Positive News : यहां पेड़ पौधों को पहनाते हैं पगड़ी, पर्यावरण संरक्षण की ये है पीढ़ियों पुरानी परंपरा

भीलवाड़ा. राजस्थान अपनी खास परम्पराओं और रीति रिवाज के लिए जाना जाता है. बात रहन सहन की हो या पूजा-पाठ की. सबकी यहां अलग परंपरा है. फिर बात चाहें पर्यावरण संरक्षण की हो या जीव संरक्षण की. हर चीज में सबसे पहले राजस्थान का नाम आता है. आजकल वृक्षारोपण और पौधारोपण का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है हर व्यक्ति हरियाली के महत्व को समझते हुए बड़े उत्साह के साथ पौधारोपण कर रहा है. लेकिन राजस्थान में तो ये परंपरा का हिस्सा है.
भीलवाड़ा में हर व्यक्ति के जहन और दिमाग में पर्यावरण संरक्षण और पौधारोपण की बात बैठी हुई है. यहां पर्यावरण संरक्षण बड़े खास और परम्परागत रूप से किया जाता है. भीलवाड़ा के गांवों में पारंपरिक तरीके से पेड़ पौधों की पूजा अर्चना कर उन्हें पगड़ी ( सिर का साफा ) पहनायी जाती है. यानि पेड़ों की रक्षा का संदेश दिया जाता है. यह परंपरा एक या दो नहीं बल्कि कई गांव में पीढ़ियों से निभाई जा रही है.
भीलवाड़ा के महुआ, मानपुरा अमृतिया, बरूनदनी, बीलेठा, गोगाखेड़ा , आसींद करेड़ा रायपुर, सहाडा गांव में पेड़ पौधों की पूजा कर उन्हें साफ़ा पहनाया गया. इससे जिले में हजारों एकड़ की चारागाह सुरक्षित हो रही है. पेड़ पौधे घास से पर्यावरण समृद्ध हो रहा है.
क्या है विधानइस परंपरा में सबसे पहले पूरा गांव एक मंदिर या फिर देवस्थान पर जमा होता है. बड़े ठाट बाट से ढोल नगाड़े के साथ भगवान की पूजा अर्चना की जाती है. फिर देवस्थान से पगड़ी लेकर पगड़ी का एक सिरा मंदिर जबकि दूसरा सिरा पूजा वाले स्थान पर पहुंचाया जाता है. इस परंपरा में पूरा गांव शामिल होता है जो पगड़ी को हाथ लगाकर अपनी सहभाग्यता अर्पित करता है. पूजा अर्चना करने के बाद पेड़ पौधे को पगड़ी पहनाई जाती है और हरियाली और खेत खलियान समृद्ध होने की कामना की जाती है.
खेतों में हरियाली की कामनाग्रामीणों का कहना है कार्यक्रम में हजारों महिलाएं, बच्चे और सभी वर्ग के लोग जुड़कर चारागाह संरक्षण, जल बचाने एवं हमारे कल को सुरक्षित करने के लिए समाज को जागरूक करते आ रहे हैं. इस साल केंद्र और राज्य सरकार भी पेड़ लगाने का अभियान छेड़े हुए हैं. इस परंपरा के पीछे मुख्य उद्देश्य यही है कि खेतों में हरियाली बनी रहे. हम और हमारा भविष्य, आने वाली पीढ़ियां फलें फूलें
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FIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 23:51 IST