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Last Updated:October 25, 2025, 17:00 IST
Murgi Palan Business: मुर्गी पालन आज के समय में सबसे तेजी से बढ़ता ग्रामीण व्यवसाय बन गया है. कम निवेश और ज्यादा मुनाफे की वजह से युवा और किसान तेजी से इस बिजनेस की ओर बढ़ रहे हैं. सही नस्ल की मुर्गियों और आधुनिक तकनीक अपनाकर सालाना लाखों रुपये तक की कमाई संभव है.
भीलवाड़ा: आज के समय में जब खेती की लागत बढ़ रही है और मौसम पर निर्भरता जोखिम भरी हो गई है, तब पशुपालन क्षेत्र किसानों के लिए स्थायी आय का मजबूत जरिया बनकर उभर रहा है. खासतौर पर मुर्गी पालन (Poultry Farming) ऐसा व्यवसाय है, जिसमें कम जगह, कम पूंजी और थोड़े से प्रयास से बड़ी आमदनी प्राप्त की जा सकती है. यही कारण है कि भीलवाड़ा और आस-पास के इलाकों में अब कई युवा व किसान मुर्गी पालन को नए रोजगार और बिजनेस मॉडल के रूप में अपना रहे हैं.

मुर्गी पालन शुरू करने का प्लान बना रहें हैं तो इससे पहले यह तय करना जरूरी है कि उद्देश्य अंडा उत्पादन है या मांस उत्पादन. अगर आप अंडों के लिए मुर्गियां पालना चाहते हैं तो लेगहॉर्न , हिसेक्स ब्राउन और BV-300 जैसी नस्लें सबसे उपयुक्त रहती हैं, जो सालभर में 280 से 320 अंडे तक देती हैं और कम चारा खाती हैं. वहीं मांस उत्पादन के लिए कॉब 400, कॉब 500, रॉस 308 और वेंकोब जैसी ब्रोइलर नस्लें बेहतर हैं, जो 6–7 सप्ताह में बाजार के लायक वजन प्राप्त कर लेती हैं. अगर आप अंडे और मांस दोनों के लिए मुर्गियां पालना चाहते हैं तो वनराज, गिरीराज, असिल और देसी नस्लें सबसे अच्छी रहती हैं क्योंकि इनमें रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है और देसी स्वाद भी मिलता है. छोटे स्तर पर घरेलू पालन के लिए देसी या वनराज मुर्गियां बढ़िया रहती हैं, जबकि व्यावसायिक पालन के लिए कॉब या रॉस नस्लें अधिक मुनाफा देती हैं.

इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले यह तय करना है कि आपका उद्देश्य क्या है अंडा उत्पादन (Layer Farming) या मांस उत्पादन (Broiler Farming) हैं. अगर आप अंडों के लिए मुर्गियां पालना चाहते हैं, तो आपको ऐसी नस्लें चुननी चाहिए जो अधिक अंडे दें और कम चारा खाएं. वहीं अगर आपका लक्ष्य मांस उत्पादन है, तो तेज़ी से वजन बढ़ाने वाली ब्रोइलर नस्लें बेहतर रहती हैं.

अंडा उत्पादन के लिए उपयुक्त नस्लें जिसमें लेगहॉर्न, हिसेक्स ब्राउन और BV-300 जैसी नस्लें भारत के मौसम के लिए बेहद उपयुक्त हैं. ये सालभर में लगभग 280 से 320 अंडे तक उत्पादन देती हैं और इनकी देखभाल भी आसान होती है. लेगहॉर्न मुर्गी हल्के वजन की होती है और कम चारे में अधिक उत्पादन देती है, जिससे यह छोटे किसानों के लिए खासा लाभदायक साबित होती है. वहीं हिसेक्स ब्राउन नस्ल का अंडा बड़ा और मजबूत खोल वाला होता है, जिसकी बाजार में अच्छी मांग रहती है.

मांस उत्पादन के लिए लोकप्रिय नस्लें कॉब 400, कॉब 500, रॉस 308 और वेंकोब जैसी ब्रोइलर नस्लें तेजी से वजन बढ़ाती हैं. ये मुर्गियां 6 से 7 सप्ताह में 2 से 2.5 किलो वजन तक पहुंच जाती हैं, जिससे किसान जल्दी बिक्री कर लाभ कमा सकते हैं. यह नस्लें अधिकतर व्यावसायिक फार्मों में प्रयोग की जाती हैं और कम समय में उच्च उत्पादन देती हैं.

अगर आपका लक्ष्य अंडे और मांस दोनों का उत्पादन करना है, तो वनराज, गिरीराज, असिल और देसी नस्लें आपके लिए बेहतरीन विकल्प हैं. ये मुर्गियां न सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता में मजबूत होती हैं, बल्कि देसी स्वाद के कारण बाजार में इनकी विशेष मांग रहती है. गांवों में घरेलू पालन के लिए वनराज या देसी मुर्गियां सबसे उपयुक्त हैं क्योंकि इन्हें खुली जगह पर भी आसानी से पाला जा सकता है और इनकी देखभाल में ज्यादा खर्च नहीं आता हैं.

मुर्गी पालन की लागत और मुनाफा एक छोटे स्तर के 100 मुर्गियों वाले फार्म को शुरू करने में करीब 20 से 25 हजार रुपये तक की शुरुआती लागत आती है, जिसमें चारा, टीकाकरण, पानी और बिजली का खर्च शामिल है. सही प्रबंधन से एक साल में किसान 60 हजार से 1 लाख रुपये तक की आय प्राप्त कर सकते हैं. बड़े स्तर पर यह मुनाफा लाखों में पहुंच सकता है.
First Published :
October 25, 2025, 16:48 IST
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मुर्गी पालन से बदली किसानों की किस्मत, अब हर महीने बैंक में गिरते हैं लाखों



