगरपालिका के वाहन और सामान रखा हुआ है. ग्राउंड के बीच घास की कटाई नहीं होने से काफी बड़ी हो गई है. चारों तरफ बने वॉकिंग पाथ और बैंचे भी कई जगह से टूट गई है. ग्राउंड के पास से ही गुजरने वाले नाले से पानी ग्राउंड में आ जाता है. इससे खिलाडियों को परेशानी होती है.
18 करोड़ की लागत से ग्राउंड की स्वीकृति, लेकिन नहीं हुए कार्यपिछले साल राज्य सरकार द्वारा करीब 18 करोड़ की लागत से ग्राउंड को विकसित करने के लिए स्वीकृति दी गई थी. इसमें क्रिकेट, बैडमिंटन कोर्ट, एथलीट ट्रेक, बॉस्केट बॉल, बॉलीबॉल आदि खेलों को लेकर स्टेडियम तैयार किया जाना था, लेकिन अब तक ये कार्य शुरू नहीं हुआ है. ऐसे में खिलाडियों को इस ग्राउंड के कायाकल्प का इंतजार है.
खिलाड़ी की जुबानी … यहां प्रैक्टिस के लिए आने वाले माउंट आबू के वॉलीबॉल खिलाड़ी भूपेंद्रकुमार रील ने बताया कि माउंट आबू पोलो ग्राउंड की स्थिति ऐसी है कि प्रशासन को यहां खिलाड़ियों से ज्यादा कमाई की चिंता है. मेले और अन्य आयोजनों के लिए ग्राउंड देने से यहां होने वाली गंदगी और जगह-जगह बने गड्ढों से खिलाडियों को दिक्कत होती है. जैसे ही माउंट आबू में पर्यटक सीजन शुरू होता है, तो इस ग्राउंड को पार्किंग बना दिया जाता है. इससे खिलाडियों प्रैक्टिस बाधित हो जाती है. यहां गाड़ियों में बैठकर कर पर्यटक शराब पीते है और खाली बोतलें यहीं फोड़ देते हैं. इससे खेलने वाले खिलाड़ियों को कांच लगने से खिलाड़ी घायल हो जाते हैं. सीवरेज का भी गंदा पानी ग्राउंड में आने से खिलाडियों का खेलना दुश्वार हो जाता है.
Location :
Sirohi,Rajasthan
First Published :
February 17, 2025, 16:30 IST
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किसी जमाने में इस 135 साल पुराने ग्राउंड पर खेला जाता था राजा महाराजाओं का खेल