Radish Farming Tips for Farmers | Agriculture News Rajasthan

Last Updated:November 08, 2025, 13:25 IST
Radish Farming Tips: नागौर में किसान पारंपरिक खेती के साथ मूली की खेती कर अपनी आय दोगुनी कर रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सही समय पर बुवाई, संतुलित खाद (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम) और जैविक कीटनाशक के उपयोग से मूली की फसल की पैदावार में 30% तक वृद्धि संभव है. यह सर्दियों की एक मुनाफेदार और स्वास्थ्यवर्धक फसल है.
नागौर। राजस्थान के किसानों के लिए अब मूली की खेती आय बढ़ाने का एक बेहतर और लाभकारी विकल्प बन रही है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पारंपरिक फसलों तक सीमित रहने के बजाय सब्जियों की फसलों जैसे मूली की खेती करने से किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है. वर्तमान में मूली की बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से दिसंबर के बीच माना जाता है. यह समय बुवाई के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मूली सर्दियों की मांग वाली फसल है.
कृषि विशेषज्ञ बाबूलाल ने बताया कि मूली की खेती के लिए दोमट या बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. खेत की जुताई अच्छी तरह कर मिट्टी को भुरभुरा बनाना जरूरी है, ताकि बीज जल्दी अंकुरित हो सकें और मूली की जड़ें सही आकार ले सकें. उन्होंने बुवाई के लिए सटीक मात्रा बताई: प्रति हेक्टेयर लगभग 10 से 12 किलो बीज की आवश्यकता होती है. बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. उचित दूरी से मूली को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है और उपज अच्छी होती है.
पोषण और पैदावार बढ़ाने के टिप्सबाबूलाल ने कहा कि मूली की फसल में प्रति हेक्टेयर 20 किलो नाइट्रोजन, 48 किलो फास्फोरस और 48 किलो पोटेशियम का संतुलित प्रयोग फसल को तेज़ी से बढ़ाता है और गुणवत्ता में सुधार करता है. मूली की फसल में समय पर सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण बेहद जरूरी है, क्योंकि खरपतवार पोषक तत्वों को छीन लेते हैं और पैदावार प्रभावित होती है.
बाबूलाल के अनुसार, अगर किसान प्राकृतिक या जैविक खाद का उपयोग करें तो न केवल लागत कम होगी बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी. उन्होंने बताया कि नीम के पत्ते, गाय का मूत्र और खरपतवार मिलाकर किसान घर पर ही देसी कीटनाशक बना सकते हैं. इस दवा के छिड़काव से कीटों का प्रकोप कम होता है और उपज में 20 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी जाती है.
बाजार मूल्य और स्वास्थ्य लाभउन्होंने कहा कि मूली की खेती सर्दियों की मांग वाली फसल है, इसलिए इसका बाजार मूल्य स्थिर रहता है और मांग अच्छी बनी रहती है. इससे किसानों को पारंपरिक फसलों की तुलना में बेहतर मुनाफा मिलता है. मूली न केवल आय का साधन है बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी है. यह शरीर की Immunity को बढ़ाती है और सर्दी-जुकाम से बचाव करती है.
Location :
Nagaur,Nagaur,Rajasthan
First Published :
November 08, 2025, 13:23 IST
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सर्दियों में होती है डिमांड डबल, मूली की खेती से किसान कमा रहे हैं दोगुनी आय..



