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बसों की रिमॉडलिंग पर पुलिस और आरटीओ की नजर,सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर बड़ी पड़ताल शुरू

Last Updated:October 16, 2025, 17:43 IST

जैसलमेर से जोधपुर आ रही बस हादसे ने परिवहन तंत्र में हड़कंप मचा दिया है. पुलिस और आरटीओ की संयुक्त जांच टीम बस निर्माण कारखाने में पहुंची है और सुरक्षा मानकों की बारीकी से जांच कर रही है. खासतौर पर बस के एसी सिस्टम, आपातकालीन निकास, और फायर सेफ्टी उपकरणों की पड़ताल की जा रही है. अधिकारियों ने साफ किया है कि सेफ्टी फीचर्स की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

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जोधपुर. जैसलमेर से जोधपुर आ रही बस हादसे के बाद अब पूरे परिवहन तंत्र में हड़कंप मच गया है. आरटीओ और पुलिस की संयुक्त टीम जोधपुर में सक्रिय हो चुकी है. जांच टीम सीधे उस कारखाने पर पहुंची जहां हादसे में शामिल बस का निर्माण हुआ था. सूत्रों के मुताबिक परिवहन विभाग से तीन डीटीओ और पांच इंस्पेक्टर की विशेष टीम मौके पर मौजूद है. टीम बसों के निर्माण के मेकैनिज्म से लेकर सुरक्षा मानकों तक की बारीकी से जांच कर रही है. खासतौर पर यह देखा जा रहा है कि क्या बस निर्माण के दौरान सरकार द्वारा तय गाइडलाइंस का पालन हुआ या नहीं बस में लगे एसी सिस्टम, वेंटिलेशन पॉइंट्स, आपातकालीन निकास द्वार और इलेक्ट्रिकल कनेक्शन से जुड़ी हर डिटेल की गहन पड़ताल की जा रही है.

सेफ्टी फीचर्स की अनदेखी पर अब नहीं बख्शे जाएंगे जिम्मेदार
जांच अधिकारियों का कहना है कि कई बार निजी कंपनियां डिजाइन और तकनीक में लागत घटाने के चक्कर में सेफ्टी फीचर्स से समझौता कर लेती हैं, जो हादसों की बड़ी वजह बनती है. इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस और आरटीओ की टीम जॉइंट ऑपरेशन के तहत हर एक पहलू की जांच कर रही है. राजधानी जयपुर में जांच अभियान के बाद अब जोधपुर में सुबह से ही परिवहन विभाग की टीमें सड़कों पर उतर चुकी हैं. बसों की फिटनेस, परमिट, इंश्योरेंस और अग्नि सुरक्षा उपकरणों की जांच की जा रही है. बिना फिटनेस सर्टिफिकेट और सुरक्षा उपकरणों के चल रही बसों पर कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है.

बस बॉडी कोड की पालना जरूरीAIS-119 और AIS-052 जैसे बस बॉडी कोड न केवल बस के डिजाइन तय करते हैं, बल्कि यात्रियों की जान की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं. इन नियमों का पालन न करना सीधे तौर पर जान जोखिम में डालना है. फायर सेफ्टी और इमरजेंसी एग्जिट जैसी सुविधाएं बस ऑपरेटरों की जिम्मेदारी हैं लेकिन परिवहन विभाग की ढिलाई से इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती. स्लीपर कोच बसें अगर AIS-119 मानकों के अनुरूप बनाई जाए तो हादसे की स्थिति में यात्रियों की जान बचाई जा सकती है. मौजूदा हालात बताते हैं कि ज्यादातर बसें मानकों से कोसों दूर हैं.परिवहन विभाग के नियमित निरीक्षण और सख्त कार्रवाई के बिना ये बसें चलती फिरती खतरा बनी रहेंगी.

बस में फायर सेफ्टी के नियमबस में फायर डिटेक्शन सिस्टम होना जरूरी, हर स्लीपर कोच में फायर डिटेक्शन और सप्रेशन सिस्टम (FDSS) लगाना जरूरी. यह सिस्टम AIS-135:2016 मानकों के अनुसार होना चाहिए, AIS-153 लागू होना अनिवार्य है. फायर डिटेक्शन सिस्टम बस में आग लगने की शुरुआती स्थिति में ही अलार्म बजाता है, खुद आग को नियंत्रित करता है. गौरतलब है कि जैसलमेर से जोधपुर आ रही बस में लगी आग ने 20 जिंदगियों को निगल लिया, जबकि एक दर्जन से अधिक यात्री अब भी अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं. हादसे के बाद अब सरकार और प्रशासन के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कब तक लापरवाही और मानकों की अनदेखी मासूम यात्रियों की जान लेती रहेगी.

Monali Paul

Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें

Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW… और पढ़ें

Location :

Jodhpur,Rajasthan

First Published :

October 16, 2025, 17:43 IST

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जोधपुर बस हादसे के बाद जांच तेज, फायर सेफ्टी और बस बॉडी कोड पर सख्ती

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