रावण के जले अंश को पाने के लिए लोग करते है मारामारी, फिर घर की तिजोरी में कर देते है बंद
जयपुर. राजस्थान सहित पूरे भारतवर्ष में दशहरा का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है. लेकिन राजस्थान के कई ग्रामीण इलाकों में आज भी रावण के अंश की पूजा होती है. राजस्थान के जयपुर ग्रामीण के क्षेत्रों में रावण दहन के बाद रावण के पुतले का एक छोटा सा हिस्सा भी घर ले जाना लोग अपना सौभाग्य समझते हैं. ऐसा परंपरा और धार्मिक महत्व को लेकर किया जाता है.
परंपरा और धार्मिक महत्व के कारण रावण को बनाते समय कई ग्रामीण इलाकों में उसके 10 मटके से बनाए जाते हैं. इसके अलावा ऐसी अनेकों चीज उसमें लोहे और अन्य धातुओं की लगाई जाती है जो जले नहीं. जब दशहरे पर रावण का दहन के बाद नीचे गिरता है तो उसके मटकी रूपी सिर्फ फूट जाता है और लोग मटकी के छोटे-छोटे टुकड़े को लेने के लिए दौड़ते हैं. इसके अलावा रावण की पुतले में रहने वाली छोटी-छोटी धातुओं को भी लोग अपने घर पर लेकर जाते हैं.
घर में नहीं होता है बुरी नजर का असरपंडित अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि रावण एक वैभवशाली ब्राह्मण राजा था, जो कि सोने की लंका में रहता था. वे श्रेष्ठ विद्वानों में गिना जाना जाता था व परम शिवभक्त था. इसलिए लोगों का मानना है कि यदि रावण के पुतले का एक अंश भी घर में रहे तो घर में सुख व संपदा आएगी. जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में रावण के पुतले के अंश को लोग अपने अनाज की कोठी में रखते हैं या फिर नजर उतारने के लिए काम में लेते हैं. पंडित शर्मा के अनुसार रावण का अंश घर में रहने पर बुरी नजरों का असर घर में नहीं होता है.
रावण की धातु को रखते हैं तिजोरी मेंपंडित अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि रावण दहन के बाद मटकी के टुकड़ों के अलावा उसके शरीर की धातुओं के टुकड़ों को भी लोग अपने घर पर लेकर जाते हैं. इसको अपने घर की तिजोरी में रखते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि जिस तरीके से रावण सोने की लंका में रहता था और धन की देवी और कुबेर की कृपा हमेशा उसे पर रहती थी, उसी तरीके से रावण का अंश भर भी उनकी तिजोरी में रखने से उनके ऊपर भी मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की कृपा होगी.
FIRST PUBLISHED : October 11, 2024, 12:24 IST