टिब्बी में हिंसा के बाद शांति, इंटरनेट बंद, सियासी घमासान के बीच मंत्री हुए हमलावर,17 को टिकैत के साथ महापंचायत

हनुमानगढ़. राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र में राठीखेड़ा गांव के पास प्रस्तावित एशिया की सबसे बड़ी एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर किसानों का विरोध अब राजनीतिक रंग ले चुका है. पिछले 15 महीनों से शांतिपूर्ण चली आ रही यह आंदोलन बुधवार को हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारियों ने फैक्ट्री परिसर में तोड़फोड़ की, 10 से अधिक वाहनों को आग लगा दी और पुलिस के साथ झड़प में करीब 50 लोग घायल हो गए. कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया सहित कई नेता घायल बताए जा रहे हैं. पुलिस ने 107 नामजद व्यक्तियों समेत सैकड़ों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं और अब तक 40 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. तीसरे दिन भी इंटरनेट सेवाएं बंद हैं और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.
इस बीच, राज्य सरकार ने विवाद को शांत करने के लिए चार मंत्रियों को मैदान में उतार दिया है. कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल, कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और वित्त मंत्री झाबर सिंह खारा ने एक के बाद एक बयान जारी कर किसानों से शांतिपूर्ण वार्ता का आह्वान किया है. उन्होंने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने का हवाला देते हुए विपक्ष पर ‘दोहरी नीति’ और ‘साजिश’ का आरोप लगाया है. मंत्रियों का कहना है कि एथेनॉल फैक्ट्री न केवल किसानों को आर्थिक लाभ देगी, बल्कि क्षेत्र में रोजगार और विकास की क्रांति लाएगी.
बाहर के लोगों को भीड़ में घुसाए गए
कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा ने जयपुर में प्रेस वार्ता के दौरान इस घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए कांग्रेस पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने कहा, “कल की घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण रही, जिसमें 10 से अधिक वाहन जला दिए गए और कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए. यह पूरी तरह कांग्रेस नेताओं की साजिश का नतीजा है. राजस्थान के बाहर के लोग भीड़ में घुसाए गए, जबकि फैक्ट्री की अनुमति और भूमि रूपांतरण कांग्रेस सरकार ने ही 2022 में किया था. तब वे इसे किसानों के लिए लाभकारी बता रहे थे, अब वही नेता विरोध भड़का रहे हैं.” गोदारा ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा से सवाल किया कि “जब आपकी सरकार ने अनुमतियां दीं, तब विरोध क्यों नहीं हुआ? यह दोहरी नीति क्यों?”
उन्होंने कहा, “यह किसानों का विरोध नहीं, बल्कि सुनियोजित षड्यंत्र था. कांग्रेस की राजनीति हमेशा किसान कल्याण के नाम पर झूठ फैलाना रही है. संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने आंदोलन को कांग्रेस प्रायोजित बताया. पटेल ने कहा, “यह राजनीतिक साजिश है. बड़ी संख्या में राजस्थान के बाहर से लोग हिंसा में शामिल हुए. कांग्रेस की दोहरी नीति सामने आ गई है. अपनी सरकार में प्रोजेक्ट मंजूर किया, अब भड़काव. सरकार किसानों से वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन कानून हाथ में लेना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
हिंसा से नहीं निकलेगा कोई हल
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने संतुलित बयान देते हुए कहा कि किसानों की चिंताएं जायज हो सकती हैं, लेकिन हिंसा से कोई हल नहीं निकलेगा. यह प्रोजेक्ट गहलोत सरकार ने मंजूर किया था. कांग्रेस विधायक अब किसानों के साथ प्लांट पर धावा बोल रहे हैं. किसानों को मुख्यमंत्री से मिलवाया जाएगा और शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत से समाधान निकाला जाएगा. पानी की चिंता पर एसटीपी प्लांट से रीसाइक्लिंग का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि फैक्ट्री से गंगानगर-हनुमानगढ़ क्षेत्र में कच्चे माल का उत्पादन बढ़ेगा, रोजगार सृजन होगा. विपक्ष विकास में बाधा डालना चाहता है.
हनुमानगढ़ के डिब्बी में किसान आंदोलन…और कृषि मंत्री @DrKirodilalBJP का बयान “ये वही प्लांट है, जिसका MOU गहलोत सरकार ने साइन किया था।अब कमाल देखिए-मंज़ूरी कांग्रेस की, धावा कांग्रेस के ही नेताओं का!किसानों की चिंता अपनी जगह,पर हिंसा से समाधान नहीं निकलेगा मुख्यमंत्री जी तक… pic.twitter.com/TIvUyjYqHo— भँवर पुष्पेंद्र (Bhanwar pushpendra) (@thedesertfire) December 11, 2025



