365 सीढ़ी चढ़कर पहुंचते हैं 200 साल पुराने मंदिर में, यहां दिल्ली और बैंगलुूरू के फूलों से होती है सजावट

दौसा. दौसा का नीलकंठ महादेव मंदिर दूर दूर तक प्रसिद्ध है. सावन में यहां मेले जैसा माहौल रहता है. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए साल के 365 दिन की तरह 365 सीढ़ियां हैं. कहते हैं मंदिर 200 साल पुराना है. यहां लोग मन्नत मांगने आते हैं.
सावन के महीने में नीलकंठ महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है. इस दौरान महादेव के भक्त बारिश में भीगते हुए देवगिरि पहाड़ी पर 365 सीढ़ियां चढ़ कर नीलकंठ मंदिर पहुंचते हैं और भोलेनाथ को बिल्व पत्र अर्पित करते हैं. इस दौरान मंदिर प्रबंधन की ओर से नीलकंठ महादेव की अलौकिक फूल बंगला झांकी सजाई जाती है.
पंचमहादेव का निवासनीलकंठ धर्म सेवा समिति के अध्यक्ष रोशन जोशी ने बताया देव नगरी दौसा में पंचमहादेव का निवास है. यहां सावन के महीने में हजारों की तादाद में भक्त दर्शन कर मनौती मांगते हैं. इसके चलते सावन में अलसुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर प्रबंधन के अनुसार दौसा में विराजित स्वयंभू नीलकंठ महादेव का मंदिर करीब 200 वर्ष से भी अधिक पुराना है. यहां पहले एक छोटी सी गुमटी में स्वयंभू शिवलिंग की पूजा होती थी. करीब 50 साल पहले यहां भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया. इसके बाद नीलकंठ महादेव के भक्तों में भी इजाफा होने लगा.
200 साल पुराना मंदिरनीलकंठ धर्म सेवा समिति के अध्यक्ष रोशन जोशी के अनुसार सावन के महीने में प्रतिवर्ष नीलकंठ महादेव मंदिर पर जागरण और शोभायात्रा निकाली जाती है. मंगलवार को भव्य शोभायात्रा निकाली गयी. शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए बाबा वैद्यनाथ महादेव मंदिर पहुंचती है.
दिल्ली और बेंगलुरु के फूलों से श्रृंगारनीलकंठ धाम सेवा समिति के अध्यक्ष रौशन जोशी बताते हैं बाबा का श्रृंगार करने के लिए फूल बंगला झांकी सजाई गई. दिल्ली और बेंगलुरु से फूल मंगवाए गए. मेले के दौरान बाबा भूतनाथ का श्रद्धालु अभिषेक कर सकेंगे. मंदिर के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसलिए समाजसेवी और श्रद्धालु जगह-जगह स्टॉल लगाकर पानी पते सहित अन्य कार्य करते नजर आते हैं. यह लक्की मेला 3 दिन चलता है.
दर्शन के बाद व्रतश्रद्धालु विजय लक्ष्मी ने बताया वह शादी के बाद से लगातार अपने परिवार के साथ नीलकंठ महादेव मंदिर पर दर्शन के लिए आ रही हैं. विनोद शर्मा ने बताया कि नीलकंठ महादेव का शिवलिंग स्वयंभू है. अन्य श्रद्धालुओं ने बताया यहां बड़ी संख्या में दूर-दराज से श्रद्धालु नीलकंठ महादेव के दर्शन के लिए आते हैं. अपनी मनोकामना के लिए मनौती मांगते हैं. सावन के महीने में उपवास करने वाली महिलाएं नीलकंठ महादेव के दर्शनों के बाद ही अपना उपवास खोलती हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 17:33 IST