Profitable Brinjal Farming in Bharatpur

Last Updated:November 01, 2025, 09:47 IST
Agriculture Tips: भरतपुर के ब्रह्मबाद में किसान गोल बैंगन की खेती से मुनाफा कमा रहे हैं. कम लागत, बेहतर उत्पादन और बढ़ती मांग ने इस फसल को किसानों की नई पहचान बना दिया है. बाजार में गोल बैंगन की कीमत ₹40 से ₹60 प्रति किलो तक मिल रही है, जो किसानों के लिए काफी लाभदायक है. फसल में कीटों और रोगों का कम प्रकोप होने के कारण लागत कम आती है. किसान अब इस मुनाफे वाली खेती को बड़े पैमाने पर अपनाने की योजना बना रहे हैं.
Agriculture Tips: भरतपुर जिले के ब्रह्मबाद इलाके में इस समय गोल बैंगन (Round Brinjal) की खेती ने किसानों को नई पहचान दी है. क्षेत्र के कई किसान पारंपरिक गेहूं-सरसों जैसी फसलों से हटकर अब गोल बैंगन की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें बेहतर मुनाफा मिल रहा है. पारंपरिक फसलों में लागत अधिक और मुनाफा कम होने के कारण किसान वैकल्पिक फसलों की तलाश में थे, और गोल बैंगन उनके लिए मुनाफे की नई फसल बनकर उभरा है. यह बदलाव न केवल स्थानीय कृषि परिदृश्य को बदल रहा है, बल्कि अन्य किसानों को भी नए प्रयोगों के लिए प्रेरित कर रहा है.
किसानों का कहना है कि गोल बैंगन की खेती में लागत अपेक्षाकृत कम आती है, जबकि उत्पादन अधिक होता है. यह फसल जल्दी तैयार होती है और एक ही पौधे से लंबे समय तक फल प्राप्त किए जा सकते हैं. सामान्य लंबे बैंगन की तुलना में गोल बैंगन का रोग और कीटों से नुकसान भी कम होता है, जिससे दवाइयों और कीटनाशकों पर होने वाला खर्च बच जाता है. कम इनपुट (Input) और उच्च आउटपुट (Output) के इस मॉडल ने किसानों की आय में सीधे तौर पर वृद्धि की है.
बाजार में बढ़ी मांग और बेहतर कीमतस्थानीय बाजारों में गोल बैंगन की मांग लगातार बढ़ रही है. बाजार में इसकी कीमत ₹40 से ₹60 प्रति किलो तक मिल रही है, जो आलू, टमाटर जैसी अन्य मौसमी सब्जियों की तुलना में कहीं अधिक लाभदायक है. व्यापारी भी इस क्षेत्र के गोल बैंगन की क्वालिटी, आकार और ताज़गी की तारीफ कर रहे हैं, जिसके कारण उन्हें आसानी से और अच्छे दामों पर खरीदार मिल जाते हैं. बढ़ती मांग और ऊंची कीमत ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौटा दी है.
खेती की तकनीक और मिट्टी का महत्वकृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गोल बैंगन की खेती हल्की दोमट मिट्टी और नमी युक्त खेतों में बेहतर होती है. सफलता के लिए इसकी खेती सही तकनीक से करना आवश्यक है. इसके लिए पौधों को पहले नर्सरी में तैयार किया जाता है और 25 से 30 दिन बाद खेत में रोपाई की जाती है. रोपाई के बाद यह फसल 60 से 70 दिन में कटाई योग्य हो जाती है और किसान लगातार कई महीनों तक फसल ले सकते हैं. रोपाई के समय जैविक खाद का उपयोग इसकी पैदावार को कई गुना बढ़ा देता है.
किसानों के चेहरे पर लौटी मुस्कानगोल बैंगन की खेती ने न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारी है, बल्कि उन्हें बाजार में एक स्थायी पहचान भी दी है. ब्रह्मबाद क्षेत्र में इस समय हर खेत में गोल बैंगन की हरियाली देखी जा सकती है. किसान अब इस खेती को बड़े पैमाने पर अपनाने की योजना बना रहे हैं, जिससे आने वाले समय में यह क्षेत्र गोल बैंगन के उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है.
Location :
Bharatpur,Bharatpur,Rajasthan
First Published :
November 01, 2025, 09:47 IST
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जिस फसल को लोग मामूली समझते थे, अब वही बना रही किसानों को लखपति!



