बाड़मेर के धन्ना सेठ: पाकिस्तान से आए थे खाली हाथ, अब हर साल बांट देते हैं करोड़ों! जानिए कौन है यह शख्स?

Last Updated:October 15, 2025, 16:07 IST
Barmer News: साल 1971 में पाकिस्तान से भारत आए श्रवण कुमार माहेश्वरी ने बाड़मेर में एक छोटी सी किराना दुकान से अपना सफर शुरू किया था. 72 वर्ष की उम्र में भी श्रवण कुमार की दिनचर्या समाज सेवा से ही शुरू होती है. मेहनत, ईमानदारी और सेवा भावना ने उन्हें ऐसी ऊंचाइयों पर पहुंचाया कि आज वे हर साल करोड़ों रुपये का दान करते हैं.
बाड़मेर. पश्चिम राजस्थान के सरहदी बाड़मेर जिले की धरती हमेशा से अपने उदार और सेवा-भावी लोगों के लिए जानी जाती है. यहां के भामाशाह निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं. ऐसा ही एक नाम है श्रवण कुमार डुंगरोमल माहेश्वरी, जो न सिर्फ समाज सेवा की मिसाल हैं, बल्कि सच्चे अर्थों में “धन्ना सेठ” भी कहलाते हैं.
साल 1971 में पाकिस्तान से भारत आए श्रवण कुमार माहेश्वरी ने बाड़मेर में एक छोटी सी किराना दुकान से अपना सफर शुरू किया था. आज 72 वर्ष की उम्र में भी उनकी दिनचर्या समाज सेवा से ही शुरू होती है. मेहनत, ईमानदारी और सेवा भावना ने उन्हें ऐसी ऊंचाइयों पर पहुंचाया कि वे हर साल करोड़ों रुपये का दान करते हैं.
व्यवसाय के साथ सेवा का भाव कायमश्रवण कुमार बाड़मेर शहर निवासी हैं, जो भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद 1971 में भारत आकर बस गए थे. वर्तमान में उनका ग्वार गम का काम है, जिससे वे अच्छा व्यवसाय कर रहे हैं. श्रवण कुमार पिछले कई वर्षों से बाड़मेर के होम्योपैथी अस्पताल में हर साल 5 से 7 लाख रुपये की दवाइयां निशुल्क उपलब्ध करवाते हैं. यही वजह है कि इस अस्पताल में न तो पर्ची का शुल्क लिया जाता है और न ही दवाइयों का पैसा.
शिक्षा और बेटियों के सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा योगदानउन्होंने बाड़मेर के बाल मंदिर बालिका स्कूल का निर्माण करवाया ताकि बेटियों की शिक्षा में कोई बाधा न आए. आज यहां 485 बेटियां पढ़ रही हैं. बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए श्रवण कुमार माहेश्वरी को 20 जून 2024 को प्रधानमंत्री संग्रहालय नई दिल्ली में राष्ट्रीय अटल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
जनसेवा में समर्पित, लोगों के दिलों में बसने वाला नामशहर में उन्होंने कई स्थानों पर प्याऊ (जल मंदिर) भी बनवाए हैं, जो गर्मी में यात्रियों और राहगीरों के लिए राहत बनते हैं. श्रवण कुमार माहेश्वरी कहते हैं कि पैसे का असली सुख दूसरों के काम आने में है. पाकिस्तान छोड़कर जब वे यहां आए थे तो भगवान से यही मांगा था कि जरूरतमंद के काम आ सकें. उनकी यही सोच आज उन्हें एक आम व्यापारी से समाज के लिए प्रेरणा बना देती है. बाड़मेर में श्रवण कुमार का नाम अब एक सच्चे धन्ना सेठ के रूप में लिया जाता है, जिनकी पहचान संपत्ति नहीं, बल्कि सेवा और सद्भाव से होती है.
Anand Pandey
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल… और पढ़ें
Location :
Barmer,Rajasthan
First Published :
October 15, 2025, 16:07 IST
homerajasthan
पाकिस्तान से आए थे खाली हाथ, अब हर साल बांट देते हैं करोड़ों! कौन है यह शख्स?