Rajasthan

कठिनाइयों को हराकर बना मिसाल: पैरा एथलीट खिलाड़ी सुनील कुमार साहू मेजर ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित

कोटा: कोई भी कार्य कठिन नहीं होता, बस जरूरत है सही इरादे और मेहनत की. यह कहावत कोटा के धावक सुनील कुमार साहू की कहानी पर सटीक बैठती है. एक हादसे में अपने दोनों हाथ गंवाने और पैर क्षतिग्रस्त होने के बावजूद, सुनील ने न केवल खुद को संभाला बल्कि खेलों में अपनी पहचान बनाई. उनकी यह संघर्ष गाथा सभी के लिए प्रेरणास्रोत है.

दुर्घटना और कठिन दौर सुनील 2016 में एक रिसीवर ब्लास्ट हादसे का शिकार हुए, जिसमें उनके दोनों हाथ और एक पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. उन्हें बिस्तर से उठने में दो साल लग गए. इस दौरान उनके पिता और भाई का निधन हो गया, जिससे परिवार आर्थिक और मानसिक संकट में घिर गया. परिवार का खर्च चलाने के लिए उनकी मां, प्रेम देवी, उन्होंने घर-घर जाकर मजदूरी शुरू की.

खेलों में हासिल की बुलंदियां सुनील ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद खेलों में करियर बनाने का संकल्प लिया.– राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान: 10 नवंबर 2024 को उन्हें मेजर ध्यानचंद समर्पण गौरव अवार्ड से सम्मानित किया गया.– पदकों की झड़ी:– राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में 8 स्वर्ण पदक.– राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 2 स्वर्ण, 2 रजत और 1 कांस्य पदक.– 2023 खेलो इंडिया पैरा गेम्स: रजत पदक.– पहले 2018 में जिला स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने के बाद से सुनील ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

मां बनीं प्रेरणा का स्रोत सुनील ने अपनी मां प्रेम देवी को अपनी सफलता का असली हकदार बताया। उन्होंने कहा, जब मैं पांच साल तक खेलों में असफल रहा, तब मेरी मां ने मुझ पर विश्वास किया और मुझे सपोर्ट किया. इस पुरस्कार को मैं अपनी मां को समर्पित करता हूं.

संघर्ष और कड़ी मेहनत का सफर – 2016-17: सुनील ने खेलों में हिस्सा लेना शुरू किया.– 2020: पैर की चोट के कारण खेलों से दूर रहे.– 2021: कोविड महामारी के कारण प्रतियोगिताएं स्थगित हो गईं.– रात की ट्रेनिंग: लॉकडाउन में नियमों का पालन करते हुए रात 2:30 बजे से सुबह 5 बजे तक स्टेडियम में ट्रेनिंग करते थे.

सम्मान और प्रेरणा सुनील को उनकी उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार मिले:– 15 अगस्त 2022: जिला स्तर पर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी पुरस्कार.– 3 दिसंबर 2022: अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर विशेष योग्यजन पुरस्कार.– 6 अक्टूबर 2024: भारत गौरव सम्मान.

एक सशक्त संदेश सुनील साहू की कहानी साबित करती है कि कठिनाई कितनी भी बड़ी हो, मजबूत हौसले और मेहनत के आगे सब झुक जाते हैं. उनकी यह कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है.

Tags: Kota news, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : November 16, 2024, 21:32 IST

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