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एक गांव ऐसा भी! 2 राज्य करते हैं दावा, एक देता है मुफ्त घर तो दूसरा बिजली-पानी, आखिर क्या है वजह?

विशाखापत्तनम. देश में कई हिस्से, क्षेत्र या गांव ऐसे हैं, जो एक से अधिक जिले या राज्य के हिस्से में आते हैं. कई गांव तो ऐसे होते हैं, जिनका आधा भाग एक राज्य तो दूसरा अन्य राज्य में पड़ता है. ऐसे में प्रशासन के अलावा लोगों को सरकारों से मिलने वाले लाभ प्राप्त करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. एक ऐसा ही आंध्र प्रदेश और ओडिशा की सीमा पर पूर्वी घाट की सुरम्य पहाड़ियों में बसा ‘कोटिया’ गांव है, लोकसभा चुनाव आने पर दशकों पुराना क्षेत्रीय विवाद एक बार फिर सामने आ गया है. इसपर दोनों ही राज्य अपने क्षेत्रीय अधिकारों का दावा करते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि इन गांवों के लोगों को दोनों राज्यों में वोट डालने का अनूठा विशेषाधिकार है. देश में इन दिनों लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. कोटिया गांवों को लेकर इन पर आंध्र प्रदेश और ओडिशा के क्षेत्रीय अधिकारों के दावे का मामला हाईकोर्ट में चल रहा है. भौगोलिक रूप से आंध्र प्रदेश की तरफ ‘अराकू लोकसभा क्षेत्र’ और ओडिशा की तरफ ‘कोरापुट’ के बीच स्थित कोटिया गांव दोनों राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा का केंद्र बिंदु बन गए हैं.

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दोनों ही राज्य इन 21 गांवों में कल्याणकारी योजनाएं चलाना चाहते हैंआंध्र प्रदेश और ओडिशा दोनों ही इन 21 गांवों में विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. दोनों राज्य कोटिया के प्रत्येक गांव के निवासियों की भलाई के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाना चाह रहे हैं. दोनों राज्यों में 13 मई को मतदान होना है. इस वजह से मतदाताओं के सामने भी चुनौती है. उन्हें यह तय करना है कि अपने मताधिकार का उपयोग वह किस राज्य के लिए करें. आंध्र प्रदेश और ओडिशा के लिए विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही कराए जा रहे हैं.

2700 मतदाता हैंइस समस्या के समाधान और चुनाव के सुचारू संचालन के लिए आंध्र प्रदेश की तरफ से पार्वतीपुरम मन्यम जिले और ओडिशा की तरफ से कोरापुट जिले के जिला अधिकारियों ने बातचीत शुरू की है. पार्वतीपुरम के एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (आईटीडीए) के परियोजना अधिकारी सी विष्णु चरण अराकू लोकसभा सीट के तहत सालुरु विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी भी हैं. उन्होंने बताया कि सभी 21 बस्तियों में लगभग 2700 मतदाता हैं जो नौ ग्राम पंचायत के अंतर्गत आते हैं.

दोनों सरकार ने दिए एपिक कार्ड2019 के चुनावों के दौरान कोटिया क्षेत्र के बाहर मतदान केंद्र स्थापित किए थे. इसका कारण पक्की सरकारी इमारत का अभाव था. सी विष्णु चरण ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘मूल रूप से इन लोगों के पास दोनों राज्यों के मतदाता पहचान पत्र हैं. ओडिशा सरकार ने एपिक कार्ड (फोटो पहचान पत्र) जारी कर दिए हैं. वहीं आंध्र प्रदेश सरकार ने भी यह कार्ड जारी कर दिया है. मतदान की तारीखें अलग-अलग होने पर कोई मुद्दा नहीं था. वे लोग दोनों तरफ मतदान कर सकते हैं.’

ओड़िया के साथ-साथ तेलुगु साइनबोर्डस्थानीय निकाय चुनावों के दौरान अधिकतर ग्रामीणों ने दोनों तरफ के उम्मीदवारों के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है. कोटिया के किसी भी गांव में जाने पर ओड़िया के साथ-साथ तेलुगु में भी साइनबोर्ड नजर आते है. एपी गिरिजन सहकारी समिति के कार्यालय में तेलुगु में साइनबोर्ड है, जबकि ओडिशा की उनकी समकक्ष में ओड़िया भाषा में साइनबोर्ड हैं.

एक सरकार मकान तो दूसरी बिजलीडोलभद्र की निवासी थोंडांगी लक्ष्मी ने कहा कि उन्हें ओडिशा सरकार ने मकान आवंटित किया है, जबकि आंध्रप्रदेश ने बिजली लाइन और मुफ्त बिजली की पेशकश की है. डोलभद्र में दो स्कूल भी हैं. एक में ओड़िया माध्यम में और दूसरे में तेलुगु माध्यम में पढ़ाई होती है। दोनों राज्यों द्वारा पानी की दो टंकियों का निर्माण किया गया है.

दोनों सरकारों से मुफ्त चावलग्रामीणों ने कहा कि वे दोनों सरकारों से मुफ्त चावल ले सकते हैं. वृद्धावस्था पेंशन के तहत आंध्र सरकार 3000 रुपये और ओडिशा सरकार 1000 रुपये देती है. नेरला वलासा के एक ग्रामीण ने कहा, ‘अगर मौका मिले तो मेरा परिवार आंध्र प्रदेश का हिस्सा बनना चाहेगा.’

2022 में पुलिस ने वोट करने से रोकासारिका गांव की सरपंच गोरला सत्यवती ने आरोप लगाया कि 2022 में आंध्र प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान ओडिशा पुलिस ने अपने मताधिकार का उपयोग करने आए मतदाताओं के लिए अवरोधक लगा दिए थे. जिले के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ग्रामीण किसी भी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए स्वतंत्र हैं.

Tags: Andhra Pradesh, Andhra pradesh assembly election 2024, Border Village, Coastal Odisha Lok Sabha Elections 2019, Odisha

FIRST PUBLISHED : May 3, 2024, 16:44 IST

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