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Lord Mahavir Swami had wandered here in Rajasthan, even today it is recognized as the living Mahavir Swami Tirtha.

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 07, 2025, 13:11 IST

Srohi News: स्वरूपगंज से नितोड़ा गांव होते हुए केर नामक गांव मे अरावली की पहाडियों के बीच स्थित इस जैन मंदिर को लेकर धर्मावलंबियों में गहरी आस्था है. प्राकृतिक सुन्दरता के बीच यहां इस जिनालय के अलावा आसपास कोई र…और पढ़ेंX
दियाणा
दियाणा जैन तीर्थ क्षेत्र

जैन धर्म के 24वें तीर्थंक भगवान महावीर स्वामी के विहार के सबसे ज्यादा प्रमाण राजस्थान के सिरोही और आसपास के जिलों में मिलते हैं. अर्बुदांचल क्षेत्र में उनके कई प्राचीन मंदिर बने हुए हैं. इनमें से एक मंदिर इस भी है जिस्मानी मान्यता है कि भगवान महावीर स्वामी जीवित स्वरूप में विराजमान हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं. सिरोही जिले के पिंडवाड़ा तहसील के कर गांव के समीप स्थित दियाणा जीवित महावीर स्वामी जैन तीर्थ की.

स्वरूपगंज से नितोड़ा गांव होते हुए केर नामक गांव मे अरावली की पहाडियों के बीच स्थित इस जैन मंदिर को लेकर धर्मावलंबियों में गहरी आस्था है. प्राकृतिक सुन्दरता के बीच यहां इस जिनालय के अलावा आसपास कोई रहवासी इलाका नहीं है. जैन धर्म के लोग इसे जीवित महावीर स्वामी के जिनालय के रूप में पहचानते हैं. जैन धर्म की लोक कथा में इस जिनालय का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि नाणा दियाणा नांदिया, जीवितस्वामी वांदिया. इसमें छोटी मारवाड़ के उन पंच तीर्थ में से दियाणा तीर्थ का उल्लेख किया गया है, जहां महावीर स्वामी ने विहार किया था.

महावीर स्वामी के भाई नन्दिवर्धन ने करवाया था निर्माणइस तीर्थ को लेकर मान्यता है कि यह भगवान महावीर स्वामी के समय का माना जाता है. इसे मारवाड के पंचतीर्थी में से एक माना जाता है. भगवान महावीर ने यहां विचरण कर यहां काउसग्ग ध्यान में रहे थे. भगवान महावीर बड़े भाई नंदीवर्धन ने यहां 52 जिनालय का निर्माण करवाकर यह प्रतिमा प्रतिष्ठित की थी. यहां विराजमान भगवान की प्रतिमा की कला को भक्त हेमराज जैन ने बताया कि यहां प्राचीन पट्ट और 13वी-14वी सदी के लेख भी है. वि.सं 1436 को यहां श्री पार्श्वनाथ चरित्र लिखवाने का उल्लेख मिलता है. यह तीर्थधाम 14 वी शताब्दी में काफी ख्याति प्राप्त कर चुका था. इस वजह से उस समय के राजवी तेजपाल और मंत्री कृपा ने इस जिनालय को बावड़ी भेट की थी. इस जिनालय का अंतिम बार जीर्णोद्धार वर्ष 1997 में आचार्य जिनेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब की निश्रा में हुआ है. यहां आने वाले भक्तों के लिए धर्मशाला और भोजशाला व्यवस्था है.

मंदिर में बनी हुई है 48 देरियाइस मंदिर में मुख्य गंभारा, सभामंडप, श्रृंगार चौकी, गूढमंडप, नवचोकी, भमती में 48 खाली देरीयां बनी हुई है. इसमे दो देरी में सिर्फ मूर्तियां और पगलिए की जोड है. मंदिर के भमती का कोट और शिखरबंध बावन जिनालय की रचना किया हुआ है. मूलनायक श्री महावीर स्वामी भगवान की प्रतिमा श्वेत वर्ण की और आदमकद में विराजमान है. मुख्य गंभारे में मूलनायक भगवान की चमत्कारी मूर्ति पंचतीर्थी के परिकरवाली है. यहां गादी में नीचे बने धर्मचक के दोनों तरफ दो हिरण और देवी की दोनों तरफ हाथी, सिंह और यक्ष – यक्षिणी की आकृतिया बनी हुई है. नवचोकी में जिनमातृ चोवीसी का आरस का एक सुंदर पट्ट बना हुआ है. जिस पर सं. 1268 का लेख है.

महावीर स्वामी के विहार को लेकर ये है मान्यताजैन शास्त्रों और संतो की ओर से लिखे ग्रंथो में प्रमाण मिलते हैं कि भगवान महावीर ने 37वें साल में विहार के लिए यहां आए थे, क्योंकि वह अपने लोगों से दूर रहकर आराधना करना चाहते थे, इसलिए वे अर्बुदांचल क्षेत्र की तरफ आए. वे पाली के नाणा से सिरोही की देवनगरी व आबू क्षेत्र में प्रवेश किया.


Location :

Sirohi,Rajasthan

First Published :

February 07, 2025, 13:11 IST

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यहां भगवान महावीर स्वामी ने किया था विचरण, आज भी तीर्थ के रूप में है पहचान

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