PM Modi gave big blow to the MP hoping for loksabha ticket again | दोबारा टिकट की आस लगाए सांसदों को PM मोदी ने दिया तगड़ा झटका, बोले- कमल ही हमारा कैंडिडेट

कार्यकर्ताओं को अगले 100 दिन कड़ी मेहनत करनी है
प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद भाजपा के महासचिव विनोद तावड़े ने मीडिया से बात करते हुए बताया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के लिए प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि कमल का फूल ही सभी 543 सीटों के लिए हमारा प्रत्याशी है। उम्मीदवारों का चयन होता रहेगा लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं को अगले 100 दिन कड़ी मेहनत करनी है।”

तैयार हो गया है सांसदों का रिपोर्ट कार्ड
सूत्रों के मुताबिक, आगामी चुनाव में अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए भाजपा ने पहले ही सांसदों का रिपोर्ट कार्ड बना लिया है। ऐसे में जिनकी रिपोर्ट अच्छी नहीं है या जिन सांसदों की उम्र 70 साल के पार है। उन सांसदों को टिकट नहीं दिया जाएगा। जिन सांसदों का नाम किसी तरह के बड़े विवाद में है, उनका भी टिकट कट सकता है।
टिकट कटेगा, कैसे बंद होगी बोलती
सूत्रों का कहना है कि बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करने के बाद उनके सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार हुआ है। टिकट काटने में जनता द्वारा मिली प्रतिक्रिया को ही आधार बनाया जाएगा। ऐसे में टिकट ना मिलने पर बोलती बंद करने का भी इंतजाम पहले ही कर लिया गया है। संभावना यह भी है कि अलग-अलग राज्यों में अच्छा काम करने वाले विधायकों को भी लोकसभा का टिकट दिया जाए। उ
क्या हो सकता है टिकट काटने का पैमाना
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि टिकट काटने के पैमाने में उम्र, प्रदर्शन और विवाद को आधार बनाया जा सकता है। 70 से अधिक उम्र वालों का टिकट कट सकता है। इसके अलावा लगातार तीन बार चुनाव जीतने वाले सांसदों का भी टिकट कट सकता है। उनके क्षेत्र में एंटीइनकंबेंसी के चांस ज्यादा हैं। विवाद में शामिल और बेहद कम अंतर से जीत दर्ज करना वाले संसदों पर भी तलवार लटक रही है। 2019 के चुनाव में 27 सीटें ऐसी हैं जहां केवल एक फीसदी के अंतर से जीत हासिल हुई थी। वहीं दो फीसदी के अंतर से जीतने वाली सीटों की संख्या 48 है। इन सीटों पर उम्मीदवारों को बदला जा सकता है।
70 साल से ज्यादा है 61 सांसदों की उम्र
रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के 61 सांसद ऐसे हैं जिनकी उम्र 70 साल से ज्यादा है। वहीं लगातार तीन बार चुनाव जीतने वाले 20 सांसद हैं। भाजपा उन सीटों पर इस बार खास ध्यान देने वाली है जिनपर 2019 में हार हुई थी। ऐसी 161 सीटों में से कम से कम 67 पर जीत का लक्ष्य रखा गया है। भाजपा को बंगाल और तेलंगाना के साथ आंध्र प्रदेश से भी उम्मीदें हैं जहां सीटों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
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