हमारी दीवाली भी बने अच्छी! चकाचौंध के जमाने में मिट्टी के दीपक की कला को जिंदा रखे यह परिवार
भीलवाड़ा : सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व दीपावली मिट्टी के दीपक बिना अधूरी है मगर आज के चकाचौंध वाली डेकोरेशन के आगे यह मिट्टी के दीपक गुम होते जा रहे है. दीपावली पर्व पर मिट्टी के दीपक जलाना शुभ माना जाता है मगर चाइनीज लाइटें और चाईनीज और मोम दीपकों की वजह से अब कहीं ना कहीं इन कुम्हार परिवारों को नुकसान उठाना पड़ रहा है अल सुबह से दोपहर की तपती धूप में पसीना बहाकर दीपक बनाने वाले इन परिवारों का जब बनाया हुआ माल कम बिकने से काफी परेशान हैं.
इसके बावजूद यह परिवार अपनी दीपक बनाने की परंपरा को आगे बढ़ाए हुए हैं और पारंपरिक तौर तरीके से चाक के माध्यम से मिट्टी के दीपक बना रहे हैं. दीपक बनाने वाले कुम्हार परिवार के लोगों अपील की है की मिट्टी के दीपक ही खरीदें और दीपावली पर पारंपरिक रूप से दीप प्रज्वलित करें चाईनीज दीपक मोम के दीपक इन्हें ना खरीदें ताकि इनकी दिवाली भी बन सके.
वर्षों से मिट्टी के दीपक बना रहे रामलाल प्रजापति ने कहा कि मेरे परिवार के साथ 1960 से मिट्टी के दीपक बनाते हुए आ रहा हूं. हर वर्ष हम दीपावली पर्व पर मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य करते आ रहे हैं. पहले इन मिट्टी के दीपक की काफी मांग रहती थी मगर अब ऑनलाइन और चाइनीज दीपक बाजार में मिलने से हमारे दीपक की कम खरीद हो रही है. इसके कारण हमारा गुजर बसर भी करना मुश्किल हो रहा है. हम अपनों हाथों से इन मिट्टी के दीपक बनाते है और मिट्टी भी हम खरीदनी पड़ती है मगर जब खरीद कम होती है तो हमें काफी नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं रामलाल प्रजापत के पुत्र कन्हैयालाल और ग्यारसी लाल प्रजापत ने कहा कि हम लकड़ी के चाक पर मिट्टी के दीपक बनाते हैं.
ऐसे बनाए जाते हैं मिट्टी के दीपकग्यारसी लाल ने कहा की दीपक बनाने के लिए मिट्टी को एक दिन पहले भिगोना पड़ता है और फिर अलसुबह उठकर उसे आटे की तरह गुंदकर चाक पर मिट्टी के दीपक बनाएं जाते हैं.हमारी दीवाली भी बने अच्छीकन्हैया लाल प्रजापत ने कहा कि हमारी देशवासियों से अपील है कि दीपावली पर्व पर गरीब से हमारे घरों में भी खुशियां आए उसके लिए हमें बाजार में लॉकल बने हुए उत्पाद ज्यादा से ज्यादा खरीदे. जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा और वह भी अपने घरों में खुशियों की दीपावली मना सकेगें. हमारे भी जब दीपक बिकेगें तभी हम खुशी से दीपावली मना सकेंगे.
FIRST PUBLISHED : October 27, 2024, 16:03 IST