poem by Sakshi | कविता-याद हमें बलिदानी आए

hindi poem
जयपुर
Published: January 22, 2022 03:37:23 pm
साक्षी रघुवंशी माह जनवरी 26 को हम सब गणतंत्र मनाते हैं।
नील गगन में बड़ी शान से हम तिरंगा फहराते हैं।
जब-जब तिरंगा लहराए याद हमें बलिदानी आए। हाथ तिरंगा तान के सीना बढ़ते थे जब बलिदानी।।
भारत मां की माटी को जान की भी दी कुर्बानी।

कविता-याद हमें बलिदानी आए
इस माटी का मोल जरा पूछो तो वीर जवानों भाई से।
बेटा जब सरहद पर हो तब पूछो उसकी माई से।।
हंसकर फांसी पर झाूले आजादी के मतवाले थे।
चंद्रशेखर, सुभाष ,और भगत सिंह जैसे और कई बलिदानी थे।
शत शत नमन है उन वीरों को जिन्होंने आजादी हमें दिलवाई।
उन वीर सपूतों के कारण ही आजादी हमने पाई।
गणतंत्र हुआ जब देश हमारा आजादी का नया रंग है छाया।
संविधान के नए पन्नों पर भारत का भविष्य नजर आया।
वोट डालकर सभी बनाते भारत की सरकार यहां।
जाति धर्म का भेद न सबको समानता का भाव यहां।
मौके सबको मिले बराबर कोई नहीं लाचार यहां।
संविधान को पढ़कर हमने मानवता को है जाना।
अधिकारों के साथ जुड़े हम अपने कर्तव्य को पहचाना।
खुशहाली का नया रंग तब छाया भारत पर।
तीन रंग का अपना तिरंगा फिर लहराया भारत पर।। जुडि़ए पत्रिका के ‘परिवार’ फेसबुक ग्रुप से। यहां न केवल आपकी समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि यहां फैमिली से जुड़ी कई गतिविधियांं भी देखने-सुनने को मिलेंगी। यहां अपनी रचनाएं (कहानी, कविता, लघुकथा, बोधकथा, प्रेरक प्रसंग, व्यंग्य, ब्लॉग आदि भी) शेयर कर सकेंगे। इनमें चयनित पठनीय सामग्री को अखबार में प्रकाशित किया जाएगा। तो अभी जॉइन करें ‘परिवार’ का फेसबुक ग्रुप। join और Create Post में जाकर अपनी रचनाएं और सुझाव भेजें। patrika.com
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