करौली के मंदिरों में अब ठंड से बचाव के लिए ठाकुरजी को पहनाएं जा रहे है स्वेटर और मोज़े

Last Updated:November 08, 2025, 16:42 IST
करौली के हर मंदिर में भगवानों के शृंगार में अब स्वेटर, टोपी, मोज़े और गर्म शॉल शामिल हो गए हैं. यही नहीं, कई मंदिरों में रात को भगवान को ठंड से बचाने के लिए अंगीठी या हीटर भी जलाए जाते हैं. सुबह के श्रृंगार में स्वेटर और रात को टोपी, मोज़े व रजाई के साथ ठाकुरजी को सजाया और सुलाया जाता है. तीव्र सर्दी में गर्भगृह में अंगीठी जलाकर वातावरण को गर्म रखा जाता है.
हर मंदिर में भगवानों के श्रृंगार में अब स्वेटर, टोपी, मोज़े और गर्म शॉल शामिल हो गए हैं. यही नहीं, कई मंदिरों में रात को भगवान को ठंड से बचाने के लिए अंगीठी या हीटर भी जलाए जाते हैं.

करौली को मिनी वृंदावन कहा जाता है। यहाँ लगभग हर गली-मोहल्ले में कोई न कोई मंदिर स्थित है. सर्दी की शुरुआत होते ही इन सभी मंदिरों में भक्ति के साथ-साथ सर्दी से बचाव की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं. स्थानीय भक्तजन भी भगवानों के लिए ऊनी वस्त्र, स्वेटर और रजाई भेंट करते हैं ताकि उनके आराध्य को ठंड न लगे.

शहर के पंचायती मंदिर के पुजारी राहुल शर्मा बताते हैं, भावना ही भगवान है और आस्था ही ईश्वर. जब इंसान खुद सर्दी से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनता है, तो वह अपने आराध्य को भी उसी भावना से सर्दी से बचाने का प्रयास करता है.

सर्दियों के दौरान भगवानों को गर्म तासीर वाले पदार्थों का विशेष भोग लगाया जाता है. इसमें बाजरे का खिचड़ा, गाजर व मूंग का हलवा, पोषवाड़ा, गजक और गुनगुना दूध प्रमुख हैं.

सर्दियों में करौली के मंदिरों का दृश्य किसी आध्यात्मिक उत्सव से कम नहीं होता. ठाकुरजी को रोज बदल- बदल कर नए नए गर्म कपड़े तो पहनाएं ही जाते है साथ ही अलग अलग स्वादिष्ट भोग भी लगाया जाता है.
First Published :
November 08, 2025, 16:42 IST
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करौली के मंदिरों में सर्दी में भगवानों को पहनाएं गर्म कपड़े और लगाया विशेष भोग



