45 डिग्री तापमान में अग्नि तपस्या क्यों कर रहे हैं ये संत, देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग

पुष्पेंद्र मीना/दौसा: गर्मी के इस सीजन में यदि किसी को थोड़ी देर धूप में रहना पड़ जाए तो हालत खराब हो जाती है. यहां तक कि घरों के भीतर भी लोग बेहाल हो जाते हैं. ऐसे में यदि 45 डिग्री तापमान के बीच आग का भी सामना करना पड़ जाए तब क्या हालत होगी, लेकिन इसी देश में राजस्थान की धरती पर एक शख्स वर्षों से ऐसा करते आ रहे हैं. तो चलिए जान लेते हैं कि आखिर इतनी कठोर तपस्या करने वाले कौन हैं और इसके पीछे का उद्देश्य क्या है..
दौसा जिले के सिकराय उपखण्ड के हींगवा में नाथ संप्रदाय के आसन मंदिर के महंत लक्ष्मण नाथ महाराज के शिष्य विजय नाथ बीते 2 दशकों से कठोर तप करते आ रहे हैं. विजय नाथ जेठ माह की तपती और चिलचिलाती गर्मी में आग की तपती धूणी के बीच बैठकर अग्नि तपस्या करते हैं. जैसे-जैसे साल-दर-साल गर्मी में तापमान बढ़ता जा रहा है उसी तरह उनका तप और भी कठोर होता जा रहा है.
राजस्थान के जिस इलाके में विजय नाथ तप कर रहे हैं वहां का तापमान लगभग 45 डिग्री के आसपास है और इसी तापमान के बीच वह 41 दिन के प्रण के साथ आग के बीच कठोर तप कर रहे हैं. छठी धूणी तपस्या पर बैठे महंत पहले पांच धूणी की तपस्या कर चुके हैं. विजय नाथ लगातार पिछले कई वर्षों से अग्नि तपस्या करते आ रहे हैं.
पहले के मुकाबले और कठिन की तपस्यानाथ संप्रदाय के मंहत लक्ष्मण नाथ बताते हैं की उनके शिष्य विजय नाथ पिछले कई वर्षों से लगातार अग्नि के बीच बैठकर तपस्या करते आ रहे हैं. पिछले वर्ष भी शिष्य विजय नाथ ने पांच धूणी लगाकर तपस्या की थी, लेकिन अबकी बार 9 धूणी लगाकर तपस्या की जा रही है. नाथ संप्रदाय की प्रमुख गद्दी पर यह आयोजन एक 41 दिन तक चलेगा. उन्होंने बताया कि यह तपस्या जन कल्याण, खुशहाली और अमन चैन के लिए की जा रही है.
9,000 कंडों होंगे इस्तेमालमंहत लक्ष्मण नाथ बताते हैं कि विजय नाथ 41 दिन तक अग्नि के बीच बैठकर तपस्या करेंगे और प्रतिदिन यहां पर पांच-पांच कंडे बढ़ाए जाएंगे और पांच-पांच कंडों की संख्या बढ़ाते-बढ़ाते तपस्या के अंतिम दिन तक कंडों की संख्या करीब 9,000 हो जाएगी. दूर-दूर से लोग उनकी अग्नि तपस्या को देखेने पहुंच रहे हैं.
धूप-गर्मी से बचने का नहीं करते कोई उपायस्थानीय लोगों का कहना है कि जब विजय नाथ महाराज तपस्या करने के लिए बैठते हैं तो शरीर पर भी कोई कपड़ा नहीं पहनते हैं और गर्मी से बचने के लिए किसी भी तरह की छाया का भी कोई उपाय नहीं करते हैं.
महंत कड़ाके की धूप में 11:30 बजे से 3:30 बजे तक आग के बीच बैठकर तपस्या करते रहते हैं. बैठने से पहले शरीर पर सिर्फ दुना की राख लगाते हैं.
तपस्या के दौरान किसी को भी नहीं फटकने देते पासविजय नाथ महाराज जब तपस्या शुरू करते हैं तो उस स्थान के आसपास किसी भी प्रकार का शोरगुल नहीं किया जाता और न ही किसी को आने-जाने दिया जाता है. तपस्या के दौरान चारों तरफ शांत माहौल बना रहता है और गलती से कोई व्यक्ति वहां पहुंचता है तो वहां बैठे लोग उन्हें शांत कर वापस भेज देते हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 18, 2024, 11:53 IST