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पोप जॉन पॉल प्रथम की रहस्यमयी मृत्यु: वेटिकन बैंक कनेक्शन और विवाद.

Pope John Paul I : अल्बिनो लुचियानी का जन्म 17 अक्टूबर 1912 को उत्तरी इटली के वेनेटो क्षेत्र में एक साधारण परिवार में हुआ था. उन्हें बाद में पोप जॉन पॉल प्रथम के नाम से जाना गया. अल्बिनो लुचियानी सादगी भरे व्यक्तित्व के धनी थे. एक ईंट भट्ठा मजदूर के बेटे लुचियानी ने 1935 में पादरी बनने का फैसला किया. धीरे-धीरे तरक्की करते हुए वह वेनिस के कार्डिनल बने. 1978 में लुचियानी पोप चुने गए. हालांकि लुचियानी के पोप बनने पर कई लोगों ने हैरानी जताई. क्योंकि उनकी उम्मीदवारी को बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया था. लुचियानी ने अपने दो पूर्ववर्ती पोप, जॉन XXIII और पॉल VI के सम्मान में अपना नाम जॉन पॉल चुना. इटली वाले उन्हें ‘इल पापा डेल सोरिसो’ (स्माइलिंग पोप) और ‘इल सोरिसो डि डियो’ (ईश्वर की मुस्कान) के नाम से जानते थे. 

पोप बनने के बाद उन्होंने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया. उन्होंने पोप के लिए होने वाली पारंपरिक ताजपोशी को ठुकरा दिया. इसके बजाय उन्होंने एक साधारण समारोह का विकल्प चुना जिसमें आम जनता भी शामिल हो सके. ये फैसला उनकी विनम्रता को दर्शाने वाला था. पोप जॉन पॉल प्रथम एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी सादगी और मानवता से लोगों का दिल जीता. 26 अगस्त, 1978 को पोप चुने जाने के बाद उन्होंने केवल 33 दिनों तक ही वेटिकन की अगुआई की. उनकी अचानक मौत ने न केवल कैथोलिक समुदाय बल्कि पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया. उनकी मृत्यु को लेकर उठे सवाल आज भी चर्चा का विषय बने हुए हैं. हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि पोप जॉन पॉल प्रथम की मृत्यु क्यों संदिग्ध मानी जाती है. इसके पीछे कौन से फैक्टर जिम्मेदार हैं?

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भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाजपोप जॉन पॉल प्रथम का संक्षिप्त कार्यकाल उनकी सादगी और लोगों से जुड़ने की क्षमता के लिए जाना जाता है. उन्होंने अपने भाषणों में जटिल धार्मिक अवधारणाओं को सरल तरीके से प्रस्तुत किया. इस वजह से वह आम लोगों के बीच लोकप्रिय हो गए. उनकी यह शैली वेटिकन के पारंपरिक औपचारिक माहौल से बिल्कुल अलग थी. इसके साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई. पोप जॉन पॉल प्रथम ने विशेष रूप से बैंकिंग क्षेत्र में और वेटिकन की संस्थाओं में सुधार की बात की.

कैसे हुई उनकी मौत?28 सितंबर 1978 की रात को पोप जॉन पॉल प्रथम अपने बेडरूम में मृत पाए गए. आधिकारिक तौर पर वेटिकन ने दावा किया कि उनकी मृत्यु हार्ट अटैक से हुई थी. हालांकि इस घोषणा के साथ कई विसंगतियां सामने आईं जिन्होंने संदेह को जन्म दिया. वेटिकन ने शुरुआत में कहा कि पोप का शव उनके निजी सचिव यानी एक पुरुष पादरी ने सबसे पहले देखा था. बाद में यह स्पष्ट हुआ कि वास्तव में दो ननों ने उनका शव देखा था. वेटिकन ने इस तथ्य को छिपाने की कोशिश की. क्योंकि उस समय यह असामान्य माना जाता था कि महिलाएं पोप के निजी कक्ष में प्रवेश करें.

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किन बातों ने पैदा किया संदेहपोप के शव को जल्दबाजी में संरक्षित किया गया, जिसे कई लोग संदिग्ध मानते हैं. डेविड यालोप की 1984 में आई एक किताब ‘इन गॉड्स नेम’ में दावा किया गया कि शव को सुबह 5:30 बजे ही संरक्षित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी, जो सामान्य तौर बहुत जल्दी थी. सामान्य तौर पर शव से रक्त या विसरा का नमूना लिया जाता है. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ. यह आशंका कि कोई विषैला पदार्थ उनकी मृत्यु का कारण हो सकता था. लेकिन इस जल्दबाजी के कारण इस तरह की जांच नहीं की जा सकी. वेटिकन ने यह भी कहा कि उनके शव का परीक्षण नहीं किया गया. उसका तर्क था कि आमतौर पर पोप के निधन के बाद उनके शव का परीक्षण नहीं किया जाता है. हालांकि, इतिहास में कई बार पोप के शवों का परीक्षण किया जा चुका है. इस तरह की असामान्य मृत्यु के मामले में यह कराया जाना जरूरी था. इन सब बातों ने लोगों के मन में संदेह को और गहरा कर दिया.

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क्या था वेटिकन बैंक कनेक्शनपोप जॉन पॉल प्रथम की मौत को वेटिकन बैंक से जोड़कर भी देखा जाता है. इस बैंक को औपचारिक रूप से इंस्टीट्यूट फॉर वर्क्स ऑफ रिलीजन के नाम से जाना जाता है. उस समय वेटिकन बैंक एक बड़े वित्तीय घोटाले में फंसा हुआ था. इसमें एक प्रमुख इतालवी बैंक बैंको एम्ब्रोसियानो भी शामिल था. वेटिकन बैंक के पास बैंको एम्ब्रोसियानो में बड़े शेयर थे. इस बैंक का नेतृत्व रोबेर्तो काल्वी कर रहे थे जिन्हें ‘गॉड्स बैंकर’ के नाम से जाना जाता था. काल्वी की 1982 में रहस्यमयी परिस्थितियों में लंदन में मृत्यु हो गई. आर्कबिशप पॉल मार्सिन्कस वेटिकन बैंक के तत्कालीन प्रमुख थे. वह भी इस घोटाले में शामिल थे. 

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भ्रष्टाचार उजागर करने की योजनाडेविड यालोप ने अपनी किताब में दावा किया कि पोप जॉन पॉल प्रथम ने वेटिकन बैंक में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने की योजना बनाई थी. यालोप के अनुसार, पोप जॉन पॉल प्रथम को इससे जुड़ी कुछ जानकारी दी गई थी. अपनी मृत्यु के दिन यानी 28 सितंबर को उन्होंने कार्डिनल जीन-मारी विलोट को कर्मचारियों को ट्रांसफर करने के बारे में सलाह दी थी. डेविड यालोप का मानना है कि मार्सिन्कस, विलोट और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों ने पोप की हत्या की साजिश रची. क्योंकि पोप की योजनाएं उनके लिए खतरा बन रही थीं. डेविड यालोप के अनुसार इस साजिश में माफिया से जुड़े लोग भी शामिल थे. 

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किसने और क्या किया दावा2019 में प्रकाशित ‘व्हेन द बुलेट हिट्स द बोन’ में एंथनी रायमोंडी ने दावा किया कि उन्होंने अपने चचेरे भाई आर्कबिशप मार्सिन्कस की मदद से पोप को बेहोश करने के लिए उनकी चाय में वैलियम मिलाया और फिर सायनाइड से उनकी हत्या की. रायमोंडी का कहना था कि पोप एक बड़ी धोखाधड़ी को उजागर करने की धमकी दे रहे थे. हालांकि इस दावे का कोई ठोस सबूत नहीं मिला. उनकी मौत की एक वजह धार्मिक भविष्यवाणी भी बतायी जाती है. वेटिकन ने इन षड्यंत्रों को बार-बार खारिज किया है. 

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मृत्यु से कुछ देर सीने में हुआ दर्द2017 में पत्रकार स्टेफानिया फालास्का ने अपनी किताब ‘पोप लुचियानी-क्रॉनिकल ऑफ ए डेथ’ में दावा किया कि पोप जॉन पॉल प्रथम ने अपनी मृत्यु से कुछ घंटे पहले सीने में दर्द की शिकायत की थी. लेकिन उन्होंने डॉक्टर को बुलाने से इनकार कर दिया था. फालास्का ने वेटिकन अभिलेखागार के दस्तावेजों और साक्ष्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि उनकी मृत्यु प्राकृतिक थी. वेटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने भी इन बातों को ‘प्रचार-प्रेरित कचरा’ करार दिया. उन्होंने कहा कि यह एक प्राकृतिक मृत्यु थी. लेकिन वेटिकन की शुरुआती विरोधाभासी बयानबाजी और पारदर्शिता की कमी ने लोगों के मन में संदेह को जन्म दिया. इसीलिए पोप जॉन पॉल प्रथम की मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है.

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