Public opinion: कोई खुश है तो कोई नाराज! राजस्थान के 9 जिले हुए निरस्त, फैसले को लेकर लोगों का आया रिएक्शन
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भीलवाड़ा:– राजस्थान सरकार द्वारा हाल ही में प्रदेश के 9 जिलों को निरस्त कर उनके जिला होने का दर्जा वापस ले लिया, जिसमें भीलवाड़ा से टूटकर अलग हुए शाहपुरा जिला भी शामिल है. इसको देखते हुए जहां एक तरफ शाहपुरा के लोग नाराज हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर कई लोगों का इसका समर्थन भी दिया है. ऐसे में लोकल 18 के पब्लिक ऑपिनियन के जरिए जानते हैं कि क्या यह शाहपुरा जिला निरस्त होना सही है या फिर गलत है.,राजस्थान की भाजपा सरकार द्वारा कैबिनेट बैठक में निर्णय लेते हुए प्रदेश के 9 जिले सहित तीन संभागों को निरस्त कर दिया, जिसमें भीलवाड़ा से टूटकर बने शाहपुरा भी शामिल है.
गत कांग्रेस सरकार द्वारा शाहपुरा को 2 विधानसभा को मिलकर जिला का दर्जा दिया था. लेकिन भाजपा सरकार ने यह दर्जा वापस लेकर शाहपुरा को दोबारा भीलवाड़ा में शामिल कर दिया गया. इस फैसले को लेकर भीलवाड़ा और शाहपुरा में मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है. जहां एक तरफ भीलवाड़ा में शामिल करने को लेकर बनेड़ा कस्बे में आतिशबाजी की गई, तो वही आज इसके विरोध में शाहपुरा को बंद रखा गया. लेकिन बंद का असर कुछ खास नजर नहीं आया और कुछ समय में ही शाहपुरा के बाजार खुल गए. शाहपुरा की कांग्रेस पार्टी द्वारा शाहपुरा का जिला दर्ज निरस्त करने के विरोध में प्रदर्शन और ज्ञापन दिया जाएगा.
क्या है जनता की राय ?शाहपुरा निवासी बालमुकुंद तोषनीवाल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा शाहपुरा को जिला घोषित किया था. इसको लेकर शाहपुर नगर वासियों ने उनके इस फैसले का स्वागत किया था. इसको लेकर हमने जयपुर में जाकर भी उन्हें धन्यवाद दिया था. इससे छोटे लेवल पर जिलों का विकास बड़े अच्छे तरीके से हो सकता था और लोगों को अपनी समस्याओं को लेकर जिला मुख्यालय की ओर नहीं रूख करना पड़ता था. लेकिन भाजपा सरकार के आते ही शाहपुर जिले को हटाया जा रहा है और आज कैबिनेट बैठक के बाद इसको हटाने का निर्णय लिया गया. शाहपुरा का जिला निरस्त कर दिया गया. इसका हम पुर्जो तरीके से विरोध करते हैं. इस दिन को शाहपुरा की जनता काला दिवस के रूप में मनाएगी.
नए जिले बनाने में बढ़ेगा वित्तीय भारवहीं दूसरी तरफ शिक्षक आशीष उपाध्याय का कहना है कि अगर कोई नया जिला बनाया जाता है, तो उसमें सबसे पहले आबादी और इंफ्रास्ट्रक्चर देखा जाता है. शाहपुरा की बात की जाए, तो शाहपुरा की आबादी इतनी नहीं है कि इसको जिला बनाया जाए. अगर नए जिले बनाए जाते हैं, तो राज्य सरकार पर वित्तीय भार पढ़ता है, क्योंकि नए जिले बनाने के लिए नई सरकारी बिल्डिंग खड़ी करनी पड़ती है और उसमें अफसर लगाने होते हैं, नए कर्मचारी लगाने होते हैं.
इन सबमें काफी लंबा और मोटा खर्च आता है, जो राज्य सरकार को देना पड़ता है. इसकी वजह से फाइनेंशियल सरकार को काफी भार उठाना पड़ता है. अगर यह वित्तीय अगर किसी अन्य जिले के लिए लगाए, तो उससे जिले का विकास बड़े अच्छे से हो सकता है. इसका सीधा असर जनता की जेब पर भी पड़ता है. रही बात भीलवाड़ा की और उस शाहपुरा की, तो इन दोनों के बीच इतनी दूरी नहीं है, जितना यह जिला बन सके.
सरकार डरी और सहमीकांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दुर्गेश शर्मा ने कहा कि राजस्थान की सरकार ने ऐसा निर्णय लेकर यह साबित कर दिया है कि सरकार डरी और सहमी हुई है. हाई कोर्ट की छुट्टी और 7 दिन के राजकीय शोक के दौरान कैबिनेट में यह निर्णय लेना विकास की गति को रोकना है और उन्होंने अशोक गहलोत के विकास के कार्यों को कम करना है. कांग्रेस इसका पुर्जो तरीके से विरोध करेगी.
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इस दिन मिला जिले का दर्जा कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले वर्ष 7 अगस्त को शाहपुरा को जिला बनाने का फैसला लिया गया था, जो मौजूदा भजनलाल सरकार ने पलट दिया है. शाहपुरा अब फिर से भीलवाड़ा जिले में शामिल हो जायेगा. राज्य सरकार के फैसले से शाहपुरा में रोष तो बनेड़ा , कोटड़ी, सवाईपुर व काछोला क्षेत्र में खुशी है. इस बीच शाहपुरा संघर्ष समिति ने इसे जनहित के खिलाफ बताया व जन आंदोलन की चेतावनी दी.
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FIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 15:39 IST