Paryushan festival: अध्यात्म में डूबा पाली, जैन मंदिरों में विशेष पूजा, आंगी सजावट से बढ़ी रौनक

पाली: जैन धर्म के महापर्व पर्युषण की शुरुआत के साथ पाली शहर के सभी जैन मंदिरों में हर दिन विशेष धार्मिक कार्यक्रमों और भगवान की आकर्षक आंगी सजावट का आयोजन हो रहा है. शहर के प्राचीन नवलखा पार्श्वनाथ जैन मंदिर में भगवान की आंगी विशेष रूप से दर्शनीय है. इसे सजाने के लिए हर दिन 5 से 8 श्रद्धालु जुटते हैं. कभी चांदी तो कभी केसर और चंदन की आंगी भगवान की प्रतिमा पर सजाई जाती है. चांदी का खोल भगवान की प्राचीन प्रतिमा पर चढ़ाकर उसे सजाया जाता है. पहले चांदी के खोल पर चंदन और मैदा लकड़ी के बुरादे का घोल लगाया जाता है, फिर आंगी सजाई जाती है.
मंदिर कमेटी के ओमप्रकाश छाजेड़ ने बताया कि पर्युषण के दौरान सोने, चांदी और केसर की विशेष आंगी सजाई जाती है, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. पर्युषण पर्व के दिनों में पूरा जैन समाज व्यापार और फैक्ट्रियों को छोड़कर अध्यात्म और धर्म के मार्ग पर चलता है. भक्त संतों के प्रवचन सुनने और भगवान के दर्शन में व्यस्त रहते हैं. हर जैन मंदिर में प्रतिदिन भगवान की नई आंगी सजाई जा रही है, जिससे धार्मिक माहौल में और भी उल्लास भर जाता है.
पर्युषण पर्व का महत्वपर्युषण पर्व जैन धर्म के सबसे बड़े पर्वों में से एक है, जो आत्मा की शुद्धि और आत्मिक उन्नति के लिए मनाया जाता है. साध्वी मंजुलज्योति महाराज ने अष्ट दिवसीय पर्युषण पर्व का महत्व बताते हुए कहा कि यह पर्व ज्ञान, दर्शन, और चरित्र के साथ मोक्ष मार्ग पर चलने और मन की शांति प्राप्त करने का अवसर है.
पर्युषण के दौरान चार प्रमुख कर्तव्यों—पौषध व्रत, ब्रह्मचर्य, आरंभ समारंभ का त्याग, और विशेष तप—का पालन करके आत्मा की शुद्धि और राग-द्वेष से मुक्ति की प्रेरणा दी जाती है.मंदिरों में हो रही हर दिन की आंगी सजावट और धार्मिक अनुष्ठानों ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया है, और पूरा जैन समाज इस पर्व में मग्न है.
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FIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 07:59 IST