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झुंझुनूं के लोग हरियाणा से खरीदते हैं पीने का पानी, दशकों से नहीं है पानी का इंतजाम, पड़ोसी राज्य से बिछा रखी है पाइप लाइन

Last Updated:May 13, 2025, 23:58 IST

पड़ौस के हरियाणा में पानी का स्तर काफी अच्छा है. नहरी पानी भी मिलता है. ऐसे में अब हरियाणा के लोगों ने अपनी पर्सनल पाइप लाइन इन गांवों तक पहुंचा दी है. दो से 10 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन शिवपुरा जैसे गांवों में प…और पढ़ेंX
झुंझुनूं
झुंझुनूं के बॉर्डर के गांव हरियाणा से खरीदते हैं पीने का पानी, दशकों से नहीं है

झुंझुनूं:  झुंझुनूं के बॉर्डर से लगते गांवों में पीने के पानी के लिए मोहताज हो रहे हैं ग्रामीण. दशकों से झेल रहे हैं पीने के पानी की किल्लत.अभी भी उन्हें कोई समाधान होता हुआ नजर नहीं आ रहा है.पानी बचाने के लिए हर कोई संदेश देता है.पर जब पानी हो ही नहीं तो किसे बचाया जाए. आज लॉकल 18 आपको दिखाने जा रहे है झुंझुनूं का वो गाँव जिसके  ग्राउंड में वॉटर, यानि कि पानी की बूंद तक नहीं है. ऐसा नहीं है कि यह पानी आज ही खत्म हो गया है. बल्कि दशकों से यहां के लोग बूंद बूंद के लिए भी दूसरे राज्य के मोहताज है. खेती की तो ये लोग सोचते ही नहीं, पशुओं को भी रखना छोड़ दिया है. क्योंकि खुद के पानी पीने के लिए भी दूसरे राज्य की ओर देखने पड़ता है. ऐसे में वे कहां से तो खेती करें और कहां से पशु पाले.  झुंझुनूं जिले का ऐसा गाँव हैं शिवपूरा जहां पर दशकों से जमीन में पानी नहीं है. ग्रामीण बूंद बूंद पानी को लेकर भी तरस रहे है. सरकारी सिस्टम भी यहां पानी पहुंचाने में बेबस है.

झुंझुनूं जिले के हरियाणा बॉर्डर का शिवपुरा गांव. शिवपुरा गांव के लोगों ने खेती की आस छोड़ दी है. पशु भी पाले, ऐसी हिम्मत अब इनमें बची नहीं है. कारण है पानी ग्रामीणों की मानें तो शिवपुरा ही नहीं, बल्कि हरियाणा बॉर्डर के लगभग गांवों में जमीन का पानी खत्म हो चुका है. 1000 से लेकर 1200 फुट तक भी जमीन खोदने के बाद बूंद तक नहीं निकलती. सरकारी पानी व्यवस्था यहां आकर फेल हो जाती है. यही कारण है कि अब हरियाणा के लोग राजस्थान की इस ‘लाचारी’ का जमकर फायदा उठा रहे है. पड़ौस के हरियाणा में पानी का स्तर काफी अच्छा है. नहरी पानी भी मिलता है. ऐसे में अब हरियाणा के लोगों ने अपनी पर्सनल पाइप लाइन इन गांवों तक पहुंचा दी है. दो से 10 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन शिवपुरा जैसे गांवों में पहुंचाई गई है. घर—घर पर्सनल लाइन से कनेक्शन दिए गए है. महीने के 300 से 400 रूपए वसूलने के बाद एक घंटे पानी देने का वादा किया जाता है. लेकिन असल में पानी आता है कि 15 से 20 मिनट. कभी प्रेशर के कारण पानी नहीं आता तो कभी पाइप लाइन फट जाने के कारण पानी नहीं पहुंचता. उस समय पीने के लिए भी ग्रामीण पानी को तरस जाते है.

एक अनुमान के मुताबिक शिवपुरा गांव में करीब 165 मकान है. जहां पर 1000 लोगों के करीब की आबादी है. यहां पर राजस्थान विभाग के पीएचईडी विभाग ने आठ टंकियां तो बना रखी है. लेकिन इनमें एक टंकी में ही पानी के लिए सरकारी ट्यूबवैल बना हुआ है. पर इस ट्यूबवैल की भी हालत यह है कि इससे एक टंकी की पानी आपूर्ति भी पूरी नहीं होती. इसलिए गांव के लोगों ने हरियाणा के खेड़की सहित अन्य पास लगते गांवों से पानी की सप्लाई लेते है. जिससे सिर्फ पानी पीने के लिए आपूर्ति हो पाता है. गांव में पशुओं के लिए खेळ बनी हुई है. वो भी सूखी हैं घरों में भी पानी का उपयोग हिसाब लगाकर करना पड़ता है. इसी तरह चूड़ीना गांव के लोग भी हरियाणा से करीब 10 किमी पाइप लाइन बिछाकर हरियाणा के किसानों से पानी लाकर अपने गांव में बनाई डिग्गी में स्टोर कर उसका उपयोग करते हैं और खेती कर रहे है.

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