कड़ाके की सर्दी से फसलों की सुरक्षा | Winter Crop Protection Tips for Farmers

Last Updated:December 07, 2025, 12:53 IST
Winter Crop Protection: राजस्थान में कड़ाके की सर्दी और पाले से फसलें प्रभावित हो रही हैं. किसान पौधों को कवरिंग तकनीक (जूट या भूसी), हल्की सिंचाई और गर्मी प्रदान करने जैसे उपाय अपनाएं. इन तरीकों से सब्जियों और रबी फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है.

सर्दियों का मौसम फसलों के लिए अनुकूल रहता है लेकिन कड़ाके की सर्दी और पाला फसलों को नुक़सान पहुँचाते हैं. इसलिए कुछ दिनों से उत्तरी भारत से आ रही ठंडी हवाओं के कारण राजस्थान के कई ज़िलों में भयंकर सर्दी पड़ रही है. इस सर्दी ने सबसे अधिक किसानों और उनकी फसलों को प्रभावित किया है. कड़ाके की सर्दी के कारण सब्ज़ियों की फ़सल को सबसे अधिक नुक़सान हो रहा है. रबी की फसलों की बुवाई के बाद पौधे ज़मीन से ऊपर निकल आए हैं, और कड़ाके की सर्दी इन पौधों के लिए नुक़सानदायक है.

कृषि विभाग ने शीतलहर की स्थिति को देखते हुए किसानों को सब्ज़ी व अगेती बुवाई की सरसों आदि फसलों को सर्दी से बचाव करने की सलाह दी है. किसान कुछ टिप्स अपना कर अपनी फसल को कड़ाके की सर्दी से बचा सकते हैं. सीकर जिला अतिरिक्त निदेशक कृषि शिवजी राम कटारिया ने बताया कि शीतलहर के दौरान किसानों को फल-सब्ज़ी व अगेती बुवाई वाली सरसों की फ़सल में रात के समय सिंचाई करनी चाहिए. यह नमी मिट्टी के तापमान को संतुलित रखती है और पाले के असर को कम करती है.

इसके अलावा, किसान खेत की उत्तरी दिशा में कचरा या सूखी घास-फूस जलाकर धुआँ करें, ताकि उत्तर से आने वाली तेज़ बर्फीली हवाओं का सीधा प्रभाव फसलों पर न पड़े. धुएँ की मोटी परत खेत के ऊपर एक तरह की सुरक्षात्मक ढाल तैयार कर देती है, जिससे रात के समय तापमान में अचानक गिरावट की तीव्रता कम हो जाती है. यह उपाय पाले Frost के गठन को धीमा कर देता है, जिससे नाज़ुक फसलें बची रहती हैं. यह तकनीक विशेष रूप से शीतलहर वाले दिनों में किसानों द्वारा अपनाई जाती है और लगातार ठंड पड़ने पर कई घंटों तक धुआँ बनाए रखना लाभकारी होता है.
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इसके साथ ही फसलों में गंधक (Sulfur) का घोल छिड़कना भी सर्दी से बचाव का एक उपाय माना जाता है. कृषि विभाग अधिकारी कृषि शिवजी राम कटारिया ने बताया कि गंधक पौधों की ऊतकों और कोशिकाओं को मज़बूती प्रदान करती है, जिससे वे पाले की मार को सहन करने में सक्षम बन जाते हैं. इसके अलावा, गंधक फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और ठंड के कारण उत्पन्न होने वाली फफूंदजनित समस्याओं से भी सुरक्षा देती है. उन्होंने बताया कि समय पर और उचित मात्रा में किया गया यह छिड़काव फसलों की उत्पादकता पर सकारात्मक असर डालता है और नुकसान की आशंका को काफी हद तक कम कर देता है.

कृषि विभाग के अनुसार किसान पॉलीथिन मल्च या प्लास्टिक शीट का उपयोग करके भी फसलों को कड़ाके की सर्दी से बचा सकते हैं. इस तकनीक में पौधों की जड़ों के आसपास ज़मीन पर मल्च बिछाया जाता है, जिससे मिट्टी का तापमान रात के समय तेज़ी से कम नहीं होता और पौधों की जड़ें गर्म बनी रहती हैं. इससे पाले और ठंडी हवाओं का प्रभाव भी कम हो जाता है. सब्ज़ियों और नाज़ुक पौधों के लिए छोटे-छोटे टनल (लो-टनल) भी बनाए जा सकते हैं, जिनमें पॉलीथिन शीट डालकर एक सुरक्षात्मक घर जैसा ढाँचा तैयार किया जाता है. यह ढाँचा रात में गर्मी को अंदर बनाए रखता है और पौधों को पाला जमने से सुरक्षित रखता है. ख़ासकर टमाटर, फूलगोभी, गोभी, मटर और अन्य सब्ज़ियों के लिए यह तरीका बहुत उपयोगी है.

इसके अलावा, कड़ाके की सर्दी में पौधों की जुताई-संरचना सुधारना भी बहुत फ़ायदेमंद होता है. रात के समय हल्की सिंचाई करने से मिट्टी से गर्मी निकलकर ऊपर की हवा में फैलती है, जिससे तापमान में अचानक गिरावट नहीं आती और पाला बनने की संभावना कम हो जाती है. इसके साथ ही खेत में पौधों के चारों ओर मिट्टी चढ़ाना (अर्थिंग-अप) भी उपयोगी है, क्योंकि इससे पौधे ठंड के प्रभाव से सुरक्षित रहते हैं. बहुत ठंड के दिनों में खुली दिशा में खड़ी फसलों को हवा से बचाने के लिए अस्थायी अवरोध भी किसान लगा सकते हैं. वे पर्दे, पुआल की दीवारें या झाड़ियों की कतारें लगा सकते हैं.
First Published :
December 07, 2025, 12:53 IST
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