JEE Success Story: मजदूर पिता के बेटे ने किया कमाल, फटी किताबों से की पढ़ाई, जेईई मेंस में मिली इतनी रैंक

Last Updated:April 22, 2025, 16:52 IST
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Ansh Pratap Singh JEE: इस फोटो में अंश प्रताप सिंह और उनके माता-पिता हैं
हाइलाइट्स
अंश प्रताप सिंह ने जेईई मेंस 2025 में 658वीं रैंक हासिल की.गरीब मजदूर पिता के बेटे अंश ने फटी किताबों से पढ़ाई की.स्कॉलरशिप पाकर कोटा में कोचिंग से अंश ने सफलता पाई.
नई दिल्ली (JEE Success Story, JEE Mains Result). जेईई परीक्षा दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल है. इसमें सफल होना आसान नहीं है. हर साल 12-15 लाख उम्मीदवारों में से कुछ इसमें सफल होकर अपनी खास कहानी लिखते हैं. उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के एक छोटे से मोहल्ले में रहने वाले अंश प्रताप सिंह ने जेईई मेंस 2025 पास करके सफलता की नई इबारत लिखी है. गरीबी में पले-बढ़े अंश के लिए यह मुकाम हासिल करना आसान नहीं था.
अंश प्रताप सिंह के पिता ने परिवार के लिए दो टाइम का खाना जुगाड़ करने के लिए कभी खेतों में मजदूरी की, कभी इमारतों पर बोझा ढोया तो कभी दुकान के बाहर चौकीदारी की (Ansh Pratap Singh JEE Success Story). वहीं, घर के कोने में एक लड़का पुराने और फटे पन्नों के बीच अपने भविष्य की तस्वीर टटोल रहा था. उसकी आंखों में सिर्फ एक ही सपना तैर रहा था और वो था ‘IIT’ तक पहुंचना. अंश प्रताप सिंह ने पिता की मेहनत का मान रखा और जेईई मेंस में सफल होकर परिवार का नाम रोशन कर दिया.
बचपन से देखा पिता का संघर्षअंश प्रताप सिंह का संघर्ष उसकी उम्र से कई गुना बड़ा रहा है. अंश के पिता कभी किसी एक काम में नहीं टिक सके. उन्होंने कभी चौकीदारी की, कभी खेतों में मजदूरी, कई बार दिहाड़ी पर 200-500 रुपये की मजदूरी भी की. कई दिन ऐसे भी आए, जब उन्हें मेहनत के बावजूद कुछ नहीं मिला. लेकिन न तो उन्होंने हार मानी और न ही उनके बेटे ने. अंश प्रताप सिंह ने 2024 में भी जेईई मेन परीक्षा दी थी, लेकिन उसमें असफल हो गए थे. मगर उन्हें खुद पर यकीन था.
गाइडेंस से पूरा हुआ सपनाअंश प्रताप सिंह ने 2024 में कोचिंग और पर्याप्त संसाधनों के बिना जेईई मेंस परीक्षा दी थी. उनका रिजल्ट भले ही निराशाजनक था, लेकिन फिर भी उनके हौसले बुलंद थे. उन्हें भरोसा था कि सही गाइडेंस मिलने पर वह अपना सपना पूरा कर सकते हैं. तभी मोशन एजुकेशन के विजय सर ने उन्हें मदद का प्रस्ताव दिया. उन्हें 21000 रुपये की स्कॉलरशिप मिली, जोकि उनके लिए सिर्फ कुछ हजार रुपये नहीं, बल्कि अवसरों की खदान था.
आईआईटी के लिए पहुंचे कोटास्कॉलरशिप मिलते ही अंश प्रताप सिंह कोचिंग के लिए कोटा पहुंच गए थे. उनके लिए खुद को इस नए माहौल में ढालना आसान नहीं था, लेकिन वह डटे रहे. उनके इरादे मजबूत थे और उसके आगे हर तरह की परिस्थिति कमजोर पड़ती गई. जेईई मेंस 2025 रिजल्ट में 658वीं रैंक के साथ वह सफल हो गए. अब जेईई एडवांस्ड देकर आईआईटी में एडमिशन का सपना साकार करेंगे. उन्हें उम्मीद है कि वह जेईई एडवांस्ड भी क्लियर कर लेंगे.
कोटा फैक्ट्री के जीतू भइया हैं विजय सरविजय सर को कोटा फैक्ट्री का असल जीतू भइया कहा जाता है. वह मानते हैं कि हर बच्चा टॉपर बन सकता है, बस उसे एक मौके की जरूरत होती है. वह टैलेंट को पहचानकर उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं. अंश प्रताप सिंह की कहानी उन लाखों एस्पिरेंट्स के लिए उम्मीद की किरण है, जो जेईई मेंस 2026 या जेईई एडवांस्ड 2025 की तैयारी में जुटे हुए हैं. अगर आप मन में कुछ ठान लें, आपके इरादे मजबूत हों तो किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकते हैं.
First Published :
April 22, 2025, 16:52 IST
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मजदूर पिता के बेटे ने किया कमाल, फटी किताबों से की पढ़ाई, JEE मेंस में हुआ सफल