Mood changed of Leopard in jungles of Jhalana of Jaipur-जयपुर के झालाना के जंगलों में बदला लेपर्ड का मिजाज, जानिये वजह – News18 Hindi

जयपुर. अमूमन आपने देखा होगा कि जंगल के अंदर तेंदुआ (Leopard) या तो पेड़ पर चढ़ा नजर आता है या फिर पहाड़ी गुफाओं में छुपा और दुबका सा हुआ नजर आता है. लेकिन जयपुर के झालाना के जंगल (forest of Jhalana) में घास के मैदान विकसित करने से यहां के लेपर्ड का शर्मिला मिजाज काफी हद तक बदल गया है. इससे लेपर्ड की साइटिंग में काफी इजाफा हुआ है. अफ्रीका के सवाना के घास के मैदानों में जिस तरह शेरों को घास में विचरण करते खुलेआम देखा जाता है, वैसे ही अब जयपुर के झालाना में लेपर्ड भी यहां घास के मैदानों में आराम से घूमते हुए देखे जाने लगे हैं.
राजधानी जयपुर की झालाना लेपर्ड सफारी में दो साल पहले एक प्रयोग किया गया था. इस प्रयोग के तहत झालाना में मुख्य द्वार में नीम गट्टा पॉइंट की तरफ रूट पर जितना भी बबूल यानी जूलीफ्लोरा का जंगल था. उसे हटा दिया गया और वहां एक बड़ा घास मैदान तैयार किया गया. वन विभाग ने यहां छह किस्म की घास उगाई.
झालाना में छह अलग-अलग प्रजातियों की घास लगाई
इसका मकसद यहां पर शाकाहारी वन्यजीवों के लिए बेहतर आवास और भोजन तैयार करना था ताकि शाकाहारी वन्यजीव भी बढ़ें और भोजन की तलाश में यहां के लेपर्ड शहरी आबादी का रुख भी न करें. इस मैदान में छह अलग-अलग प्रजातियों की घास लगाई गई, जो कामयाब रही है.
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पेड़ों पर चढ़ जाने वाले लेपर्ड अब मैदान में घूमते हैं
झालाना लेपर्ड सफारी के रेंजर जेनेश्वर सिंह चौधरी के मुताबिक इन तमाम घास की प्रजातियां को रोपने के बाद में जो बदलाव हुआ, वह वाकई चौंकाने वाला था. बदलाव के बाद अब यह देखने में आने लगा है कि झालाना के लेपर्ड इन घास के मैदानों में खुलेआम घूमने लगे हैं. पहले अमूमन यह लेपर्ड पेड़ों पर चढ़े नजर आते थे या फिर थोड़ी सी झलक दिखा कर रोड क्रॉस करके तुरंत पहाड़ पर चढ़ जाया करते थे.
घास के मैदान में पर्यटकों को आसानी से नजर आते हैं
घास के मैदान विकसित करने से लेपर्ड को खुले मैदान खुद को छिपने की जगह भी मिल जाती है और उसमें विचरण करते लेपर्ड भी पर्यटकों को आसानी से नज़र आ जाते हैं. दो साल पहले यहां घास के मैदान विकासित किये गए तो इस इलाके में हिरण की सभी प्रजातियों का आना जाना काफी बढ़ गया.
हिरणों के पीछे शिकार की तलाश में आते हैं लेपर्ड
वन्यजीव सलाहकार मंडल के सदस्य धीरेंद्र के गोधा के मुताबिक हिरणों के पीछे शिकार की तलाश में लेपर्ड भी इस ओर अपना रुख करने लगे हैं. लेपर्ड के लगातार इस तरफ आने से उनके मिजाज में यह बदलाव हुआ कि वे अब बेझिझक पर्यटकों के सामने खुले मैदान में आ जाते हैं. इससे झालाना में पर्यटकों को जो लेपर्ड की साइटिंग हुआ करती थी, उसमें भी काफी इजाफा हुआ है.
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