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PM Narendra Modi said Democracy is in our DNA, What is meaning od DNA | डीएनए का मतलब क्या होता है.

PM Modi said Democracy is in our DNA: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि लोकतंत्र हमारे DNA में है. इसे कोई डिगा नहीं सकता. प्रधानमंत्री कई बार पहले भी यह बयान दे चुके हैं. पीएम के अलावा हमारे देश के जनमानस में ये बात विद्यमान है कि लोकतंत्र हमारे डीएनए में है लेकिन क्या कभी आपने इस डीएनए शब्द पर गौर किया है. आखिर यह डीएनए क्या बला है. डीएनए का मतलब क्या होता है. क्या यह कोई राजनीति की भाषा है या फिर विज्ञान की. दरअसल, इसका वैज्ञानिकता से लेकर सभ्यतागत स्तर पर अर्थ निकाला जाता है. जीवविज्ञान का यह शब्द भारत की सामाजिक संरचना और लोकतंत्र के अर्थ में धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाने लगा है. आइए इसका मतलब जानते हैं.

क्या बला है डीएनए

डीएनए जीवविज्ञान का एक शब्द है जिसका फुल फॉर्म होता है डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड यानी DNA.इसके फुलफॉर्म पर जाने से पहले यह समझिए कि कोशिका क्या है. जिस तरह ईंट,पत्थर, सीमेंट आदि से घर बनता है. उसी तरह हमारे शरीर का निर्माण भी कई चीजों से होती है. इनमें सबसे छोटी इकाई कोशिका है. यही कोशिका मिलकर उत्तक, सिस्टम और शरीर के अंगों को बनाती है. अब ये कोशिकाएं भी कई चीजों से बनी हैं. इसकी संरचना के केंद्र में न्यूक्लियस होता है और इसी न्यूक्लियस में डीएनए की मौजूदगी होती है. हमारे शरीर के एक मिलीमीटर एरिया में 1 करोड़ कोशिकाएं होती हैं और इन सभी कोशिकाएं के केंद्र में डीएनए होता है. अब समझिए कि डीएनए क्या है. डीएनए नाइट्रोजन बेस से बना एक कोड है जो हमारी हर कोशिका में मौजूद है. यह बेहद सूक्ष्म, लंबा, आकार में सर्पिला मॉल्यूक्यूल है. डीएनए मोड़दार सीढ़ी जैसी दोहरी हेलिक्स संरचना में होता है.यानी यह सीढ़ीनुमा होता है. यह चार नाइट्रोजन बेस एडेनिन, थायमिन, गुवानिन और साइटोसिन से बना एक कोड है. इन्हीं कोड के आधार पर हमारे शरीर का निर्माण होता है. इन सबको मिलाकर जीनोम कहा जाता है. इसमें जीन भी होता है. मान लीजिए कोशिका कोई मकान है. उस मकान का मुख्य कमरा न्यूक्लियस है तो डीएनए उस मुख्य कमरे में रखा महत्वपूर्ण दस्तावेज है. अब यह समझिए कि डीएनए इतना महत्वपूर्ण क्यों है.

डीएनए इतना महत्वपूर्ण क्यों है

डीएनए इतना महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह आपके शरीर की कुंडली है. आपके शरीर के अंग कैसे होंगे, आपका शरीर कैसे काम करेगा, आपकी लंबाई कितनी होगी, आपमें बीमारियां कौन सी होगी, आप कितने दिनों तक जीवित रहेंगे, आपका स्वभाव कैसा होगा, आपमें कौन-कौन से गुण होंगे, आपकी आंखें कैसी होंगी, त्वचा का रंग क्या होगा, ऊंचाई कितनी होगी, आपका खून का समूह क्या होगा, ऐसी सारी चीजें इस सूक्ष्म डीएए में छुपी रहती है. इस तरह DNA हमारे शरीर का ब्लूप्रिंट, मैप और बायोलॉजिकल पासपोर्ट है जो बताता है कि हम कौन हैं और कैसे बनते हैं. यह हमारी पहचान, शरीर की बनावट, स्वभाव और कई जैविक गुण तय करता है. यह गुण हमारे माता-पिता के डीएनए से आता है और यह सतत प्रक्रिया चलती रहती है. डीएन में पूरे शरीर के निर्माण और संचालन का निर्देश लिखा होता है.

डीएनए का काम क्या है

डीएनए के प्रत्येक हेलिक्स में एक कोड होता है. इसमें हजारों कोड होते हैं. इन्हीं कोड के आधार पर शरीर को निर्देश मिलता है और उसी हिसाब से यह काम करता है. हमारे शरीर के जींस में जितने कोड हैं, उनमें से अधिकांश को वैज्ञानिकों ने डिकोड कर लिया है लेकिन कुछ कोड का मतलब आज भी वैज्ञानिकों को पता नहीं है. इस डीएनए में जो कोड होता है हमारी कोशिका उसे पढ़ती है फिर उसे ट्रांसलेट करती है यानी शरीर की भाषा में उसका मतलब समझती है और फिर इस मतलब या निर्देश को प्रोटीन में बदल देती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये कोड सिर्फ चार अक्षरों के होते हैं. A, C, G और T. लेकिन इन 4 अक्षरों के असंख्य संभावित सीक्वेंस या संयोजन हो सकते हैं और सबका मतलब अलग-अलग होता है. यानी हर संयोजन के अलग-अलग कोड और अलग मतलब. इसी तरह हर व्यक्ति का डीएनए अपनी एक अनोखी कहानी लिखता है. अब डिकोड होकर उसका मैसेज जिस प्रोटीन में होता है वही प्रोटीन हमारे शरीर को हर जरूरत में मदद करता है. आप कैसे दिखेंगे और आपके अंग कैसे काम करेंगे, इसी प्रोटीन की मदद से यह सब संभव हो पाता है.

सामाजिक संदर्भ में डीएनए का मतलब

डीएनए के विश्लेषण से आप समझ गए होंगे कि डीएनए ही हमारा बायलॉजिकल कुंडली है. कुंडली ही यह तय करता है कि हमारा भविष्य कैसा होगा. चूंकि भारत दुनिया के सबसे प्राचीन लोकतांत्रिक शासनों में गिना जाता है. प्राचीन समय में जब राजाओं की सत्ताओं की कायम थी तब भी राजधर्म को महत्व दिया गया. राजधर्म का मतलब राजा के कर्तव्य से था. यही राजधर्म एक तरह से संविधान था. यानी राजा अपने मन के हिसाब से कुछ नहीं कर सकता था, उसे राजधर्म का पालन करना होता था. जो ऐसा नहीं करता था, उसे अनैतिक और अयोग्य माना जाता था. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस बीच हमने कई झंझावतें देखी है. सैकड़ों साल तक भारत पर आततायियों का जुल्मो-सितम रहा. इन सबके बावजूद भारत की आत्मा में लोकतंत्र जिंदा रहा. यही कारण है कि हम अक्सर इस विरासत को आधुनिक विज्ञान की भाषा डीएनए से जोड़कर देखते हैं. जब भी कोई चीज हमारी सनातन परंपरा से जुड़ी होती है तो अक्सर हम वहां इसे डीएनए से जोड़कर देखते हैं. सामाजिक संदर्भों में डीएनए आत्मा का पर्याय भी बन गया है.

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