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Hindustan Shipyard में निस्तार व फ्लीट सपोर्ट शिप प्रोजेक्ट्स की प्रगति

Last Updated:October 14, 2025, 00:12 IST

HINDUSTAN SHIPYARD LTD: हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) भारत की समुद्री रक्षा निर्माण क्षमता की रीढ़ बन चुका है. यहां न केवल युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण और मरम्मत हो रही है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के विज़न को भी मजबूती से आगे बढ़ाया जा रहा है.

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हिंदुस्तान शिपयार्ड आत्मनिर्भरता की बैकबोन, पूर्वी नौसेना कमांडर ने की समीक्षाआत्मनिर्भर नेवी

HINDUSTAN SHIPYARD LTD: पिछले कुछ दशकों में भारत ने शिप बिल्डिंग क्षमता को इस कदर बढ़ा लिया है कि भारतीय नौसेना की ‘आत्मनिर्भर भारत’ मुहिम को एक नई ऊंचाई मिल गई है. आज भारतीय शिपयार्ड्स में एयरक्राफ्ट कैरियर से लेकर हर तरह के वॉरशिप न सिर्फ डिज़ाइन किए जा रहे हैं, बल्कि उन्हें रिकॉर्ड समय में तैयार कर नेवी को सौंपा भी जा रहा है.समय-समय पर नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी इन शिपयार्ड्स में चल रहे प्रोजेक्ट्स की समीक्षा के लिए दौरे पर जाते रहते हैं. इसी कड़ी में ईस्टर्न नेवल कमांडर वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने 10 अक्टूबर को विशाखापत्तनम स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने HSL में जारी विभिन्न प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की. HSL की ओर से वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर को सम्मानित भी किया गया. वर्तमान में इस शिपयार्ड में कई महत्वपूर्ण नौसैनिक वॉरशिप्स का निर्माण जारी है. यहां पनडुब्बियों का ओवरहॉल और रिफिटिंग भी की जा रही है, विशेष रूप से स्कॉर्पीन क्लास और अन्य पनडुब्बियों की मरम्मत इसमें शामिल है.

स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसेल‘निस्तार क्लास प्रोजेक्ट’ के तहत कुल दो डाइविंग सपोर्ट वेसेल्स तैयार किए जाने थे. भारत की हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड और नौसेना के बीच इस प्रोजेक्ट को लेकर साल 2018 में समझौता हुआ था. करार के अनुसार, दोनों वेसेल्स को डील साइन होने के 36 महीने के भीतर नौसेना को सौंपा जाना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई. लेकिन बावजूद इसके हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड इस प्रोजेक्ट को पूरा कर पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसेल निस्तार नेवी को सौंप दिया. दूसरा स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसेल निपुण भी बड़ी तेजी से आकार ले रहा है. इसका प्रमुख उद्देश्य यह है कि समुद्र में सबमरीन में किसी भी तरह की कोई दिक्कत होती है या वह डूब जाती है और ऐसी स्थिति में उस सबमरीन में फंसे नौसेनिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जाना होता है. उस वक्त ये वेसल काम आएगी. इन वेसल के जरिए डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल यानी DSRV को ले जाया जाएगा और उन्हें गहरे समुद्र में गोता लगाकर सबमरीन से रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा.

फ्लीट सपोर्ट शिप प्रोजेक्ट: HSL को मिला ज़िम्मासाल 2023 में सरकार ने भारतीय नौसेना के लिए 5 सपोर्ट फ्लीट शिप्स की खरीद को मंज़ूरी दी थी. उसी साल भारतीय नौसेना और हिंदुस्तान शिपयार्ड के बीच समझौता भी हुआ. करार के मुताबिक पहला शिप 4 साल के बाद यानी साल 2027 में भारतीय नौसेना को मिल जाएगा और बाकी हर शिप 10 से 12 महीने के बीच मिलते रहेंगे. 8 साल के अंदर सभी 5 सपोर्ट फ्लीट शिप नौसेना को दिए जाने की डेडलाइन है. समय पर इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जा सके, इसके लिए हिंदुस्तान शिपयार्ड ने 2 जहाजों के निर्माण के लिए एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली के साथ सब कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है. पहले शिप का काम पिछले साल हिंदुस्तान शिपयार्ड में शुरू हुआ. दूसरा शिप इस साल और अब तीसरा शिप भी एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली में बनना शुरू हो चुका है.

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October 14, 2025, 00:12 IST

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हिंदुस्तान शिपयार्ड आत्मनिर्भरता की बैकबोन, पूर्वी नौसेना कमांडर ने की समीक्षा

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