Rajasthan

Pulwama Martyr Veerangana Case Ashok Gehlot said demands are wrong cannot be fulfilled know reason

हाइलाइट्स

गहलोत बोले इससे अन्य वीरांगनाओं पर सामाजिक दबाव बढ़ेगा
गहलोत ने कहा कि नौकरी शहीदों के बच्चों के लिए आरक्षित रखी गई है
राजस्थान देश के तीन बड़े राज्यों में शामिल हैं जहां सबसे अधिक शहीद होते हैं

जयपुर. पुलवामा हमले में शहीद हुए राजस्थान के तीन जवानों की वीरांगनाएं (Pulwama Martyr Veerangana) अपनी मांगें पूरी होने का इंतजार कर रही हैं वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने उनकी मांगों को गलत ठहराया है. वीरांगनाओं की तीन मुख्य मांगें हैं. इनमें पहली शहीद के परिजन को नौकरी (बच्चे नाबिलग होने से देवर को) और दूसरी प्रतिमा लगाने की मांग व सड़क बनाने की मांग है. तीसरी अपनी मांगों के लेकर सीएम से मिलने की कोशिश के दौरान जयपुर में सीएमआर के पास उनके साथ हुई बदसलूकी की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग है.

शहीद रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू जाट और शहीद जीतराम की पत्नी सुंदरी अपने देवर के लिए सरकारी नौकरी की मांग रही है. वहीं शहीद हेमराज की पत्नी मधुबाला कोटा के सांगोद कस्बे में अपनी शहीद पति की प्रतिमा लगाने की मांग कर रही है. एक सड़क की मांग है. एक तरफ राजस्थान की गहलोत सरकार पर शहीदों की इन तीन वीरांगनाओं को जबरन धरने से हटाकर नजरबंद करने और मांगों को अनसुना करने का आरोप है. दूसरी तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दावा है कि इन तीन वीरांगनाओं की मांगें ही गलत हैं. इन मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता है.

Explainer: राजस्थान पुलवामा वीरांगना मसले की क्या है पूरी कहानी, कहां फंसा है पेंच, जानें सबकुछ

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शहीदों के परिवार को ये पैकेज दिया गया
राजस्थान सरकार का कहना है कि इनमें प्रत्येक शहीद की पत्नी को 25 लाख रुपये नकद और 25 बीघा जमीन या हाउसिंग बोर्ड का मकान दिया गया है. शहीद के एक बच्चे या पत्नी को सरकारी नौकरी (अगर गर्भ में है तो उसके लिए नौकरी आरक्षित होगी) रखी गई है. शहीद के परिवार को रोडवेज बसों में
मुफ्त यात्रा की सुविधा दी गई है. शहीद रोहिताश लांबा की शहादत के वक्त बेटा महज एक माह का था. वह अब चार साल का है. इसी तरह शहीद जीतराम की चार और पांच साल की दो बेटियां हैं. दोनों ही अव्यवस्क हैं. शहीद जीतराम की पत्नी सुंदरी ने पति की शहादत के छह महीने बाद देवर विक्रम से चूड़ा पहना (यानी देवर से शादी की) है. सुंदरी का कहना है कि उसकी दो बेटियां है. बेटा नहीं फिर नौकरी कैसे और कब मिलेगी. उसका तर्क है कि देवर ही उनकी देखभाल कर रहा है और पति का किरदार भी निभा रहा है. इसलिए देवर को नौकरी दे दी जाए. वे अपनी बेटियों के लिए व्यस्क होने पर नौकरी का दावा नहीं करेगी.

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वीरांगना बोलीं नौकरी की जरुरत आज है
इसी तरह रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू जाट का भी तर्क है कि उसकी देखभाल देवर जितेंद्र कर रहा है. उसके बेटे को बालिग होने में अभी 14 साल का वक्त है. नौकरी की जरुरत आज है. इसलिए सरकार आज देवर को नौकरी दे देती है तो वे फिर बालिग होने पर अपने बेटे किए अलग से नौकरी का दावा नहीं करेगी. हालांकि उसने देवर जितेंद्र से चुड़ा नहीं पहना, लेकिन वे जरुरत पड़ने पर पहनने की तैयार है. वैसे जितेंद्र शादीशुदा है. लेकिन पूरे परिवार में इकलौता ही कमाने वाला है. इसलिए भाभी अपने देवर के लिए नौकरी की मांग कर रही है. एक और शहीद कोटा के सांगोद के हेमराज की पत्नी मधुबाला अपने शहीद पति की प्रतिमा सांगोद में एक चौराहे पर लगाने की मांग कर रही है. मधुबाला की किसी परिजन के लिए नौकरी की मांग नहीं की है.

नौकरी शहीदों के बच्चों के लिए आरक्षित है
लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अपना तर्क है. गहलोत कह रहे हैं कि नौकरी शहीदों के बच्चों के लिए आरक्षित है. वे बड़े होंगे तब उनको नौकरी मिल जाएगी. अगर परिवार के किसी और सदस्य को नौकरी देते हैं तो फिर शहीदों के बच्चों का हक मारा जाएगा. ये बच्चे बड़े होंगे तो पिता की जगह अनुंकपा नौकरी नहीं मिलने से क्या इनके साथ नाइंसाफी नहीं होगी. गहलोत कहते हैं कि अगर इन वीरांगनाओं के इस दावे को स्वीकार कर देवर को नौकरी दे दी जाती है कि बड़े होने पर वे अपने बच्चों के लिए नौकरी की मांग नहीं करेगी. लेकिन ऐसी सूरत में शहीदों की वीरांगनाओं और सरकार के सामने नई मुश्किल खड़ी हो सकती है.

वीरांगनाओं पर सामाजिक दबाब बढ़ेगा
गहलोत का तर्क है कि हर शहीद की वीरांगना जिसके बच्चे छोटे हैं परिवार दबाब बनाएगा. परिवार के किसी और सदस्य कौ नौकरी दिलाने के लिए कहेगा. ऐसी सूरत में ऐसी वीरांगनाओं पर सामाजिक दबाब बढ़ेगा उन्हें अपने बच्चों का हक छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है. दूसरा सरकार ने इस मांग को मंजूर कर लिया तो हर वीरांगना जिनके बच्चे छोटे हैं उसके परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देनी पड़ सकती है. राजस्थान में ऐसी वीरांगनाओं की तादाद काफी अधिक है. उसकी वजह ये कि राजस्थान देश के तीन बड़े राज्यों में शामिल हैं जहां सबसे अधिक शहीद होते हैं.

Tags: Ashok Gehlot Government, Jaipur news, Pulwama attack, Rajasthan news, Rajasthan Politics

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