Public Opinion : हादसों ने छीनी चैन की नींद… यात्री बोले- लग्जरी बसो में सफर मात्र से सहम जाता है दिल, हो ये काम!

Last Updated:October 30, 2025, 17:24 IST
Public Opinion On Bus Fire: जैसलमेर बस अग्निकांड के बाद पाली में लग्जरी बसों की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं. जनता, रामचंद्र बोहरा, पवन ओझा, अरुण सिंह भाटी और प्रवीण मेढ़ ने सख्त कार्रवाई की मांग की है.
पाली. लग्जरी निजी बसे जिनमें हर व्यक्ति बिना टेंशन सफर किया करता था, मगर जैसलमेर बस अग्निकांड के बाद लगातार हो रही लापरवाहियों ने लोगों को टेंशन में डाल दिया है. हालात यह हैं कि अब इन आगजनी की घटनाओं के बीच कई तरह की खामियों को लेकर यात्री खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं. लोकल-18 की टीम जब जनता के बीच पहुंची तो लोगों ने साफ कहा कि लग्जरी बसों में बैठने के नाम से ही डर लगता है क्योंकि इनमें कई खामियां हैं जिन्हें ठीक किया जाना चाहिए.
इसमें अग्निशमन यंत्रों से लेकर इमरजेंसी गेट तक की व्यवस्था कमजोर है. साथ ही नॉर्मल बसों को लग्जरी में बदलने की प्रक्रिया पर भी रोक लगनी चाहिए. जनता ने कहा कि सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसे बस मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, केवल खानापूर्ति नहीं.
सरकार की खामियां जिनको किया जाना चाहिए ठीक
जागरूक नागरिक रामचंद्र बोहरा ने कहा कि यह खामियां सरकार की लापरवाही के कारण हैं जिसके चलते हम निजी लग्जरी बसों में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं. सरकार इन बसों को पास करने में गंभीरता नहीं बरतती. जो हादसे हुए हैं, उनमें इमरजेंसी गेट नहीं थे. दूसरी बात यह है कि बसों में इतनी सवारियां भर दी जाती हैं कि बाहर निकलने की भी जगह नहीं रहती. बसों पर इतना सामान लादा जाता है कि खतरा बढ़ जाता है. जयपुर की घटना में हाईटेंशन लाइन की वजह से आग लगी क्योंकि ओवरलोडेड बस के ऊपर सामान रखा हुआ था. उन्होंने कहा कि सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए और एक तय संख्या निर्धारित करनी चाहिए कि बसों में इतने ही लोग सवार होंगे.
प्रशासन के साथ-साथ जनता को भी समझनी चाहिए यह बातयुवा पवन ओझा और अरुण सिंह भाटी ने कहा कि कई बार एक रूट पर बसें कम होती हैं, इसलिए लोगों की मजबूरी होती है कि वे ओवरलोड बसों में चढ़ जाते हैं. जनता को भी समझना चाहिए कि ऐसा करना खतरनाक है. साथ ही प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसी ओवरलोड बसों पर कार्रवाई करे. बसें जब पूरी तरह भरी होती हैं तो हादसे के वक्त लोग बाहर नहीं निकल पाते. आग जैसी घटनाओं में बस में अग्निशमन यंत्र होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जो मापदंड सुरक्षा के लिहाज से निर्धारित किए गए हैं, उनका पालन सख्ती से होना चाहिए.
सुरक्षा के लिहाज से होना चाहिए मापदंडों का पालनरिटायर्ड बैंक अधिकारी प्रवीण मेढ़ ने लोकल-18 से बातचीत में कहा कि जब हादसे में जान चली जाती है, तब प्रशासन एक्शन में आता है, लेकिन पहले क्यों नहीं सतर्क होता. उन्होंने कहा कि पारदर्शिता जरूरी है क्योंकि कई बार देखा गया है कि कुछ बसें नेताओं या प्रभावशाली लोगों की होती हैं, जिन पर कार्रवाई नहीं होती. ऐसा नहीं होना चाहिए. अगर सुरक्षा के मापदंडों का पालन नहीं किया जाता तो समान रूप से कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जो बसे चल रही हैं वे सुरक्षा मानकों के अनुरूप होनी चाहिए और समय-समय पर जांच कर इन खामियों को ठीक किया जाना चाहिए.
Anand Pandey
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल… और पढ़ें
First Published :
October 30, 2025, 17:24 IST
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हादसों ने छीनी नींद…यात्री बोले- लग्जरी बसो में सफर मात्र से सहम जाता है दिल



