Opinion: गृहमंत्री अमित शाह के लक्ष्य मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त भारत के बहुत बड़े हैं मायने
कुछ सालों से लगातार नक्सल प्रभावित इलाकों को विकास के रास्ते से जोड़ने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं और इसी कड़ी में गृहमंत्री अमित शाह का लगातार छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में दौरा होता रहता है. दरअसल, जब जवान दुर्दांत नक्सलियों के खात्मे के लिए लोहा ले रहे होते हैं, उसकी सफलता से कई लक्ष्य प्राप्त करने का बल मिलता है. न्यूज 18 इंडिया ने भारत सरकार के इस मिशन को समझने की कोशिश की. नक्सली मुक्त भारत से आखिरकार हमें हासिल क्या होगा.
गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने का ऐलान किया है. इसी मकसद से सुरक्षा बलों का सफल ऑपरेशन सबसे पहले इलाके को नक्सल मुक्त बनता है और वहां पर भारत सरकार की महत्वपूर्ण परियोजनाएं लागू होती हैं. पिछले कुछ सालों में नक्सल विरोधी अभियान में यह रणनीति बनाई गई है कि जिन-जिन इलाकों में सुरक्षा बलों का कैंप बनता जा रहा है उसके 8 किलोमीटर के रेडियस में सुरक्षा कैंप की निगरानी में भारत सरकार की योजनाएं जन-जन तक पहुंचे. अब समझिए कि पिछले 5 साल में 289 कैंप सुरक्षा बलों के नक्सली प्रभाव के इलाकों में बने हैं और इन सभी कैंपों के आसपास यह 8 किलोमीटर रेडियस की रणनीति लागू है. यह सारे कैंप अंदरूनी इलाकों में बने हैं, जाहिर सी बात है सुरक्षा के साथ-साथ विकास का एक मजबूत खाका तैयार किया गया है.
दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज है जवानों की सुरक्षा. और इस पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है. आधुनिक वाहन जो कि खुद भारतीय तकनीक से विकसित किए गए हैं उन्हें नक्सलियों के गढ़ में तैनात किया जा रहा है. जवानों की सुरक्षा एंटी नक्सल ऑपरेशन में पूरी तरीके से सुनिश्चित हो, इसके लिए कई कदम भी उठाए जा रहे हैं. हर एक नक्सली हमले की घटना की चर्चा सिक्योरिटी रिव्यू मीटिंग में की जाती है . उसके मुताबिक रणनीति बनाई जाती है. इसके अलावा जांबाज अधिकारियों की पहचान कर उनकी हौसला अफजाई भी की जाती है जो नक्सलियों पर काल बनाकर टूटते हैं.
कामयाबी का डाटाअब जरा नजर डालते हैं पिछले कुछ समय में सुरक्षा बल जो नक्सलियों के खिलाफ अपना ऑपरेशन चला रहे हैं उनके आंकड़ों पर. दिसंबर 2023 से दिसंबर 2024 तक सुरक्षा बलों ने 125 मुठभेड़ों में 213 माओवादियों को मार गिराया और 286 हथियार बरामद किए. इसके अलावा 335 आईईडी बरामद की गईं. 937 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया और 800 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया.
वर्ष 2024 में माओवादियों के खिलाफ कई बड़े ऑपरेशन हुए. 4 अक्टूबर 2024 को दंतेवाड़ा के जंगल में 31 माओवादी, जिनमें शीर्ष कमांडर भी शामिल थे, मारे गए. इसी तरह, बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा में भी सुरक्षा बलों ने माओवादी गतिविधियों को करारा जवाब दिया. सुरक्षा बलों की कार्रवाई से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति मिली है.
नए सुरक्षा कैंपों की स्थापनापिछले वर्ष 42 फारवर्ड सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए. इससे ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा और प्रशासन की उपस्थिति बढ़ी. यही नहीं पिछले 5 सालों में 289 सुरक्षा कैंप की स्थापना छत्तीसगढ़ के अंदरूनी इलाकों में की गई है. 11 और कैंप बना रहे हैं. पिछले 5 सालों में अगर हम कल हिसाब लगा लें तो 300 सुरक्षा कैंप की स्थापना हुई है.
रोड और पुलअंदरूनी इलाकों की मुख्य मार्ग से कनेक्टिविटी बेहतर हो इसके लिए डीआरडीओ की मदद ली जा रही है. डीआरडीओ की मदद से पहले सड़कों को आईडी से मुक्त किया जा रहा है और उसके बाद कनेक्टिंग रोड मुख्य रोड तक बनाई जा रही हैं. आदिवासी जनता को इलाज की बहुत बड़ी दरकार होती है, इसलिए इन सुरक्षा कैंप में इलाज की सुविधा भी मुहैया करवाई जा रही है. इससे आसपास के लोग आते हैं और यहां अपना इलाज करवाते हैं.
अब तक 221 किमी सड़क का निर्माण किया गया है. 5 पुलों का निर्माण RRP-1 और RCPLWEA योजनाओं के तहत पूरा किया गया. मोबाइल नेटवर्क का विस्तार: 521 नए मोबाइल टावर चालू किए गए, जिससे सुदूर क्षेत्रों में संचार व्यवस्था बेहतर हुई.
छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार और केंद्र सरकार गांव के समग्र विकास के लिए एक ढांचे पर काम कर रही है जिसका मुख्य उद्देश्य नक्सल प्रभावित इलाकों को छूना है. 96 गांवों को 17 विभागों की 52 योजनाओं और 31 सामुदायिक सुविधाओं का लाभ दिया जा रहा है. इस पहल से ग्रामीणों में शासन के प्रति विश्वास बढ़ा है. माओवादियों के सप्लाई और फंडिंग नेटवर्क को तोड़ने के लिए 27 मामलों की जांच एनआईए को सौंपी गई. साथ ही, राज्य सरकार की एजेंसी भी तीन मामलों की छानबीन कर रही है.
माओवादी घटनाओं में कमीसुरक्षा बलों ने सामुदायिक पुलिसिंग के माध्यम से स्वास्थ्य शिविर, शिक्षा सामग्री वितरण और अन्य बुनियादी सेवाएं प्रदान की हैं. इन प्रयासों से ग्रामीण माओवाद से दूर होकर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. छत्तीसगढ़ राज्य में माओवादी घटनाओं में व्यापक कमी आई है. 2018 में 526 घटनाओं के मुकाबले 2023 में यह संख्या घटकर 274 रह गई , हालांकि, 2024 में 424 घटनाएं दर्ज हुईं, जो सुरक्षा बलों की बढ़ी हुई उपस्थिति और कार्रवाई का परिणाम हैं.
छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या के समाधान के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं. सुरक्षा बलों की कार्रवाई, विकास योजनाओं और सामुदायिक भागीदारी ने राज्य को शांति और स्थिरता की ओर अग्रसर किया है. केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा बलों की यह रणनीति माओवादी समस्या के पूर्ण समाधान की दिशा में एक सशक्त कदम है.
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FIRST PUBLISHED : December 19, 2024, 23:33 IST