ठाकुर जी के द्वार से करुणा का प्रसाद, तीन दोस्तों की श्रीजी रसोई हर शाम एक हजार जरूरतमंदों के चेहरे पर बिखेर रही है मुस्कान!

Last Updated:December 16, 2025, 15:34 IST
भरतपुर में ठाकुर जी के द्वार पर चल रही श्रीजी रसोई मानव सेवा का अद्वितीय उदाहरण बन चुकी है. इसकी शुरुआत तीन दोस्तों—राहुल सिंह, मुकेश कश्यप और गौरव—की सच्ची सोच और मजबूत इच्छाशक्ति से हुई थी. शुरुआत में सीमित लोगों तक ही यह सेवा पहुंचती थी, लेकिन आज रोज़ाना करीब एक हजार जरूरतमंदों को निःशुल्क भोजन प्रदान किया जाता है.
निशुल्क चल रही श्रीजी रसोई
भरतपुर. ठाकुर जी के द्वार पर चल रही मानव सेवा आज हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा बन चुकी है, जो समाज के लिए कुछ करना चाहता है. श्रीजी रसोई के नाम से यह निःशुल्क भोजन सेवा जिसे भी दिखाई देती है, वह इसका मुरीद हो जाता है. इस अनूठी पहल की शुरुआत भरतपुर के तीन दोस्तों—राहुल सिंह, मुकेश कश्यप और गौरव की सच्ची सोच और मजबूत इच्छाशक्ति से हुई थी. शुरुआत में यह सेवा सीमित लोगों तक ही थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता गया और आज यह रोज़ाना करीब एक हजार जरूरतमंदों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर रही है.
मंदिर परिसर में बिना किसी प्रचार-प्रसार के चुपचाप चल रही यह रसोई अपने असर में बेहद बड़ी साबित हो रही है. तीनों दोस्त अपने व्यस्त कारोबारी जीवन से समय निकालकर इस सेवा को निरंतर चला रहे हैं. उनका मानना है कि सच्ची सेवा वही है जिसमें दिखावा नहीं बल्कि समर्पण हो, यही कारण है कि श्रीजी रसोई आज केवल एक भोजन सेवा नहीं बल्कि श्रद्धा और विश्वास का केंद्र बन चुकी है.
श्रीजी रसोई में हर दिन शाम को तैयार किया जाता है भोजन
राहुल सिंह ने लोकल 18 को बताया कि श्रीजी रसोई में हर दिन शाम को भोजन तैयार किया जाता है. रोज़ाना लगभग एक हजार लोगों के लिए निःशुल्क भोजन बनाया जाता है ताकि कोई भी जरूरतमंद भूखा न रहे. भोजन का मेन्यू हर दिन अलग-अलग रखा जाता है, जिससे लोगों को पौष्टिक और संतुलित आहार मिल सके. कभी दाल-चावल, कभी रोटी-सब्ज़ी, तो कभी खिचड़ी बनाकर श्रद्धा के साथ परोसी जाती है. राहुल ने बताया कि हर दिन शाम करीब 6:30 बजे तैयार किए गए भोजन का पहले ठाकुर जी श्री बांके बिहारी को भोग लगाया जाता है.
इसके बाद मंदिर परिसर में जरूरतमंद लोगों को व्यवस्थित तरीके से बैठाकर भोजन कराया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में साफ-सफाई, अनुशासन और सम्मान का विशेष ध्यान रखा जाता है ताकि हर व्यक्ति स्वयं को सम्मानित महसूस करे. उन्होंने कहा कि यह पहल केवल एक रसोई नहीं रह गई है, बल्कि अब यह श्रद्धा की एक रस्म बन चुकी है, यहां भोजन को प्रसाद के रूप में देखा जाता है और सेवा को भक्ति के रूप में. श्रीजी रसोई आज यह संदेश दे रही है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कुछ लोग मिलकर भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं.
About the AuthorMonali Paul
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Location :
Bharatpur,Rajasthan
First Published :
December 16, 2025, 15:34 IST
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भरतपुर श्रीजी रसोई मानव सेवा रोजाना एक हजार जरूरतमंदों को भोजन



