Public opinion: बसों के पहिए थमे तो बढ़ीं दिक्कतें; जनता बोली- सुरक्षा सही, पर सफर ठप क्यों?

जोधपुर. जैसलमेर बस हादसे के बाद ऑल इंडिया टूरिस्ट बस एसोसिएशन की हड़ताल का असर अब जोधपुर में भी दिखने लगा है. सुरक्षा मानकों और प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर बस संचालक नाराज हैं. प्राइवेट बस ऑपरेटर की इस स्ट्राइक से यात्रियों की मुसीबतें बढ़ना तय है. इस फैसले से राजस्थान में स्लीपर बसों समेत 8000 प्राइवेट बसों का चक्का जाम रहेगा. अकेले जोधपुर में 500 स्लीपर बसों के हड़ताल पर चले जाने से 20 हजार यात्रियों को परेशानी हो रही है. हड़ताल के कारण रोडवेज और निजी बस डिपो पर यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
कई यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है, जबकि कुछ ने मजबूरी में महंगे किराए पर टैक्सी या अन्य साधनों से सफर किया. यात्रियों का कहना है कि हादसों पर सख्ती जरूरी है, लेकिन आम जनता की दिक्कतों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. यात्री राजेश ने बताया कि हड़ताल से आम लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है. हमें रोज महीने में 25 दिन ट्रैवल करना पड़ता है लेकिन बसें बंद हैं. हादसे के बाद सुरक्षा जरूरी है, पर समाधान का रास्ता निकालना भी उतना ही जरूरी है.
बस ऑपरेटर्स का आरोप- नहीं हो रही हमारी सुनवाई
बसों की यह हड़ताल 31 अक्टूबर की रात 12 बजे से शुरू हो गई है. बस ऑपरेटर्स का आरोप है कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. परिवहन विभाग मनमर्जी से चालान काट रहा है. बसें सीज की जा रही हैं. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इससे बस ऑपरेटर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. बसें सीज करने से कई रूट्स पर बसें बंद हो गई हैं. विभाग के रवैये को देखते हुए वे 31 अक्टूबर की रात 12 बजे से अनिश्चितकालीन स्ट्राइक पर उतर गए हैं. वे कहते हैं कि हड़ताल करने से हमें कोई फायदा नहीं है, लेकिन इतने बड़े चालान से हम परेशान हैं. हमें कुछ समय चाहिए जिससे नियमों का पालन करने और आवश्यक सुधार के लिए कुछ समय दिया जाए.
सुधार के लिए हमें कुछ समय तो दें
एसोसिएशन अध्यक्ष जफर ने कहा कि निजी बसों की चेकिंग के नाम पर भारी जुर्माने लग रहे हैं. बसों को सीज किया जा रहा है. नियमों का पालन करने और आवश्यक सुधार के लिए कुछ समय दिया जाए. जो नियम निजी बसों पर लगाए जा रहे हैं, वे सरकारी बसों पर भी लागू होने चाहिए. अध्यक्ष जफर खान ने कहा कि नियम तो 2015 से लागू है. अब तक पूरे प्रदेश में बसों का रजिस्ट्रेशन और परमिट देने का काम बिना किसी विवाद के चल रहा था. अब उन्हीं बसों को नियम विरुद्ध बताकर कार्रवाई की जा रही है.
10 राज्यों में जाती हैं स्लीपर बसें
यह भी बताया कि जोधपुर से रोज 500 स्लीपर बसों का आने-जाने में संचालन होता है. रोज 20 हजार यात्री आते-जाते हैं. जोधपुर से दिल्ली के लिए 70 निजी बसें चलती हैं. इसी तरह जयपुर 80, अहमदाबाद 25, सूरत 25, मुंबई एवं पुणे 25, बेंगलुरु 35, कोटा 12, उदयपुर 20, पिलानी 10, गंगानगर 6, निंबाहेड़ा चित्तौड़गढ़ 10, झालावाड़ 22, प्रतापगढ़ 7, गोधरा 4, जैसलमेर 40, बीकानेर 10 बसें आती-जाती हैं.



