बारिश के बाद पौधों को नुकसान पहुंचा रहे ये कीड़े, इस तरह करें बचाव नहीं तो बढ़ जाएगा संक्रमण-these-insects-are-harming-the-plants-after-the-rain-protect-them-in-this-way-otherwise-the-infection-will-increase

जयपुर. राजस्थान में मानसून का अच्छा दौर चल रहा है. इसके चलते चारों ओर किसानों के खेतों में अच्छी फसल लहरा रही है. ऐसे में किसानों की फसलों को कीट पंतगों और आक्रमण का खतरा बढ़ गया है. कीट पतंगे छोटे-बड़े गार्डन से लेकर बड़े-बड़े खेतों को नष्ट कर देते हैं. ऐसे में कुछ ऐसे कीट है जिनके बारे में किसानों को जरूर जानकारी होनी चाहिए. आज हम आपको बताएंगे कि खेत और बगीचे में कीटों के प्रकोप का समाधान कैसे करें.
लीफ कटर-बी से ऐसे मिलेगा निजातखेत और बगीचे में जब किसान निरीक्षण करते हैं तो देखते हैं कि पत्तियों और फूलों पर एक गोल-गोल कटिंग हो रही है. लगता है किसी ने खूबसूरती से कैंची से गोल-गोल पत्तियों की कटिंग कर दी है. यह पेड़ पौधों पर रेंगने वाले कीट (लार्वा) का कमाल है जो पत्तियों- फूलों को अपना भोजन बनाता है और बहुत तेजी से आपके प्यारे पौधो की पत्तियां चट कर जाता है और पौधे को गंजा-सा बना देता है.
लार्वा उड़ने वाले कीटों की प्रथम अवस्था होती है. जहां ये रेंगते हुए पौधों पर जीवन व्यतीत करते हैं और भारी नुकसान करते हैं. इनको रोकने के लिए आप नुवान नामक दवा का स्प्रे कर सकते हैं. नुवान एक कान्टेम्ट-सिस्टम वाली दवा है जो तुरंत कीट से निजात दिलाती है. यह दवा अल्पकालीन दवा है यानी पेड- पौधों को कीट से तुरंत निजात दिलाती है.
इसका स्प्रे 10-15 दिन में दोहराया जा सकता है, आवश्यकता होने पर 7 दिन में पुनः किया जा सकता है. दवा की मात्रा निर्देशानुसार ही करें.
फंगल अटैक से ऐसे बचेबरसात के दिनों में वर्षा के थमते ही या कुछ दिनों के वर्षा के अन्तराल में पेड़ पौधों पर विशेष कर नाजुक पौधो पर तने एवं पौधो के शीर्ष पर एक सफेद-सी तह जम जाती है. तनों पर सफेद तह के अलावा रेड- स्केल हो जाते हैं. पौधो के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं और पौधों की वृद्धि नहीं हो पाती है.
इसकी रोकथाम के लिए आपको मैंकोजेब पाउडर या बावेस्टीन पाउडर का स्प्रे करना चाहिए. हर 10 दिनों के अन्तराल से यह अन्तराल आवश्यकतानुसार 7 दिनों का भी किया जा सकता है. 1 ग्राम पाउडर 1 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.
अन्य बीमारियां से बचावज्यादा बारिश के कारण पौधों में अनेकों बीमारियां होने का खतरा रहता है. जिनमें बहुत छोटे कीटों से नुकसान होता है. पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं. पौधों पर हमें कुछ दिखता नहीं है. यह सूक्ष्म कीटों का आक्रमण होता है. इसकी वजह से पौधे काले पड़ कर मर जाते हैं. इनकी रोकथाम के लिए आप कानर्टेक्ट वाली दवाओं के साथ-साथ सिस्टैमैटिक दवा की इस्तेमाल कर सकते है.
सिस्टैमैटिक दवा पौधों पर स्प्रे करने पर सूक्ष्म रुप में पौधों के पत्तों के माध्यम से पौधे के पूरे शरीर दानी पत्तों-पत्तों पर प्रभाव करती हैं. ये पत्तों के छिद्र (स्टेमेटा) में प्रवेश कर पौधो को दीर्घकालीन सुरक्षा देती है. इन दवाओं में आजकल कुछ नई दवा भी आई है. जिनमें कार्टेक्ट व सिस्टैमैटिक दोनों प्रकार की दवाओं का असर होता है.
दवा के मामले में सावधानीदवा का स्प्रे करते समय आप नाक-आंख अच्छी तरह ढक कर स्प्रे करें, क्योंकि जो दवा कीट पंतगों को मार सकती है वह शरीर को भी नुकसान पहुंचाती है. विशेष कर नाजुक अंग नाक-आंख की सुरक्षा जरूरी है. दवा स्प्रे करने से पहले आप हवा की दिशा देख लें. दवा का स्प्रे आप हवा की दिशा में करें, उसके विपरीत नहीं. यदि हवा बहुत तेज चल रही हो तो स्प्रे ना करें.
दवा का स्प्रे बेहतर होगा सवेरे सूर्योदय के 1-2 घंटे बाद करें जबकि धूप खिल चुकी हो. धूप में पत्तियों के स्टेयेटाज (छिद्र) खुल जाते है. और दवा इन छिद्रों के माध्यत से पौधे में अच्छी तरह प्रवेश करती है.
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FIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 21:21 IST