Rabi Season Farming | High Yield Wheat Varieties | Wheat Crop Improvement | Premium Quality Grains | Low Water Requirement Crop | Agriculture News

Last Updated:November 07, 2025, 08:09 IST
Rabi Season Farming: रबी सीजन में किसानों के लिए अच्छी खबर है. कृषि विशेषज्ञों ने गेहूं की तीन नई किस्में जारी की हैं, जो कम पानी में भी अधिक उपज और बेहतर दाना गुणवत्ता प्रदान करती हैं. इन किस्मों का उद्देश्य किसानों की लागत कम करते हुए उत्पादन बढ़ाना और मंडी में बेहतर दाम दिलाना है.
रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही किसानों ने गेहूं की बुवाई की तैयारी तेज कर दी है. इस बार अगर आप भी गेहूं की खेती करने जा रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए खास है.कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ नई किस्में ऐसी हैं जो कम समय में ज्यादा उपज, बेहतर गुणवत्ता और रोगों से बचाव की क्षमता के कारण किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही हैं.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों ने हाल ही में कई आधुनिक किस्में विकसित की हैं.इनमें से तीन किस्में — करन आदित्य (DBW 332), एमपी 3465, और करन शिवानी (DBW 327) — किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. ये किस्में न सिर्फ उत्पादन बढ़ाती हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के असर को झेलने में भी सक्षम हैं.

पहली किस्म करन आदित्य (DBW 332) को ICAR-IIWBR करनाल ने विकसित किया है. इसकी औसत उपज 78.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि संभावित उपज 83 क्विंटल तक पहुंच सकती है. इसमें 12.2 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है और यह स्ट्राइप तथा लीफ रतुआ जैसी बीमारियों से बचाव करती है. उच्च प्रोटीन और बेहतर गुणवत्ता के कारण यह किस्म खासतौर पर उन किसानों के लिए उपयोगी है जो खाद्य उद्योगों को ध्यान में रखकर खेती करते हैं.

दूसरी किस्म एमपी 3465 जबलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है. यह किस्म मध्य भारत के सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इसकी औसत उपज 59.41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और संभावित उपज 73.2 क्विंटल तक है.पत्ती और पीले रतुआ रोगों से यह किस्म अच्छी तरह प्रतिरोधी है.मध्यम अवधि में तैयार होने वाली इस किस्म की खासियत यह है कि किसान उचित सिंचाई और संतुलित खाद प्रबंधन से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

तीसरी किस्म करन शिवानी (DBW 327) भी ICAR-IIWBR करनाल द्वारा विकसित की गई है. यह किस्म जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है.इसकी औसत उपज 79.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और संभावित उपज 87.7 क्विंटल तक रहती है. यह ऊष्मा और सूखा दोनों परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करती है.साथ ही, इसमें जिंक की मात्रा 40.6 ppm पाई जाती है, जो इसे पोषण की दृष्टि से भी मूल्यवान बनाती है.

करन शिवानी की एक और खासियत यह है कि इसकी चपाती क्वालिटी 7.67 अंक तक मापी गई है, यानी इसका आटा स्वाद और पोषण दोनों में बेहतर है. ऐसे क्षेत्र जहां तापमान अधिक या पानी की कमी रहती है, वहां यह किस्म किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इन तीनों किस्मों की सबसे बड़ी ताकत इनकी स्थिर उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता और जलवायु सहनशीलता है. यही वजह है कि आने वाले रबी सीजन में इन किस्मों की मांग तेजी से बढ़ रही है. अगर किसान समय पर बुवाई और सही खाद-सिंचाई प्रबंधन अपनाएं, तो वे इस सीजन में गेहूं की खेती से बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.
First Published :
November 07, 2025, 08:09 IST
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गेहूं की इन किस्मों से खेत देगा ‘सोना’! अनाज की क्वालिटी भी टॉप, दाम भी अच्छे



