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connection between tigress that killed forest ranger in Ranthambore and T 84 | रणथंभौर में वन रेंजर को मारने वाली बाघिन… T-84 से क्‍या है कनेक्‍शन? क्‍यों उसने हमले किए, आइये जानते हैं…

Last Updated:May 13, 2025, 10:20 IST

Ranthambore Tigre Reserve : विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि एक बाघ को लंबे समय तक कोर रिजर्व क्षेत्र के भीतर बाड़े में रखना ठीक नहीं होगा. इससे पहले कुछ ऐसा ही एक संघर्ष टी-104 नामक एक आक्रामक नर बाघ के साथ हुआ …और पढ़ेंरणथंभौर में वन रेंजर को मारने वाली बाघिन ने क्‍यों हमले किए, आइये जानते हैं...

दूसरे हमले के बाद बाघिन को तालेड़ा रेंज में शिफ्ट किए जाने की संभावना.

जयपुर: रणथंभौर में बाघिन द्वारा एक वन रेंजर पर हमला कर उसे जान से मार देने के बाद यह मामला अब गरमा गया है. यहां मशहूर (T-84) की संतान एक उप-वयस्क बाघिन ने कथित तौर पर हमला कर रणथंभौर के जोगी महल क्षेत्र के पास एक 40 साल के वन रेंजर देवेंद्र चौधरी को मार डाला. एक महीने के भीतर इस बाघिन द्वारा किया गया यह दूसरा हमला था. इसके बाद बाद वन विभाग को उसे रणथंभौर के जंगल से तालेड़ा रेंज के एक बाड़े में शिफ्ट करने का फैसला लेना पड़ा है.

टीओआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बाघिन को बेहोश करने और बाड़े में ट्रांसफर करने का प्‍लान अभी विचाराधीन है, क्योंकि आदमखोर होते हुए उसने दो इंसानों की जान ले ली. हालांकि वन विभाग के अधिकारी इस पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है बाघिन को बाड़े में रखने का फैसला गलत हो साबित हो सकता है, क्‍योंक‍ि बाड़ा केवला देवी वन्यजीव अभयारण्य और रणथंभौर टाइगर रिजर्व (RTR) के बीच प्राकृतिक गलियारे में मौजूद है, जहां पहले भी संघर्ष की घटनाएं हुई हैं.

इससे पहले कुछ ऐसा ही एक संघर्ष टी-104 नामक एक आक्रामक नर बाघ के साथ हुआ था, जब उसे इसी बाड़े में रखा गया था. जंगली बाघों ने पिंजरे में बंद टी-104 से खूनी लड़ाई कर ली, जिससे दोनों पक्षों में आक्रामकता उत्पन्न हुई और पिंजरे की लोहे की सलाखों के कारण उन्हें चोटें आईं.

वहीं, विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि एक बाघ को लंबे समय तक कोर रिजर्व क्षेत्र के भीतर बाड़े में रखना ठीक नहीं होगा, क्योंकि इसके लिए नियमित सफाई और देखभाल की जरुरत होती है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि बाघिन को जयपुर या उदयपुर के किसी जैविक उद्यान में ट्रांसफर किया जाए.

सूत्रों ने यह भी बताया कि अप्रैल महीने में एक लड़के की मौत के बाद RTR अधिकारियों ने उप-वयस्क बाघों को मुख्य क्षेत्र के अंदर एक गैर-पर्यटन क्षेत्र में भेजने की सिफारिश की थी. उनका कहना था कि बाघिन, जो पहले शिकार करने में असमर्थ थी, को नियमित रूप से चारा दिया जाता था, जिससे वाहन और मनुष्य उसकी ओर आकर्षित होते थे. इस स्थिति के कारण शावकों में इंसानों के प्रति डर कम हो गया था, और यही कारण हो सकता है कि उप-वयस्क बाघिन ने दो लोगों पर हमला किया.

इस दुखद घटना के बाद, राजस्थान के पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा और डीग-कुम्हेर विधायक शैलेश सिंह शोकाकुल परिवार से मिलने उनके घर, नारायण का खेड़ा पहुंचे. इस दौरान मंत्री शर्मा ने यह आश्वासन दिया कि सरकार चौधरी की विधवा को वन विभाग के बजाय शिक्षा विभाग में नौकरी दिलवाएगी. उन्होंने परिवार को सांत्वना दी और यह सुनिश्चित किया कि राज्य सरकार इस कठिन समय में उनके साथ खड़ी है.

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रणथंभौर में वन रेंजर को मारने वाली बाघिन ने क्‍यों हमले किए, आइये जानते हैं…

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