Flowers are blooming up to 22 days earlier. | जलवायु परिवर्तन की ऐसी मार, समय से पहले खिलने लगे फूल

तापमान में बदलाव से फूलों पर दिखा असर: वैज्ञानिकों ने पाया कि तीन दशकों से अधिक समयावधि में क्षेत्र के औसत तापमान में एक डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप फूल वाले पौधों की प्रजातियां जिन पर फूल नौ मई के आसपास खिला करते थे अब 17 अप्रेल के नजदीक यानी 22 दिन पहले ही खिलने लगे हैं। यह बदलाव केवल कुछ प्रजातियों तक सीमित नहीं है। 80 फीसदी प्रजातियों में फूल आने की शुरुआत पहले हो गई है। खासतौर से सबसे प्रभावित प्रजाति रोजमेरी है, जो पहले की तुलना में 92 दिन पहले खिलती है।
55% प्रजातियों को मिल रहा भीड़भाड़ वाला पड़ोस: शोधकर्ताओं के अनुसार सिर्फ कुछ प्रजातियों के फूलों के खिलने और समाप्ति की समयावधि में बदलाव नहीं हुआ है बल्कि कई प्रजातियां लंबे समय तक फूल दे रही हैं। इससे फूलों में उन प्रजातियों का संयोजन होने लगा है, जो पहले एक साथ नहीं खिलती थीं। 55 फीसदी प्रजातियां अब अपने आसपास फूलों का ‘भीड़भाड़’ वाला पड़ोस पाती हैं, जिससे परागणकारी कीटों का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
फूलों और परागणक कीटों के बीच तालमेल में बाधा: पौधों के जीवन में फूल आना उपयोगी क्षण है। पौधे स्थिर होते हैं, वे पराग को एक से दूसरे फूल पर स्थानांतरित करने के लिए कीटों पर निर्भर होते हैं। इस प्रक्रिया के लिए सटीक समय चाहिए होता है लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण फूलों के बढ़ने का समय पौधों और उनके परागणक कीटों के बीच तालमेल को बाधित कर सकता है। अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि डोनाना नेशनल पार्क सहित भूमध्यसागरीय क्षेत्र कई अन्य क्षेत्रों की तुलना में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ज्यादा महसूस कर रहा है। यहां तापमान में वैश्विक औसत से 20 फीसदी की वृद्धि हो रही है।
- विश्व में पौधों की चार लाख प्रजातियां हैं, जिसमें फूलों की प्रजाति वाले पौधे करीब 70% हैं
- दुनिया का सबसे बड़ा फूल रैफलेसिया पूरी तरह खिलने पर 03 फीट तक फैल जाता है
- वोल्फिया ग्लोबोसा दुनिया का सबसे छोटा फूल वाला पौधा है, जिसका व्यास 0.004-0.008 इंच तक होता है